पैरिस – पिछले महीने में सौदी अरब के ईंधन परियोजनाओं पर हुए हमलों के आदेश ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्ला खामेनी ने ही दिए थे| खामेनी ने दिए आदेश के बाद ही ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्डस् के वरिष्ठ अधिकारी ब्रिगेडिअर जनरल मोहम्मद फलाह के नेतृत्व में सौदी के ईंधन परियोजनाओं पर हमलें किए गए है, यह आरोप ईरान की हुकूमत के कडे विरोधी ‘नैशनल कौंसिल ऑफ रेझिस्टंस’ (एनसीआरआई) ने किया है|
ईरान की सियासी गतिविधियों पर सबसे अधिक प्रभाव रखनेवाले धर्मगुरू आयातुल्ला खामेनी की अध्यक्षता में ३१ जुलाई की रोज राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक का आयोजन हुआ था| इस बैठक में राष्ट्राध्यक्ष हसन रोहानी, विदेशमंत्री जावेद झरिफ एवं ‘रिव्होल्युशनरी गार्डस्’ (आईआरजीसी) के वरिष्ठ कमांडर्स उपस्थित थे, यह दावा ‘एनसीआरआई’ ने ब्रिटिश वृत्तसंस्था के सामने किया है| इस बैठक में खामेनी ने ही ‘आईआरजीसी’ के कमांडर्स को सौदी अरब के ईंधन परियोजनाओं पर ‘या-अली’ यह क्रूज मिसाइल छोडने के आदेश दिए थे, यह जानकारी ‘एनसीआरआई’ ने दी है|
खामेनी के आदेश के बाद ‘आईआरजीसी’ के कमांडर्स ने सौदी के अबकैक, खुरैस इन दो सबसे बडे परियोजनाओं पर हमलें करने का प्लैन तैयार किया| इन हमलों का नियंत्रण ब्रिगेडिअर जनरल फलाह के हाथ में देकर १४ सितंबर के रोज हमला करने का तय हुआ था, यह जानकारी ‘एनसीआरआई’ के प्रवक्ता शाहिन गोबादी ने दी| सौदी की ईंधन परियोजनाओं पर हमलें करने के साथ ही ईरान ने अपनी सेना को तैयार रहने के आदेश भी दिए थे| सौदी ने ईरान पर हमला किया तो जवाबी कार्रवाई करने की तैयारी भी ईरान ने रखी थी| साथ ही देश में बगावत या प्रदर्शन ना हो, इस लिए अंतर्गत सुरक्षा में भी बढोतरी की गई थी, ऐसा गोबादी ने कहा|
सौदी के ईंधन परियोजनाओं पर मिसाइल हमला यानी युद्ध अपराध साबित होता है| इस वजह से संयुक्त राष्ट्रसंघ और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान में खामेनी-रोहानी हुकूमत के विरोध में कडी भूमिका अपनाए, यह मांग ‘एनसीआरआई’ ने की है|
खामेनी हुकूमत के कडे विरोधी होनेवाली ‘एनसीआरआई’ यह संगठन फ्रान्स में कार्यरत है| हर वर्ष ईरान की हुकूमत का तख्ता पलट करवाने के लिए ‘एनसीआरआई’ दुनिया भर के नेताओं को निवेदन करती है| यह संगठन ईरान की खामेनी हुकूमत, परमाणु एवं मिसाइल कार्यक्रम और अन्य लष्करी गतिविधियों की गोपनीय जानकारी रखती है, यह बात पहले भी स्पष्ट हुई थी| इस वजह से इस संगठन ने किए दावे की ओर गंभीरता से देखा जा रहा है|
अमरिका और सौदी अरब ने ईंधन परियोजनाओं पर हुए हमलों के लिए ईरान ही जिम्मेदार होने का आरोप किया है| इन हमलों में इस्तेमाल किए गए मिसाइल ईरान का निर्माण होने के सबुत पेश करके सौदी ने ईरान के विरोध में राजनयिक मोर्चा खोला था| ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी ने भी सौदी के इन आरोपों का समर्थन किया था| लेकिन, ईरान ने इन देशों ने लगाए आरोप ठुकराकर यह हमलें येमन के हौथी बागियों ने ही किए होने की बात कही थी| साथ ही ईरान पर कार्रवाई करने का विचार भी किया तो सर्वंकष युद्ध शुरू करने की धमकी भी ईरान ने दी थी|
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