तैपेई/वॉशिंग्टन – चीन की धमकी नज़रंदाज़ करके अमरीका ने तैवान को ४०० ‘ऐंटी शिप क्रूज़ मिसाइल’ प्रदान करने का निर्णय किया है। अमरिकी विदेश विभाग ने यह जानकारी साझा की है और इसके अनुसार २.३७ अरब डॉलर्स के ‘हार्पून मिसाइल’ तैवान को प्रदान होंगे। चार दिन पहले ही अमरीका ने तैवान को हवा से जमीन पर हमला करनेवाले १३५ मिसाइलों से सज्जित करने का निर्णय घोषित किया था। अमरीका से तैवान को एक के बाद एक प्रदान हो रहे इन मिसाइलों की वजह से चीन काफी बौखला गया है और इसी स्थिति में चीन ने अब अमरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का इशारा भी दिया है।
बीते कुछ महीनों में अमरीका ने तैवान की रक्षा तैयारी बढ़ाने की गतिविधियों को गति प्रदान की है। दो सप्ताह पहले ही अमरिकी विदेश विभाग ने तैवान को नए हथियारों की बिक्री करने के लिए मंजूरी दी थी। इसमें ‘हायमर्स’ नामक रॉकेट यंत्रणा, हवा से जमीन पर हमला करनेवाले ‘स्लैमइआर’ मिसाइल और ‘एफ-१६’ लड़ाकू विमानों के लिए ‘एक्सटर्नल सेन्सर पॉडस्’ का समावेश था। अगस्त में अमरीका ने तैवान को ६६ प्रगत ‘एफ-१६ वी’ लड़ाकू विमान प्रदान करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अलावा ड्रोन्स, स्मार्ट माईन्स और पैलाडिन होवित्ज़र्स के आदान-प्रदान को लेकर बातचीत शुरू होने की जानकारी तैवान ने साझा की थी। इस पृष्ठभूमि पर तैवान को ‘हार्पून मिसाइल’ प्रदान करने का निर्णय होना ध्यान आकर्षित करता है।
‘हार्पून ब्लॉक-२’ ‘सबसोनिक’ वर्ग के जहाज़-विरोधी मिसाइल हैं और इनकी मारक क्षमता करीबन २८० किलोमीटर्स है। पानी की सतह से काफी कम ऊंचाई पर से हमला करने के लिए सक्षम यह ‘हार्पून मिसाइल’ मिसाइल विरोधी यंत्रणा को चकमा दे सकती है। अमरिकी विदेश विभाग ने ४०० मिसाइलों के साथ १०० सिस्टम लौंचर युनिट्स, २५ राड़ार ट्रक्स एवं पुर्जे प्रदान करने के लिए भी मंजूरी दी है। अमरीका ने इससे पहले भी तैवान को मिसाइलों की आपूर्ति की है लेकिन, एक ही समय पर इतनी बड़ी मात्रा में मिसाइल प्रदान करने का यह पहला अवसर है। इससे पहले दिए गए मिसाइल एवं तैवान ने निर्माण किए स्वदेशी मिसाइल एवं हार्पून मिसाइलों के बल पर तैवान चीन के विरोध में प्रभावी ‘डिफेन्स वॉल’ का निर्माण कर सकेगा, यह दावा विश्लेषक कर रहे हैं।
इसी बीच, अमरीका ने एक के बाद एक तैवान को हथियारों की सहायता प्रदान करने पर चीन काफी बौखलाहट में है। इससे पहले अमरीका को दिए गए इशारों का थोड़ा भी असर ना होने से चीन ने अब अमरिकी कंपनियों को लक्ष्य करने का निर्णय किया है। अमरिकी रक्षा क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां लॉकहिड मार्टिन, बोर्इंग और रेथॉन पर प्रतिबंध लगाने का इशारा चीन के विदेश विभाग ने दिया है। चीन के राष्ट्रीय हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए यह निर्णय करने का बयान विदेश विभाग के प्रवक्ता झाओ लिजिअन ने किया है।
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