ब्रुसेल्स – जर्मनी, इटली, बेल्जियम, नेदरलैंड और तुर्की इन देशों में मौजूद नाटो के लष्करी अड्डों पर करीबन १५० एटमी हथियार तैनात होने की जानकारी नाटो से जुडी एक संस्था ने गलती से सार्वजनिक की है| शीतयुद्ध के समय अमरिका और रशिया में हुए परमाणु हथियार प्रसारबंदी समझौता टुटने के बाद परमाणु युद्ध की संभावना बढने के दावे किए जा रहे है| ऐसी स्थिति में नाटो के परमाणु हथियारों से जुडी सार्वजनिक हुई जानकारी स्फोटक होने का दावा यूरोपिय माध्यम कर रहे है| बेल्जियम में विपक्ष के नेता ने इस घटना पर सरकार को सवाल किया है और इससे जुडी सच्चाई सामने रखने की मांग की है| अन्य देशों में भी यही मांग होने की कडी संभावना होने की बात सामने आ रही है|
बेल्जियम के ‘क्लेन-ब्रोगेल’, जर्मनी के ‘बुशेल’, इटली के ‘एव्हिआनो’ और ‘गेतीतोर’, नेदरलैंड के ‘ओल्केल’ और तुर्की के ‘इन्सर्लिक’ इन शहरों में नाटो ने बनाए लष्करी अड्डों पर करीबन १५० एटमी हथियार तैनात है| ‘अ न्यू इरा फॉर न्युक्लिअर डिटरन्स? मॉडर्नायजेशन, आर्म्स कंट्रोल ऍण्ड अलाइड न्युक्लिअर फोर्सेस’ इस शीर्षक के रपट से यह जानकारी सार्वजनिक हुई है| अप्रैल महीने में नाटो से जुडी संस्था ने यह रपट प्रसिद्ध किया था| इस वजह से यूरोप में तैनात नाटो के परमाणु हथियारों की जानकारी सार्वजनिक हुई है और इसके परीणाम काफी लंबे समय तक हो सकते है, यह अभी से दिखाई दे रहा है| बेल्जियम के ‘दे मॉर्गन’ और अमरिका के ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ इन समाचार पत्र ने इस विषय की विस्तृत जानकारी प्रसिद्ध की है|
अपने देश में मौजूद नाटो के लष्करी अड्डों पर परमाणु हथियार तैनात है, इस जानकारी से काफी लोग पहली बार अवगत हुए है| इसकी गुंज सुनाई देने लगी है| बेल्जियम में विपक्ष के नेताओं ने इस मामले में सरकार को कटघरे में खडा किया है| सरकार इस तैनाती की सभी जानकारी सार्वजनिक करें, यह मांग भी हो रही है| अन्य देशों के माध्यम इस तैनाती को लेकर आक्रामक हुए है और इस वजह से परमाणु युद्ध का खतरा और भी बढने की चिंता जताई जा रही है| अमरिका और रशिया में शीतयुद्ध के दौरान परमाणु हथियारों की संख्या में बढोतरी ना करने के लिए ‘इंटरमिजिएट रेंज न्युक्लिअर फोर्स ट्रिटी-आईएनएफ’ समझौता हुआ था| रशिया इस समझौते का पालन नही कर रहा, यह आरोप करके अमरिका ने इस समझौते से वापसी की है|
इसके बाद परमाणु युद्ध के खतरे में और भी बढोतरी होने के दावे हो रहे है| ऐसी स्थिति में नाटो का रपट गलती से सार्वजनिक होने से नया संकट खडा होता दिखाई दे रहा है| लेकिन, यह रपट नाटो का अधिकृत अहवाल नही है, यह खुलासा आगे किया गया है| यह जानकारी संबंधित रपट का केवल पहला मसौदा था| अगले दिनों में इसमें सुधार होने की उम्मीद थी ही, यह स्पष्टीकरण नाटो से दिया जा रहा है| इस रपट के सुधारित आवृत्ती में यह जानकारी शामिल नही की गई है| लेकिन, इस खुलासे की वजह से स्थिति में ज्यादा फरक नही हुआ है और यूरोप में तैनात नाटो के परमाणु हथियारों की समस्या आगे के दिनों में भी हलचल बरकरार रखेगी, यही दिखाई दे रहा है|
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