अमेरिका से तैवान को पहली बार लश्करी सहायता प्राप्त होगी

तैवान के पास वाले फिलिपिनी बेट पर बंदरगाह विकसित करने हेतु अमेरिका की गतिविधियां

वॉशिंग्टन/तैपेई/मनिला – अमेरिका ने पहली बार तैवान को सीधी लश्करी सहायता प्रदान करने के लिए मंजूरी दी है। बायडेन प्रशासन के निर्णयानुसार, तैवान को ’फॉरेन मिलिटरी फाइनान्सिंग’ अंतर्गत आठ करोड डॉलर्स के शस्त्रों की सहायता दी जाएगी। अमेरिका की घोषणा पर चीन से तीव्र प्रतिक्रिया आई है और चीन के संरक्षादल इसका योग्य प्रत्युत्तर देंगे, ऐसा इशारा चीन के संरक्षण विभाग ने दिया। तो, अमेरिका ने तैवान के पास वाले सागरी क्षेत्र में ’बातानेस’ नामक फिलिपिनी बेट पर बंदरगाह विकसित करने के संकेत दिए हैं। यह बेट तैवान से १२५ मील की दूरी पर है।

लश्करी सहायता

चीन की विस्तारवादी कार्यवाईयां तथा नित्य दी जानेवाली धमकियों की पृष्ठभूमि पर अमेरिका ने तैवान को संरक्षण तत्पर बनाने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरु की हैं। पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने तैवान को अरबों डॉलर्स की लश्करी सहायता की घोषणा की है। अमेरिका की यह सहायता ’फॉरेन मिलिटरी सेल्स प्रोग्राम’ के अंतर्गत था। इससे प्रमुखरूप से तैवान को शस्त्रास्त्रों की बिक्री की जाती थी। मगर महीने पहले ही अमेरिका के संरक्षा विभाग ने ‘प्रेसिडेंशियल ड्रॉडाऊन ऑथॉरिटी-पीडीए’ अंतर्गत तैवान को एक अरब डॉलर्स तक की लश्करी सहायता प्रदान की जाएगी, ऐसी घोषणा की थी।

लश्करी सहायता

इसलिए अमेरिका के पास मौजूद शस्त्रभंडार से तैवान को शस्त्रों की सीधे आपूर्ति करने का मार्ग साफ हो गया था। ‘फॉरेन मिलिटरी फाईनान्सिंग’ (एफएमएफ) इसीका अगला पडाव माना जाता है। इस योजना के तहत तैवान जो शस्त्र खरीद रहा है उनके लिए अमेरिका द्वारा निधि की आपूर्ति की जाएगी। पहली किश्त में आठ करोड डॉलर्स की निधि की घोषणा की गई है और यह निधि मिलाइलें, कोस्टल डिफेन्स सिस्टम्स, ड्रोन्स की खरीदारी के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे, ऐसा कहा जाता है। अमेरिका की ‘एफएमएफ’ योजना सार्वभौम देशों को लश्करी सहायता प्रदान के लिए इस्तेमाल की जाती है। ऐसी योजना के लिए तैवान का चयन करके अमेरिका ने चीन को संदेश भेजा है, ऐसा कहा जाता है।

लश्करी सहायता

इससे पहले अमेरिका द्वारा तैवान को दी गई शस्त्र सहायता अभी तक तैवान को नहीं मिली है। बायडेन प्रशासन द्वारा बडे पैमाने पर भले ही हुआ हो पर युक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर अमेरिका अपना अधिकांश ध्यान युक्रेन की ओर मोडा था। इसलिए तैवान सरकार से भी अमेरिका के खिलाफ नाराजगी के बोल निकले थे। अमेरिका की सहायता तैवान तक पहुंचने के लिए अब भी बरसों लग सकते हैं। इससे पहले चीन ने तैवान पर लश्करी हमले की जल्दबाजी की तो तैवान का बडा नुकसान हो सकता है। इस पृष्ठभूमि पर युक्रेन के युद्ध से सबक सीखकर, बायडेन प्रशासन तैवान को तुरंत शस्त्रभंडार की आपूर्ति करे, ऐसा आवाहन अमेरिका स्थित रिपब्लिकन नेता और लश्करी विश्लेषकों ने किया था।

इस दौरान, तैवान को सीधी लश्करी सहायता देने की घोषणा करनेवाली अमेरिका द्वारा फिलिपाईन्स में ’बातानेस बेट पर बंदरगाह विकसित करने के संकेत दिए हैं। चीन के तैवान अथवा आग्नेय एशियाई देशों में किसे देश पर हमला किया तो सागरी यातायात के मार्ग संकट में पड सकते हैं। इस संभावना को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने इस क्षेत्र में अपनी नौदल तैनाती बढाने की शुरुआत की है। फिलीपाईन्स के बेट विकसित करना भी इसी का भाग माना जाता है। इससे पहले भी फिलीपाईन्स के विभिन्न नौदल तलों के इस्तेमाल करने का करार करके चीन को इशारा दिया था।

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