अज़रबैजान के सात हज़ार से भी अधिक सैनिक मार गिराने का आर्मेनिया का दावा

अज़रबैजान के सात हज़ार से भी अधिक सैनिक मार गिराने का आर्मेनिया का दावा

येरेवान/बाकु – बीते ४० दिनों से भी अधिक समय से चल रहे आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में अज़रबैजान के सात हज़ार से भी अधिक सैनिकों को मार गिराने का दावा आर्मेनिया ने किया है। अज़रबैजान के २६० से भी अधिक ड्रोन्स और २५ विमान नष्ट करने का दावा भी किया गया है। नागोर्नो-कैराबख में मौजूद आर्मेनिया के करीबन १,२०० से भी अधिक सैनिक और नागरिक इस युद्ध में मारे गए हैं, ऐसा भी बताया जा रहा हैं। इस पृष्ठभूमि पर, नज़दिकी दिनों में आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में सबसे अधिक खून-खराबा करनेवाली एवं निर्णायक लड़ाई दिखाई देगी, यह दावा ब्रिटीश पत्रकार एवं विश्‍लेषक थॉमस डे वॉल ने किया है।

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आर्मेनिया और अज़रबैजान के जारी युद्ध में बीते कुछ दिनों से अज़रबैजान को बड़ी सफलता प्राप्त होने के दावे सामने आ रहे हैं। दो दिन पहले ही अज़रबैजान के राष्ट्राध्यक्ष ने नागोर्नो-कैराबख क्षेत्र के करीबन २०० गांवों पर कब्ज़ा करने का दावा किया था। तुर्की की सहायता प्राप्त होनेवाली अज़रबैजान की सेना नागोर्नो-कैराबख के दूसरे क्रमांक के शुशा शहर की सीमा पर पहुँचने की बात कही जा रही है। लेकिन, यह सारी क़ामयाबी प्रदर्शित करते समय अज़रबैजान ने अपनी सेना के हुए नुकसान की जानकारी देना टाल दिया था। नागोर्नो-कैराबख में आर्मेनियन सेना अपने नुकसान की जानकारी सार्वजनिक कर रही थी; वहीं, अज़रबैजान ने अपनायी गुप्तता संदिग्ध साबित हुई थी। ऐसें में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने पिछले सप्ताह में, आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में दोनों ओर से कुल पांच हज़ार से भी अधिक लोग मारे गए हैं, यह बयान किया था। इस वजह से, इस युद्ध में अज़रबैजान का काफी नुकसान होने के हो रहें दावों की पुष्टि हुई थी।

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इस पृष्ठभूमि पर, आर्मेनिया ने अज़रबैजान के हुए नुकसान की जानकारी घोषित करना ध्यान आकर्षित करता हैं। आर्मेनिया के ‘युनिफाईड इन्फो सेंटर’ ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार, इस युद्ध में अबतक अज़रबैजान के ७,५१० सैनिक मारे गए हैं। आर्मेनिया की सेना ने अज़रबैजान के ७५० से भी अधिक बख्तरबंद गाड़ियां और टैंक ध्वस्त किए हैं और २६२ ड्रोन्स गिराने में कामयाबी हासिल की है। अज़रबैजान के २५ विमान और १६ हेलिकॉप्टर भी नष्ट करने का दावा आर्मेनिया ने किया है। आर्मेनिया-अज़रबैजान के युद्ध में अज़रबैजान का आर्मेनिया से भी अधिक नुकसान होने की बात इससे दिख रही है। इतनी बड़ी मात्रा में नुकसान होने के बावजूद अज़रबैजान ने, नागोर्नो-कैराबख के लिए हो रहा संघर्ष अधिक तीव्र करने के संकेत दिए हैं।

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नागोर्नो-कैराबख पर नियंत्रण पाने के लिए शुशा शहर पर कब्जा करना आवश्‍यक बनता है। अज़रबैजान की सेना इस शहर की सीमा पर पहुँची हैं और अगले कुछ दिनों में शुशा के लिए निर्णायक संघर्ष होगा, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं। ब्रिटीश पत्रकार थॉमस डे वॉल ने, आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में अगले कुछ दिनों में सबसे अधिक खून-खराबा दिखाई देगा, यह चेतावनी भी दी है। कैनेड़ियन विश्‍लेषक नील हाऊर ने भी, शुशा की लड़ाई इस युद्ध में निर्णायक क्षण साबित होगी, यह दावा किया है। इसी बीच उन्होंने, अज़रबैजान के राष्ट्राध्यक्ष ने किए बयान की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। शुशा को आज़ाद किए बिना अज़रबैजान की जीत पूरी नहीं होगी, यह बयान राष्ट्राध्यक्ष इलहाम अलीयेव्ह ने किया था। बीते कुछ दिनों में अज़रबैजान द्वारा शुशा और अन्य क्षेत्रों में हो रहें हमलों की तीव्रता और दायरा बढ़ने की जानकारी भी नागोर्नो-कैराबख के गुटों ने प्रदान की है।

इसी बीच, रशिया की गुप्तचर यंत्रणा ने फिर एक बार, आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में उतारें गए आतंकियों को लेकर सख्त चेतावनी दी है। सैकड़ों आतंकी नागोर्नो-कैराबख युद्ध में शामिल होने के लिए इस क्षेत्र में पहुँच रहे हैं। इससे पहले हज़ारों आतंकी इस युद्ध में उतरें होने की जानकारी प्राप्त हुई हैं। इन आतंकियों की वजह से साउथ कॉकेशस का हिस्सा आन्तर्राष्ट्रीय आतंकी संगठनों के लिए नया अड्डा बन सकता है। यहां से ये आतंकी रशिया समेत अन्य देशों में प्रवेश करके हमलें कर सकेंगे, ऐसी चेतावनी रशिया की ‘एसव्हीआर फॉरेन इंटेलिजन्स सर्व्हिस’ के प्रमुख सर्जेई नैरिश्‍किन ने दिया है। रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह ने कुछ दिन पहले ही खाड़ी क्षेत्र के दो हज़ार से भी अधिक आतंकी आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में शामिल होने का बयान करके तुर्की को निशाना किया था। रशिया की चेतावनी की पृष्ठभूमि पर ईरान ने, आर्मेनिया और अज़रबैजान की सीमा पर अतिरिक्त सेना तैनात करना शुरू किया है, यह जानकारी स्थानिय वृत्तसंस्था ने साझा की है।

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