वॉशिंग्टन/काबुल – ‘जब अमरिकी सेना अफगानिस्तान से वापसी करेगी, तब तालिबान इस देश में सत्ता पर कब्जा करेगा। उसके बाद अफगानी शरणार्थियों की समस्या भयंकर स्वरूप धारण करेगी। उस समय अफगानिस्तान से सेनावापसी करने के भयंकर परिणामों के लिए अमरीका तैयार रहें’, ऐसी तीखी चेतावनी पूर्व विदेश मंत्री हिलरी क्लिंटन ने दी है। अमरिकी सेना की वापसी की प्रक्रिया जारी रहते समय , पूर्व विदेश मंत्री क्लिंटन ने दी यह चेतावनी बायडेन प्रशासन की नींद गायब करनेवाली साबित हो सकती है।
अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने ११ सितंबर तक पूरी सेनावापसी की घोषणा करने के बावजूद भी तालिबान उससे संतुष्ट नहीं है। अमरीका की सेनावापसी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी तालिबान ने पिछले २४ घंटों में अफगानिस्तान में १४१ हमले किए होकर, उनमें २० लोगों की जान जाने की जानकारी सामने आ रही है। इस कारण, वापसी कर रही अमरीका की सेना सुरक्षित नहीं रही है। इन सैनिकों की सुरक्षा के लिए अमरीका को नई तैनाती करनी पड़ी थी। इससे तालिबान के इरादे जगजाहिर हुए हैं।
अफगानी न्यूज़ चैनल ने दी जानकारी के अनुसार, अप्रैल महीने में ही तालिबान ने अफगानिस्तान में १९० बम हमले किए थे। उनमें अफगानी सुरक्षा बलों के ४३८ जवानों की मृत्यु हुई और पाँच सौ से भी अधिक लोग घायल हुए। अमरीका की सेनावापसी के २४ घंटों में तालिबान के हमलों में हुई बढ़ोतरी चिंताजनक है, ऐसा अफगानी माध्यमों का कहना है। पूर्व विदेश मंत्री हिलरी क्लिंटन ने भी अमरिकी न्यूज़ चैनल से बातचीत करते समय, अफगानिस्तान की भीषण परिस्थिति के संदर्भ में चेतावनी दी ।
‘अफगानिस्तान में सेना तैनात रखना या वापसी करना, इसपर फैसला करना यह हमेशा ही भयंकर समस्या रही है। लेकिन अब उसका फैसला हुआ होकर, उसके दो भयंकर परिणामों के लिए अमरीका तैयार रहें’, ऐसा क्लिंटन ने जताया। ‘इस सेना वापसी के बाद अफगानिस्तान के विभिन्न प्रांतों में गृहयुद्ध भड़केगा। इस गृहयुद्ध के कारण अफगानिस्तान की सरकार गिरेगी और तालिबान इस देश की सत्ता पर कब्ज़ा करेगा। यहाँ के अधिकांश भाग पर तालिबान का वर्चस्व होगा। इसी के साथ शरणार्थियों की दूसरी बड़ी समस्या भी आ धमकेगी’, ऐसा क्लिंटन ने कहा।
तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद, अल कायदा और आयएस इन आतंकवादी संगठनों की गतिविधियाँ फिर से तीव्र होंगी। अतः इस वापसी के साथ अमरीका उसके नए परिणामों के लिए भी तैयार रहें, ऐसा क्लिंटन ने जताया। पिछले हफ्ते में, अफगानिस्तान से सेना वापसी की प्रक्रिया शुरू होने के कुछ घंटे पहले, अमरिकी कॉंग्रेस की ‘फॉरेन अफेअर्स कमिटी’ के सामने बात करते समय भी, क्लिंटन और अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री कॉंडोलिझा राईस ने इस सेनावापसी के फैसले की कड़ी आलोचना की थी। राईस ने तो, अफगानिस्तान में फिर से सेना तैनात करने की आवश्यकता निर्माण होगी, ऐसा डटकर कहा था।
इसी बीच, अफगानी लष्कर द्वारा तालिबान के हमलों का प्रत्युत्तर दिया जा रहा है। पिछले चौबीस घंटों की कार्रवाई में १०० से भी अधिक तालिबानी आतंकियों को मार गिराया होने की घोषणा अफगानी रक्षा मंत्रालय ने की है। ऐसा होने के बावजूद भी तालिबान के हमलों में बढ़ोतरी हो रही होकर, दो लष्करी अड्डों पर पर हमले करने की खबरें भी सामने आईं थीं। इन हमलों में अमरिकी लष्कर का नुकसान हुआ नहीं है, ऐसा घोषित किया गया है। लेकिन इन हमलों के जरिए तालिबान ने अपनी क्षमता दिखायी दिख रही है। उसी समय, तालिबान के नए हमले की संभावना भी बड़ी है।
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