वॉशिंग्टन – कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर, चीन और रशिया जैसे देश अमरीका पर हावी ना हों, इसलिए अमरीका ने अंतरिक्षक्षेत्र में तेज़ गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। पिछले शुक्रवार को अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘स्पेस फोर्स’ के ध्वज का अनावरण करने के पश्चात्, एक के बाद एक घटित हो रहीं घटनाएँ इसकी पुष्टि करतीं हैं। इसमें ‘एक्स-३७बी’ इस ‘स्पेसप्लेन’ की उड़ान, ‘अर्ली वॉर्निंग सिस्टिम’ के लिए दिया काँट्रॅक्ट और १५० सॅटेलाईट्स् के ‘नेटवर्क’ का प्रस्ताव इनका समावेश है।
पिछले कुछ सालें में चीन और रशिया इन दोनों देशों ने अंतरिक्षक्षेत्र में प्रभुत्व स्थापित करने के लिए आक्रमक कदम उठाये हैं। कुछ ही दिन पहले चीन ने अपने ‘स्पेस स्टेशन’ के लिए ‘लॉंग मार्च ५बी’ इस रॉकेट का अंतरिक्ष में प्रक्षेपण किया था। उससे पहले चीन ने ‘अँटी सॅटेलाईट मिसाईल्स’ भी विकसित किया होने की जानकारी भी सामने आयी है। चाँद पर, साथ ही मंगल पर ऍस्ट्रोनॉट्स् भेजने की मुहिमें भी तेज़ कर दीं गयीं होकर, अंतरिक्ष में स्टेशन का निर्माण करने के लिए भी चीन प्रयास कर रहा है।
चीन की अंतरिक्ष की गतिविधियों को रशिया का साथ होने की बात स्पष्ट हुई है। चीन द्वारा शुरू की गयीं कई मुहिमों में रशियन कंपनियों तथा विशेषज्ञों का समावेश है। दोनों देशों में अंतरिक्षक्षेत्र में हुए समझौते इसकी पुष्टि करनेवाले हैं। इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका ने शुरू कीं हुईं गतिविधियाँ महत्त्वपूर्ण साबित होतीं हैं।
अमरीका के रक्षा विभाग ने सोमवार को, ‘नॉथ्रोप ग्रुमन’ कंपनी को दो ‘बॅलिस्टिक मिसाईल अर्ली वॉर्निंग सॅटेलाईट’ का निर्माण करने के लिए २.३७ अरब डॉलर्स का काँट्रॅक्ट दिया गया है, यह घोषित किया। इनमें से सात करोड़ डॉलर्स तुरंत उपलब्ध करा दिये गए हैं। आनेवालें पाँच सालों में ये सॅटेलाईट ‘स्पेस फोर्स’ के हवाले कर दिए जायें, ऐसे निर्देश भी दिये गए हैं, ऐसा सूत्रों ने बताया। ये नये सॅटेलाईट्स् फिलहाल कार्यरत होनेवाली ‘स्पेस बेस्ड इन्फ्रारेड सिस्टिम’ का स्थान लेंगे, ऐसी जानकारी दी गयी है।
इस यंत्रणा के साथ ही, पृथ्वी के वातावरण में ‘हायपरसोनिक वेपन्स’‘ पर नज़र रखने के लिए पूरे १५० सॅटेलाईट्स् का ‘नेटवर्क’ बनाने की भी तैयारी शुरू हुई है। अमरीका की ‘स्पेस डेव्हलपमेंट एजन्सी’ ने इस संदर्भ में निविदाएँ जारी कीं होने की जानकारी एक अमरिकी वेबसाईट ने दी है। यह नेटवर्क सन २०२४ तक कार्यरत करने की योजना है। चीन तथा रशिया तेज़ी से हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र विकसित कर रहे होते समय, अमरीका द्वारा निर्माण किया जानेवाला यह नेटवर्क ग़ौरतलब साबित हो रहा है।
अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले दो सालों में अमरीका की अंतरिक्ष में सिद्धता बढ़ाने के लिए पहल की है। अमरिकी रक्षादल की छठीं कमांड के रूप में की हुई ‘स्पेस फोर्स’ की स्थापना और उसके लिए किया हुआ ७० अरब डॉलर्स से भी अधिक निधि का प्रावधान इन जैसे फ़ैसलें इसकी गवाही दे रहे हैं।
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