कैनबेरा – ऑस्ट्रेलिया में हुए चुनाव में ‘लिबरल’ पार्टी के स्कॉट मॉरिसन इनका प्रधानमंत्री पद के लिए दुबारा चयन होना चीन के लिए बडा झटका होने की प्रतिक्रिया चीन के माध्यमों ने दर्ज की थी| साथ ही ऑस्ट्रेलिया में ‘चीन’ के निवेश में करीबन ५० प्रतिशत की गिरावट होने का अहवाल सामने आ चुका है और यह बात ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था के लिए घातक रहेगी, यह संकेत ऑस्ट्रेलिया से ही दिए जा रहे है| आर्थिक निवेश के साथ ही चीन अन्य क्षेत्रों में भी ऑस्ट्रेलिया को झटके देने की कोशिश करेगा, यह दावे हो रहे है| इस वजह से नजदिकी समय में ऑस्ट्रेलिया-चीन संबंध और भी बिगडने की संभावना दिखाई देने लगी है|
‘ऑस्ट्रेलियन नैशनल युनिव्हर्सिटी’ ने चीन के निवेष पर एक अहवाल प्रसिद्ध किया है| इस अहवाल में चीन ने वर्ष २०१८ में ऑस्ट्रेलिया में सिर्फ ३.३१ अरब डॉलर्स का निवेश किया है, यह जानकारी पेश की है| यह ऑस्ट्रेलिया में चीन से पिछले पांच वर्षों में हुए निवेश की सबसे कम मात्रा होने की बात कही गई है| वर्ष २०१६ में चीन ने ऑस्ट्रेलिया में १० अरब डॉलर्स से भी अधिक रकम का निवेश किया था| किसी भी वर्ष में चीन ने ऑस्ट्रेलिया में किया यह सबसे अधिक निवेश साबित हुआ था| लेकिन, वर्ष २०१७ से चीन के निवेश में गिरावट शुरू हुई और २०१८ में यह निवेश सबसे नीचले स्तर तक जा पहुंचने का चित्र दिखाई दिया है|
वर्ष २०१७ में ऑस्ट्रेलिया के उस समय के प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबूल इन्होंने चीन के विरोध में आक्रामक कदम उठाना शुरू किया था| ऑस्ट्रेलिया में चीन का बढ रहा हस्तक्षेप रोकने के लिए किया गया कानून और हुवेई पर लगाई पाबंदी जैसे निर्णय करके टर्नबूल इन्होंने चीन के बढते प्रभाव को रोक लगाई थी| साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने ‘स्टेप अप पैसिफिक’ जैसी नीति का ऐलान करके पैसिफिक क्षेत्र में विस्तार करने के लिए चीन ने अपनाई नीति को चुनौती दी थी| टर्नबूल के बाद प्रधानमंत्री बने स्कॉट मॉरिसन इन्होंने भी यही नीति बरकरार रखकर चीन के विरोध में कडी भूमिका अपनाई थी|
चुनावी प्रचार के दौरान मॉरिसन इन्होंने अमरिका-चीन संबंधों को लेकर वक्तव्य करते समय अमरिका को मित्रदेश और चीन को ‘ग्राहक’ कहकर खलबली मचाई थी| चीन यह ऑस्ट्रेलिया का सबसे बडा व्यापारी साझीदार होते हुए भी ऑस्ट्रेलियन नेतृत्व ने की हुई यह संभावना चीन को अच्छी खासी जलन हुई थी| टर्नबूल और मॉरिसन इन्होंने विरोध करने के लिए किए निर्णयों को जवाब देते समय चीन ने राजनयिक स्तर पर सहयोग कम किया था| साथ ही ऑस्ट्रेलिया से हो रही कोयले की खरीद भी स्थगित की थी|
मॉरिसन इनका दुबारा चयन होने के बाद कई विश्लेषक और विशेषज्ञ ऑस्ट्रेलिया ने चीनसंबंधी अपनाई नीति नरम करें, यह निवेदन कर रहे है| लेकिन, मॉरिसन इन्होंने इसपर अभी प्रतिक्रिया नही दी है| साथ ही चीन प्रसारमाध्यमों के जरिए ऑस्ट्रेलियन सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, ऐसा पिछले कुछ दिनों में चीन एवं ऑस्ट्रेलियन माध्यमों ने अपनाई भूमिका से दिख रहा है| प्रधानमंत्री पद पर दुबारा चयन होने पर मॉरिसन अपने नीति में बदलाव करें, इसके लिए चीन एक झटका देने की भी कोशिश करेगा, यह दावे भी हो रहे है| लेकिन, ऐसा नही होता है तो ऑस्ट्रेलिया से अधिक तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हो सकती है और दोनों देशों के संबंध और भी बिगड सकते है, यह संकेत सूत्रों से प्राप्त हो रहे है|
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