जेरूसलम – ‘गाज़ा में हमास के साथ हुए संघर्ष के दौरान इस्रायल की सेना ने ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ (एआय) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ‘सुपर कॉम्प्युटिंग’ का इस्तेमाल किया। हमास के हज़ारों रॉकेटस् के विरोध में इस्रायल ने लड़ा हुआ यह पहला ‘एआय युद्ध’ था और यह तकनीक इस्रायली सेना के सामर्थ्य में गुणात्मक बढ़ोतरी करनेवाली साबित हुई’, ऐसा ऐलान इस्रायल के सेना अधिकारी ने किया है। साथ ही, युद्धविराम का ऐलान हुआ हैं, फिर भी यह युद्धविराम ज्यादा समय तक जारी नही रहेगा और अगले संघर्ष के लिए इस्रायल पूरी तरह से तैयार होने की चेतावनी भी इस सेना अधिकारी ने दी है।
११ दिनों के इस घनघोर संघर्ष के दौरान हमास को बड़े झटके दिए होने का दावा इस्रायली सेना कर रही है। इस संघर्ष में हमास के वरिष्ठ नेता और कमांडर्स बड़ी संख्या में मारे गए हैं। इनमें से कुछ नेता और कमांड़र्स का स्थान ले सकें, ऐसें अन्य कमांडर्स हमास के पास ना होने की बात कही जा रही है। साथ ही, हमास ने गाज़ा में स्थापित किया हुआ भूमिगत रास्तों का नेटवर्क और नौसेना के अड्डे भारी मात्रा में नष्ट किए होने का बयान इस्रायली सेना ने किया था। हमास और इस्लामिक जिहाद के आतंकी हर रोज़ सैकड़ों की तादात में रॉकेटस् दाग रहे थे और ऐसें में इस्रायल की सेना को प्राप्त हुई सफलता का श्रेय ‘एआय’ पर आधारित तकनीक को जाता है, यह जानकारी सेना के वरिष्ठ अफसर ने स्थानीय माध्यमों को प्रदान की।
‘इस्रायली सेना के लिए ‘एआय’ के बलबूते पर लड़ी गई यह पहली ही मुहिम थी। इस वजह से हमास और इस्लामिक जिहाद के नेता, वरिष्ठ कमांडर्स और आतंकी जहाँ छुपे थे, उस स्थान पर सटीक हमलें करना एवं इन आतंकी संगठन के ठिकाने नष्ट करना आसान हुआ’, यह बात इस्रायली सेना अधिकारी ने स्पष्ट की। इसके लिए इस अफसर ने, ‘एआय’ का इस्तेमाल करके हमास का वरिष्ठ नेता बासेम इस्सा और इस्लामिक जिहाद का वरिष्ठ कमांडर हसन अबू हरबिद के विरोध में हुई कार्रवाई का हवाला दिया।
इस्रायल के हवाई हमलें शुरू होते ही हमास का नेता इस्सा, भूमिगत मार्ग में अपने साथी के साथ छुपा था। छह स्कूल और अस्पतालों से घिरे इस भूमिगत मार्ग में ठीक जहाँ पर इस्सा छुपा हुआ था, वहीं पर इस्रायल ने सटीक हमलें किए। इसमें इस्सा और उसके साथ छिपा हमास के सायबर और मिसाइल कमांड का प्रमुख एवं अन्य आतंकी मारे गए। इसके अलावा रिहायशी इमारत में अपने मित्र के घर में एक स्वतंत्र रूम में बैठें हरबिद पर भी ‘एआय’ की सहायता से हमला किया गया। इस हमले में सिर्फ हरबिद ढ़ेर हुआ और वह जहाँ छिपा बैठा था, उस घर का भी नुकसान नहीं हुआ। इन दोनों कार्रवाइयों में आतंकियों के अलावा पैलेस्टिनी नागरिकों की जानों का नुकसान नहीं हुआ, ऐसें दावे इस्रायली अफसर ने किए हैं।
इसके अलावा अन्य कार्रवाई में भी ‘एआय’ का बड़ा इस्तेमाल होने की बात इस्रायली सेना अधिकारी ने स्पष्ट की। लेकिन, हमास के साथ हुए इस संघर्ष में उतरने से पहले, इस्रायली सेना ने लगातार दो वर्ष तक गाज़ापट्टी, हमास और अन्य आतंकी संगठनों के ठिकाने, भूमिगत मार्ग की पूरी जानकारी हासिल की थी। इसमें ‘सिग्नल इंटेलिजन्स’, ‘व्हिज्युअल इंटेलिजन्स’, ‘जिओग्राफिकल इंटेलिजन्स’ और गुप्तचर विभाग की जानकारी और अन्य मुद्दों का भी समावेश था।
इसके बलबूते पर इस्रायली सेना के विशेष गुप्तचर विभाग ने ‘एलकेमिस्ट’, ‘गॉस्पेल’ और ‘डेप्थ ऑफ विस्डम’ जैसें प्रोग्राम तैयार किए थे। इन प्रोग्राम्स एवं ‘एआय’ का ही इस्तेमाल हमास विरोधी युद्ध में किया गया। ‘गॉस्पेल’ ने ‘एआय’ की जानकारी का इस्तेमाल करके, इस्रायली वायुसेना को हमास के ठिकानों की नई जानकारी प्रदान की। इस वजह से तेल अवीव और जेरूसलम पर होनेवाले कई हमलों से बचना संभव हुआ। तभी, ‘एलकेमिस्ट’ ने ‘एआय’ के सहयोग से प्राप्त हुई जानकारी की वजह से, इस्रायली सेना और अतिसंवेदनशील ठिकानों पर हमास के हमलें होने की जानकारी काफी पहले से ही प्राप्त करना आसान हुआ। इस वजह से सेना का बड़ा नुकसान होने से बचा, यह जानकारी इस्रायली सेना अधिकारी ने प्रदान की।
इसी बीच, विश्वभर के प्रमुख देशों ने ‘एआय’ पर आधारित ड्रोन्स, विमान, जहाज़, बख्तरबंद गाड़ियाँ, टैंक्स और रोबोचटस् का निर्माण शुरू करने की एवं कुछ देश ‘एआय’ से नियंत्रित होनेवाले हथियारों का परीक्षण करने की खबरें जारी हो रही हैं। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने कुछ वर्ष पहले यह बयान किया था कि, ‘एआय’ यानी आर्टिफिशल इंटेलिजन्स में सबसे प्रगति करनेवाला देश दुनिया पर राज्य करेगा।
ऐसीं अतिप्रगत तकनीक के क्षेत्र में इस्रायल काफी आगे बढ़ा है, यही बात इस्रायल ने दिखाई है। ११ दिनों के संघर्ष में इस्रायल को परास्त करने के दावे करके, हमास और इस्लामिक जिहाद संगठन गाज़ा में अपनी जीत मना रहे हैं। ११ दिनों का संघर्ष यानी हमास ने शुरू किया हुआ युद्ध था ही नहीं, बल्कि वह युद्धाभ्यास था, हमारी क्षमता इससे कई गुना अधिक है, ऐसें दावे हमास ने किए थे। विश्वभर के इस्रायल विद्वेषी भी इसपर संतोष व्यक्त कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस्रायल के सेना अधिकारी ने ‘एआय’ संबंधित प्रदान की हुई जानकारी सबको चौकानेवाली साबित होती है।
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