येरेवान/मॉस्को – आर्मेनिया की सुरक्षा के लिए खतरा निर्माण हुआ तो रशिया लष्करी हस्तक्षेप करके आर्मेनिया की ज़िम्मेदारी उठाएगी, यह इशारा आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशनियान ने दिया है। बीते १० दिनों से आर्मेनिया-अज़रबैजान के बीच जोरदार युद्ध हो रहा है और दोनों ओर बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ है। इस युद्ध में तुर्की ने अज़रबैजान को खुलेआम सहायता प्रदान की है और नागोर्नो-कैराबख प्रांत पर पूरी तरह से कब्जा किए बगैर पीछे नहीं हटेंगे, यह इशारा भी दिया है। उसी समय रशिया की गुप्तचर यंत्रणा ने युद्ध जारी रहा तो नागोर्नो-कैराबख इस्लामी आतंकियों का अड्डा बनेगा, यह इशारा दिया है।
आर्मेनिया में रशिया का लष्करी अड्डा मौजूद है और संयुक्त हवाई सुरक्षा यंत्रणा भी सक्रिय है। दोनों देशों के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते में आर्मेनिया की सुरक्षा का मुद्दा उपस्थित होने पर इस अड्डे पर तैनात रशियन सेना हस्तक्षेप करेगी, यह ज़िक्र स्पष्ट तौर पर किया गया है। रशिया को कब हस्तक्षेप करना है, इस मुद्दे के प्रावधान भी स्पष्ट तौर पर दर्ज़ किए गए हैं और रशिया इस समझौते का पालन करेगी, यह उम्मीद है, इन शब्दों में आर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में रशिया जल्द ही उतर सकती है, यह संकेत दिए हैं। बीते १० दिनों में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने आर्मेनिया के प्रधानमंत्री से दो बार चर्चा की है। इससे आर्मेनियन प्रधानमंत्री ने किया बयान ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित हो रहा है।
आर्मेनिया के ग्यूम्रिशहर में रशिया का लष्करी अड्डा कार्यरत है और वहां पर तीन हज़ार सैनिक तैनात हैं। इसके अलावा टैंक, तोप, बख्तरबंद गाड़ियों के साथ ‘मिग-२९’ लड़ाकू विमान और ‘एस-३००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा भी तैनात होने की बात कही जाती है। कुछ वर्ष पहले इस अड्डे का कमांडर रहे रशियन अधिकारी ने नागोर्नो-कैराबख पर कब्ज़ा करने के लिए अज़रबैजान ने लष्करी कार्रवाई की तो उसमें रशिया की सेना उतरेगी, यह बयान किया था। लेकिन, फिलहाल शुरू युद्ध की पृष्ठभूमि पर रशियन सेना ने अभी कुछ भी प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं की है।
इसी बीच, रशिया की गुप्तचर यंत्रणा ने आर्मेनिया-अज़रबैजान में जारी युद्ध की पृष्ठभूमि पर खाड़ी क्षेत्र से आतंकी और भाड़े के हमलावर बड़ी संख्या में पहुँचने की चेतावनी दी है। नागोर्नो-कैराबख में सैंकड़ों चरमपंथी दाखिल हुए हैं और हज़ारों दाखिल होने की तैयारी में हैं। इनका आना ऐसे ही जारी रहा तो दक्षिणी कॉकेशस क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के लिए नया अड्डा बन सकता है। इस क्षेत्र से रशिया के साथ नज़दिकी देशों में आतंकी हमले हो सकते हैं, यह इशारा रशिया के ‘एसवीआर फॉरेन इंटेलिजन्स सर्विसेस’ के प्रमुख सर्जेई नैरिश्किन ने दिया है। सीरिया के राष्ट्राध्यक्ष बशर अल अस्साद ने भी तुर्की ने अज़रबैजान के युद्ध में सीरियन आतंकियों को भेजने का दावा किया है और सीरिया इसके सबूत दे सकती है, यह बात भी कही है।
इससे पहले फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने यह आरोप किया था कि, तुर्की ने आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में आतंकियों को उतारा है। तुर्की ने इन आरोपों से इन्कार किया था फिर भी आतंकियों के शामिल होने के वीडियो जारी हुए हैं। सीरिया के स्थानीय गुटों ने इसकी पुष्टी की है और तुर्की की सिक्युरिटी कंपनियां इसमें शामिल होने का दावा किया जा रहा था। तुर्की के करीबन १५० लष्करी अधिकारी और सलाहकार भी अज़रबैजान में तैनात होने की बात कही जा रही है।
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