पश्‍चिमी अफ्रीकी देशों ने ‘फ्रैंक’ को ठुकराकर नए ‘इको’ चलन का इस्तेमाल शुरू किया

पश्‍चिमी अफ्रीकी देशों ने ‘फ्रैंक’ को ठुकराकर नए ‘इको’ चलन का इस्तेमाल शुरू किया

अबिदजान – पश्‍चिमी अफ्रीका के आठ देशों ने फ्रेंच हुकूमत का प्रतिक बने ‘फ्रैंक’ चलन ठुकराकर अब ‘इको’ इस नए अफ्रीकी चलन का इस्तेमाल करने का निर्णय किया है| फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन की अफ्रीका यात्रा के दौरान ही यह निर्णय किया गया है और नया चलन ‘इको’ यूरोपिय महासंघ के ‘यूरो’ से जुडा रहेगा| पिछले कुछ दशकों से अफ्रीकी देशों को आर्थिक और व्यापारी नजरिए से एक करने की कोशिश हो रही है और इसमें एक चलन रखने का निर्णय अहम स्तर समझा जा रहा है|

वर्ष १९४५ में अफ्रीकी देशों के लिए ‘सीएफए फ्रैंक’ इस चलन की निर्माण किया गया था| फ्रान्स की कालनी रहें अफ्रीकी देशों में इस फ्रैंक का इस्तेमाल शुरू किया गया था| समय के चलते अफ्रीकी देश फ्रान्स से आजाद हुए तो भी इन देशों में फ्रेंच चलन का इस्तेमाल जारी रहा था| अफ्रीकी देशों में हो रहे ‘सीएफए फ्रैंक’ का उपयोग यानी आजादी के बाद भी फ्रान्स का हस्तक्षेप बरकरार रहना है, यह नाराजगी अफ्रीकी जनता के मन में बनी थी|

 

इस वजह से फ्रेंच हुकूमत की बेडियां तोडने के लिए अफ्रीकी देशों ने कोशिश शुरू की थी| पश्‍चिमी अफ्रीका के १५ देशों ने वर्ष १९७५ में ‘इकॉनॉमिक कम्युनिटी ऑफ वेस्ट अफ्रीकन स्टेटस्’ (इकोवास) गुट गठित करना इन्ही कोशिशों का हिस्सा था| इस ‘इकोवास’ गुट में नाइजेरिया, माली, बुक्रिना फासो, आयव्हरी कोस्ट, टोगो, नाइजर, गिनिआ, सिएरा लिओन, गांबिया, सेनेगल, बेनिन, घाना, लाइबेरिया, गिनी-बिसु और केप वर्दे यह देश शामिल थे|

इनमें से माली, बुर्किना फासो, आयव्हरी कोस्ट, टोगो, नाइजर, सेनेगल और केप वर्दे यह सात देश फ्रान्स की कालनी के तौर पर ही जाने जाते है| इन देशों के साथ ‘इकोवास’ के सदस्य बना ‘गिनी-बिसु’ ने भी ‘इको’ चलन का इस्तेमाल करने का निर्णय किया है| फ्रेंच चलन ठुकराकर ‘इको’ का इस्तेमाल करने संबंधी किए समझौते के लिए पिछले छह महीनों से तैयारी हो रही थी, यह जानकारी फ्रेंच सूत्रोंने साझा की|

फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने अफ्रीकी देशों के निर्णय का स्वागत किया है| ‘इको’ का इस्तेमाल करने संबंधी किया निर्णय अफ्रीकी देशों के सुधार का हिस्सा होने की बात मैक्रॉन ने कही है| वर्ष २०२० से ‘इको’ का इस्तेमाल शुरू होगा, यह उम्मीद भी फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने व्यक्त की| फ्रान्स के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भी अफ्रीकी देशों के निर्णय का स्वागत किया है और यह निर्णय अफ्रीका के स्थिरता के लिए अहम साबित होगा, यह भी उन्होंने कहा|

पश्‍चिमी अफ्रीका के?आठ देशों ने ‘इको’ चलन संबंधी किए निर्णय से पहले जुलाई महीने में ‘इकोवास’ गुट ने वर्ष २०२० में इस चलन का इस्तेमाल करने का ऐलना किया था| पर, इसके लिए जरूरी मुद्दों पर अभी काम पुरा नही हुआ है और इसी कारण इस चलन का प्रयोग करने संबंधी का निर्णय घोषित नही किया गया है| पर, आठ सदस्य देशों में सहमति होने के बाद अब आगे की प्रक्रिया को गति प्राप्त होगी, यह उम्मीद व्यक्त हो रही है|

१५ देश, ५१ लाख चौरस किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्रफल, लगभग ३९ करोड जनसंख्या और १.४८ ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था यह ‘इकोवास’ की क्षमता है| पर, सियासी अस्थिरता और कई देशों में शुरू हुए वांशिक संघर्ष की वजह से पश्‍चिमी अफ्रीकी देशों में विकास की गति धीमी हो चुकी है| समान चलन का इस्तेमाल इस विकास को गति दे सकता है, यह अंदाजा अफ्रीकी विश्‍लेषक और आर्थिक विशेषज्ञों ने व्यक्त किया है|

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