रियाध – इस्लामी देशों का नया संगठन स्थापित करने के लिए तुर्की, ईरान, कतार और मलेशिया ने एक होकर ‘कुआलालंपूर समिट’ का आयोजन किया था| अपना यह संगठन ‘ऑर्गनायझेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन’ (ओआयसी) को चुनौती देनेवाला नही होगा, यह दावा इन देशों ने किया था| पर, ‘ओआयसी’ का नेतृत्व कर रहे सौदी अरब ने इस संगठन को चुनौती के तौर पर ही देखा होने की बात स्पष्ट हुई है| इस तरह से नया गुट तैयार करना इस्लामधर्मियों के हित में नही है, यह चेतावनी ‘ओआयसी’ के महासचिव ‘युसेफ अल ओथायमीन’ ने दी है|
मलेशिया के कुआलालंपूर समिट के दौरान तुर्की, ईरान, कतार और मलेशिया ने घुमाकर ‘ओआयसी’ को लक्ष्य किया था| यह संगठन इस्लामधर्मियों को एक करके उन्हें नेतृत्व प्रदान करने में असफल होने का स्वर कुआलालंपूर समिट के दौरान लगाया गया था| इस पर सौदी अरब ने गंभीरता से संज्ञान लेने की बात दिख रही है| ‘ओआयसी’ के महासचिव युसेफ अल ओथायमीन ने यह आलोचना ऐसी है की, इस तरह के गुट तैयार करके उनके बीच मेल मिलाप करना ‘ओआयसी’ को कमजोर करने की कोशिश बनती है|
‘ओआयसी’ यह इस्लामी देशों का प्रतिनिधित्व करनेवाली एक ही संगठन है इसे चुनौती देना यानी इस्लामी देशों का संगठन कमजोर करना होता है| यह हरकत इस्लाम धर्म के हित में नही है, यह चेतावनी अल ओथायमीन ने दी है| ‘ओआयसी’ ने इस मुद्दे पर स्पष्ट भूमिका अपनाने के बाद इस्लामी देशों के नेतृत्व का विवाद दुबारा उठता दिखाई देने लगा है| कुआलालंपूर समिट के आयोजकों में से एक पाकिस्तान इस समिट में शामिल ना हो, यह चेतावनी सौदी अरब ने जारी की थी| इसी कारण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान इस समिट से दूर रहे थे, ऐसी बातचीत शुरू हुई थी|
तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने खुले आम सौदीपर यह आरोप किया और पाकिस्तान प्रधानमंत्री की ‘कुआलालंपूर समिट’ में देखी गई अनुपस्थितीपर नाराजगी व्यक्त की थी| पाकिस्तान को सौदी से प्राप्त हो रही आर्थिक सहायता एवं ईंधन संबंधी सहुलियत रद्द करने की धमकी दी गई थी| साथ ही सौदी में काम कर रहे लाखों पाकिस्तानी कामगारों को देश के बाहर निकालकर पाकिस्तान वापिस भेजा जाएगा और उनकी जगह पर बांगलादेशी कामगारों को नियुक्त करने की चेतावनी भी सौदी ने दी थी, ऐसी बातचीत पाकिस्तान के विश्लेषक कर रहे है|
इस वजह से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पैर जमीन पर आए है और उन्होंने कुआलालंपूर समिट से दूर रहने का निर्णय किया| इस वजह से पाकिस्तान की विदेश नीति सार्वभूम नही, बल्कि दुसरे देश के इशारे पर ही पाकिस्तान काम करता है, यह बात दुनिया के सामने स्पष्ट हुई है और इस कारण पाकिस्तान के यह विश्लेषक अफसोस जता रहे है| इसके अलावा कडी भूमिका अपनाने का हौसला नही था तो कुआलालंपूर समिट का आयोजन करने के लिए प्रधानमंत्री इम्रान खान ने पहल क्यों की, यह सवाल भी यह विश्लेषक कर रहे है|
सौदी ने पाकिस्तान पर बनाए दबाव की बात दुनिया के सामने स्पष्ट होने के बाद तुर्की, ईरान, कतार और मलेशिया का अलग गुट स्थापन करने की दिशा में हो रही कोशिशों की ओर सौदी के काफी गंभीरता से देखने की बात भी स्पष्ट हुई है| अगले समय में सौदी अरब अपने नेतृत्व को चुनौती दे रहे तुर्की, ईरान, कतार और मलेशिया को सबक सिखाने के लिए कदम उठाने की कडी संभावना सामने आ रही है|
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