बीजिंग – ‘कोई भी देश मर्यादा के बाहर जाकर चीन की परमाणु अस्त्रों की संख्या के बारे में चर्चा ना करें| परमाणु हथियार बंदी संबंधी किसी भी त्रिपक्षीय बैठक का चीन हिस्सा नही होगा’, इन शब्दों में चीन ने अमरिका और रशिया ने रखा ‘न्यू स्टार्ट’ समझौते का प्रस्ताव ठुकराया है| चीन अपने परमाणु अस्त्रों के बेडे में बढोतरी कर रहा है, इस वजह से ही अमरिका ने ‘स्टार्ट’ समझौते से अमरिका पीछे हटी है, ऐसा विश्लेषकों का कहना था| इस वजह से वर्णित समझौते से चीन ने किया?इन्कार ध्यान आकर्षित करता है|
पिछले सप्ताह में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन इन्होंने फोन पर बातचीत की थी| लगभग एक घंटा हुई इस बातचीत में दोनों देशों में नए परमाणु हथियारों की संख्या सीमित रखने के लिए ‘स्टार्ट’ (स्ट्रॅटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रिटी) समझौते पर चर्चा की थी| कुछ महीने पहले अमरिका ने रशिया के साथ किए ‘आईएनएफ’ (इंटरमिडिएट रेंज न्युक्लिअर फोर्सेस ट्रिटी) समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया था| उसके बाद रशिया के साथ किए ‘स्टार्ट’ समझौते से भी बाहर होने की तैयारी अमरिका ने की है, यह समाचार प्राप्त हुए थे| दिखावे के लिए अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने रशिया पर आरोप रखकर इस समझौते से पीछे हटने का ऐलान किया था| फिर भी, असल में चीन की वजह से ही अमरिका इस समझौते से पीछे हटी है, यह दावा विश्लेषक कर रहे है| इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प और पुतिन ने ‘स्टार्ट’ समझौते पर की हुई बातचीत अहमियत रखती है|
अमरिका और रशिया के बीच हुए इस ऐतिहासिक समझौते में चीन को शामिल करने पर भी दोनों देशों के नेताओं ने विचार किया है, यह जानकारी सामने आ रही थी| चीन के बेडे में कम से कम ३०० परमाणु अस्त्र होने का दावा किया जा रहा है| लेकिन, अपनी रक्षा की तैयारी को लेकर चीन सच्चाई से भी जानकारी उजागर नही कर रहा और चीन घोषित किए संख्या से भी अधिक परमाणु अस्त्र रखता होगा, यह आशंका अमरिकी अभ्यासगुटों ने पहले ही व्यक्त की है|
साथ ही पिछले कुछ वर्षों में चीन ने हायपरसोनिक और अंतरमहाद्विपीय मिसाइल का निर्माण शुरू किया है, यह समाचार भी प्रसिद्ध हुए थे| इस पृष्ठभूमि पर परमाणु अस्त्रों की संख्या पर मर्यादा लगाने की कोशिश से जुडे ‘स्टार्ट’ समझौते में चीन को शामिल करने का प्रस्ताव अमरिका ने रखा था|
कुछ महीने पहले अमरिका ने ‘आईएनएफ’ समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया था| ऐसे में अब अमरिका और रशिया के ‘स्टार्ट’ समझौते का हिस्सा होने के लिए चीन तैयार नही है| ‘अमरिका और रशिया सबसे पहले अपने परमाणु अस्त्रों की संख्या कम करे और उसके बाद ही अन्य देशों को यह सलाह दे’, ऐसी फटकार चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने लगाई है| साथ ही अमरिका का सीधे जिक्र किए बिना चीन की परमाणु अस्त्रों की संख्या के बारे में मर्यादा के बाहर जाकर बातचीत ना करे, यह इशारा शुआंग ने दिया है| इसके अलावा परमाणु अस्त्र नष्ट करने संबंधी भूमिका का चीन समर्थन करता है, यह भी उन्होंने कहा| लेकिन, अन्य देशों की तुलना में चीन के बेडे में मौजूद परमाणु अस्त्रों की संख्या कम है, यह कहकर शुआंग ने अपने देश की परमाणु नीति का समर्थन किया|
इस दौरान, नए स्टार्ट समझौते में रशिया के साथ चीन को भी शामिल करने संबंधी अमरिका ने रखी मांग एक बहुत बडा दांव समझा जा रहा है| नए ‘स्टार्ट’ समझौते में चीन को शामिल कराना अमरिका के साथ रशिया के लिए भी अनुकूल होने की बात कही जा रही?थी| लेकिन, चीन ने इस समझौते का हिस्सा होने से इन्कार करके इस मुद्दे पर सहयोग करने से हम तैयार नही है, यह बात डटकर रखी है| इस नीति की वजह से चीन गैरजिम्मेदार परमाणु शक्ति होने का आरोप अमरिका से हो सकता है| और, इसी आधार पर अमरिका परमाणु अस्त्र से संबंधित अपनी नई आक्रामक नीति का जोरदार समर्थन कर सकती है|
इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:
https://twitter.com/WW3Info | |
https://www.facebook.com/WW3Info |