रशिया की चेतावनी के बावजूद नाटो के ‘न्यूक्लियर’ युद्धाभ्यास का हुआ ऐलान

ब्रुसेल्स – रशिया ने चेतावनी देने के बावजूद नाटो ने अगले हफ्ते ‘न्युक्लियर एक्सर्साईज़’ यानी परमाणु हमले का युद्धाभ्यास करने का ऐलान किया। यह युद्धाभ्यास यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले ही तय हुआ था, ऐसी जानकारी नाटो के प्रमुख स्टोल्टनबर्ग ने साझा की। मौजूदा दौर में यह युद्धाभ्यास रद्द किया तो इससे काफी गलत संदेश जाएंगे। नाटो इससे अपने सदस्य देशों की सुरक्षा का सामर्थ्य और इच्छाशक्ति नहीं रखती, ऐसा अहसास रशिया को हो सकता है। इससे रशिया की आक्रामकता अधिक बढ़ेगी और स्थिति काफी गंभीर हो सकती है। इसी कारण रशिया को गलत अनुमान लगाने का अवसर दिए बिना इसका आयोजन किया जाए और तय युद्धाभ्यास करना मुमकिन करने की जरुरत है, ऐसा खुलासा स्टोल्टनबर्ग ने दिया है।

युद्धाभ्यास

अपनी सुरक्षा के लिए रशिया परमाणु हमला कर सकती है और रशिया की यह धमकी खोखली नही है, यह चेतावनी भी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दी थी। इसके बाद अमरीका और नाटो ने इशारा दिया था कि, रशिया यदि यूक्रेन पर हमला करती है तो उसे इसके भयंकर परिणाम भुगतने पडेंगे। अमरीका के सीआईए के पूर्व प्रमुख ने यूक्रेन नाटो का सदस्य ना होने के बावजूद अमरीका-नाटो यूक्रेन पर होनेवाले परमाणु हमले की भारी कीमत चुकाने के लिए रशिया को मज़बूर करने के बारे में धमकाया था। ऐसी स्थिति में रशिया की चेतावनी के बावजूद नाटो ने युद्धाभ्यास का आयोजन किया है। अगले हफ्ते हो रहे इस युद्धाभ्यास में परमाणु हमला करने की क्षमता वाले लड़ाकू विमानों का सहभाग होगा। यह युद्धाभ्यास रशिया की सीमा से तकरीबन हज़ार किलोमीटर की दूरी पर होगा। इसमें लाईव बम्स का इस्तेमाल ना हो, यह जानकारी नाटो ने साझा की।

फिर भी नाटो के इस युद्धाभ्यास की बड़ी गूंज इस क्षेत्र में सुनाई दे सकती है। लेकिन, यूक्रेन युद्ध जारी होने के बावजूद नाटो इस युद्धाभ्यास को रद्द नहीं करेगी। क्योंकि, इससे रशिया के लिए बड़ा गलत संदेश जाएगा और नाटो ने रशिया के सामने घुटने टेक दिए, यह चित्र निर्माण हो सकता है, ऐसा दावा नाटो कर रहा है। इसकी दूसरी बाजू है और नाटो इस युद्धाभ्यास के जरिये हमें सीधी चुनौती दे रही है, यह दावा रशिया करती है। साथ ही यूक्रेन युद्ध में नाटो का हिस्सा भी इससे स्पष्ट हुआ है, ऐसी तीखी आलोचना रशियन नेता कर रहे हैं।

युद्धाभ्यास

नाटो के प्रमुख स्टोल्टन ने यूक्रेन युद्ध में रशिया की जीत यानी नाटो की हार ही होती है, यह कहकर इस युद्ध में नाटो की भूमिका स्पष्ट की। नाटो ने अब खुलेआम यूक्रेन के पक्ष में युद्ध में उतरने का फैसला नहीं किया है, फिर भी नाटो यूक्रेन की सेना को हर मुमकिन सहायता प्रदान करने की कोशिश कर रही है। अमरीका और नाटो के अब तक के सहयोग की वजह से ही यूक्रेन की सेना रशियन सेना को पीछे धकेलने में कामयाब हुई थी। आनेवाले दौर में नाटो के सदस्य देश यूक्रेन को अधिक मात्रा में रक्षा सहयोग प्रदान करें, ऐसी माँग बढ़ रही है।

खास तौर पर रशिया ने मिसाइल्स का जोरदार हमला शुरू किया और इसके बाद अमरीका और नाटो हमें हवाई सुरक्षा यंत्रणा की आपूर्ति करे, ऐसी माँग यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ज़ेलेन्स्की ने की। इस पर अमरीका और नाटो का सकारात्मक बयान सामने आता दिख रहा है।

इसकी वजह से यूक्रेन युद्ध में अपनी सेना का जल्द ही अमरीका और नाटो की सेना से टकराव होगा, ऐसी रशिया की संभावना वास्तव में उतरती दिख रही है। ऐसी स्तिथि में अगले हफ्ते नाटो द्वारा आयोजित युद्धाभ्यास रशिया को उकसानेवाला साबित होता है। इस पर जवाब दिए बिना रशिया शांत नहीं बैठेगी, ऐसे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।

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