मास्को – अमरीका के नए राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने रशिया के विरोध में आक्रामक नीति अपनाने का निर्णय करने के बाद रशिया ने भी इसके विरोध में तेज़ी से कदम उठाना शुरू किया हैं। राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने बीते हफ्ते ‘नॉर्वे’ स्थित हवाई अड्डे पर ‘बी-१ बॉम्बर्स’ तैनात करने के आदेश दिए थे। अमरीका के यह विमान यूरोप में दाखिल होने से पहले ही रशिया ने आर्क्टिक क्षेत्र में अपने प्रगत ‘बॉम्बर्स’ की गश्त बढ़ाई हैं। रशियन बॉम्बर्स ने कुछ दिन पहले ही आर्क्टिक क्षेत्र के आईसलैण्ड और नॉर्वे की हवाई सीमा के करीब उड़ान भरने की जानकारी सामने आयी हैं।
ऐसें में अब अमरीका के चार ‘बी-१ बॉम्बर’ विमान इसी हफ्ते नॉर्वे स्थित ‘ऑरलैण्ड’हवाई अड्डे पर दाखिल हो रहे हैं। इन विमानों के साथ २०० सैनिकों का दल की भी नॉर्वे के अड्डे पर तैनाती हो रही हैं। इन ‘बॉम्बर्स’ की तैनाती की पूर्वतैयारी करने के लिए वायुसेना का छोटा दल पहले ही नॉर्वे पहुँचा होने की जानकारी सूत्रों ने साझा की हैं। अमरीका ने स्वतंत्र तौर पर नॉर्वे के अड्डे पर अपने ‘बॉम्बर’ विमान तैनात करने का यह पहला ही अवसर साबित होता हैं।
अमरिकी बॉम्बर्स की इस तैनाती की पृष्ठभूमि पर रशिया ने अपने प्रगत ‘टीयू १६० बॉम्बर’ विमानों को नॉर्वे और आईसलैण्ड की सीमा के करीब रवाना करने की बात स्पष्ट हुई हैं। इन बॉम्बर्स के साथ ही लड़ाकू ‘मिग-३१’ विमानों को भी इस मुहीम पर भेजा गया था, ऐसी जानकारी रशियन सूत्रोंन प्रदान की हैं। रशिया ने इससे पहले आर्क्टिक क्षेत्र में बॉम्बर्स और लड़ाकू विमानों की सहायता से गश्त लगाई हैं, फिर भी नॉर्वे-आईसलैण्ड की सीमा के करीबी क्षेत्र में रशिया ने अपने ‘बॉम्बर्स’ भेजने का यह पहला ही अवसर होने की बात कही जा रही हैं।
रशिया की यह तैनाती अमरीका को चेतावनी देने की गतिविधियों का हिस्सा होने की बात समझी जा रही हैं। अमरीका ने नॉर्वे में बॉम्बर्स तैनात करने का निर्णय करने के बाद रशिया के विदेश विभाग ने बयान की हुई प्रतिक्रिया इसकी पुष्टी करनेवाली साबित होती हैं। ‘रशिया की सीमाओं पर तनाव में बढ़ोतरी होते समय हम शांत रहने की भाषा नही कर सकते। रशिया के विरोध में लष्करी कार्रवाई करने के लिए यूरोपिय देशों में रिहर्सल करने के लिए आवश्यक मैदान तैयार किया जा रहा हैं’, ऐसा दावा विदेश विभाग की प्रवक्ता मारिआ झाखारोव्हा ने किया था।
रशिया ने बीते कुछ वर्षों में आर्क्टि में अपने रक्षा अड्डों की संख्या और वहां पर हुई तैनाती बढ़ी मात्रा में बढ़ाई थी। रशियन लड़ाकू विमान और पनडुब्बियों की वहां पर बढ़ती मौजूदगी यूरोपिय देशों के लिए चिंता का विषय बना था। लेकिन, यह सभी तैनाती आत्मसुरक्षा के लिए होने की बात रशिया ने समय समय पर स्पष्ट की हैं।
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