अंकारा/अथेन्स – तुर्की की सीमा के करीब होने वाले ‘एजिअन सी’ क्षेत्र में ग्रीस ने युद्धपोत तैनात किए होने का आरोप तुर्की ने किया। तुर्की चर्चा और बातचीत के माध्यम से समस्या का हल निकालने के लिए गतिविधियाँ कर रहा होने के बावजूद भी ग्रीस उकसानेवालीं गतिविधियाँ कर रहा है, ऐसा आरोप तुर्की द्वारा किया गया है। नाटो की मध्यस्थता से ग्रीस और तुर्की के बीच भूमध्य सागरी क्षेत्र के विवाद के संदर्भ में चर्चा शुरू है। लेकिन यह चर्चा जारी होने के बावजूद भी तुर्की ने अपनी संशोधन मुहिमें जारी रखीं थीं। जवाब में ग्रीस ने भी अपनी रक्षा तैनाती कायम रखी है।
‘तुर्की द्वारा भूमध्य सागरी क्षेत्र के विवाद का हल निकालने के लिए सकारात्मक कोशिशें जारी हैं। लेकिन फिर भी ग्रीस गैरकानूनी और उकसानेवालीं हरकतें कर रहा है’, ऐसा आरोप तुर्की के रक्षा विभाग की प्रवक्ता मेजर पिनार कारा ने किया। ग्रीस ने तुर्की की सीमा के पास होनेवाले ‘कॅस्टेलोरिझो’ द्वीप के नजदीक युद्धपोत भेजा है, ऐसा तुर्की ने अपने आरोप में कहा है। लेकिन उसके बारे में अधिक जानकारी देना टाला है। उसी समय, तुर्की इसके आगे भी अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार शांति के मार्ग से बातचीत जारी रखेगा, ऐसा दावा भी किया।
भूमध्य सागरी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ईंधन के भंडार हैं, ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय सर्वे और रिपोर्टों से सामने आया है। उसमें से अधिक से अधिक क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए तुर्की ने हरकतें शुरू की हैं। भूमध्य सागर में ग्रीस तथा सायप्रस के अधिकार में होनेवाले क्षेत्र पर अपना ही अधिकार होने के दावे तुर्की द्वारा किए जा रहे हैं। पिछले साल अगस्त महीने में, तुर्की ने ‘नॅव्हटेक्स अलर्ट’ जारी करके अपना ‘ओरुक रेईस’ यह ‘रिसर्च शिप’ दो जहाजों समेत भूमध्य सागरी क्षेत्र में संशोधन के लिए भेजा था।
उसी समय, भूमध्य सागर की शांति और स्थिरता को खतरा पहुँचानेवालीं गैरकानूनी हरकतें तुर्की फौरन बंद करें, ऐसी चेतावनी दी थी। अमरीका समेत युरोपीय महासंघ और नाटो ने भी तुर्की की हरकतों पर नाराज़गी ज़ाहिर की थी। अमरीका और युरोप ने ग्रीस का समर्थन करते हुए तुर्की पर दबाव डालने की शुरुआत की थी। इस कारण सितंबर महीने में तुर्की ने अपना जहाज भूमध्य सागर क्षेत्र से वापस बुलाकर ग्रीस के साथ चर्चा शुरू की थी। लेकिन उसके बाद पिछले पाँच महीनों में तुर्की ने लगातार सागरी मुहिमें चलाकर इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व दिखाने की कोशिश की है।
तुर्की की इस आक्रामकता को प्रत्युत्तर देने के लिए ग्रीस ने भी अपनी गतिविधियाँ तेज़ कीं हैं। पिछले साल अगस्त महीने से ग्रीस ने अमरीका, फ्रान्स तथा युएई के साथ स्वतंत्र रूप में रक्षा अभ्यास किए हैं। नवंबर महीने में भूमध्य सागरी क्षेत्र में हुए बहुराष्ट्रीय अभ्यास में इजिप्ट, सायप्रस, फ्रान्स और संयुक्त अरब अमिरात (युएई) यह देश भी सहभागी हुए थे। तुर्की की हरकतों को रोकने के लिए ग्रीस ने अपने रक्षा खर्च में पूरे ५७ प्रतिशत बढ़ोतरी करने का भी फैसला किया था।
इससे पहले ग्रीस ने बार-बार दी चेतावनी के बाद भी तुर्की ने अपने जहाज ग्रीक द्वीपों से महज़ १४ किलोमीटर्स के दायरे में भेजे थे। तुर्की के तटरक्षक बल ने ग्रीक जहाजों को धमकाने की खबर भी सामने आई थी। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने ग्रीस को बार-बार इतिहास की याद दिलाते हुए धमकाया भी था। इस पृष्ठभूमि पर, तुर्की ने ग्रीस पर उकसाने के आरोप करना यानी झूठीं शिकायतें मानीं जा रहीं हैं।
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