तैवान की हवाई सीमा में चीन ने की अब तक की सबसे बड़ी घुसपैठ

तैवान की हवाई सीमा में चीन ने की अब तक की सबसे बड़ी घुसपैठ

तैपेई/बीजिंग – तैवान की हवाई सीमा में प्रवेश करके सुरक्षा को खतरे में धकेल रहे चीनी विमान पीछे लौट जाएँ, वरना असके परिणामों के लिए सिर्फ वे ही ज़िम्मेदार होंगे, ऐसा तीखा इशारा तैवान की वायूसेना ने जारी किया। मंगलवार के दिन चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) के २८ विमानों ने तैवान की हवाई सीमा में घुसपैठ की। यह तैवान की हवाई सीमा में अब तक की सबसे बड़ी घुसपैठ है। अमरीका समेत अन्य प्रमुख देशों ने ‘जी ७’ एवं ‘नाटो’ की बैठक में चीन की आलोचना करके तैवान का खुलेआम समर्थन किया था। इससे बौखलाए चीन ने यह कार्रवाई की होगी, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

घुसखोरी, हवाई सीमा

मंगलवार की सुबह को तकरीबन ५.४५ बजे ‘पीएलए’ के विमानों ने तैवान की हवाई सीमा में घुसपैठ शुरू करने की जानकारी तैवान के वायूसेना ने प्रदान की। इसके बाद चार घंटों के दौरान चीन के २८ विमानों ने तैवान की सीमा में घुसपैठ की, ऐसा तैवान की वायुसेना के अधिकारी ने कहा है। घुसपैठ कर रहे चीन के इन विमानों में ‘शांक्सी वाय-८ एंटी सबमरिन एअरक्राफ्ट’ समेत ‘शांक्सी वाय-८ इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर एअरक्राफ्ट’, ४ ‘शिआन एच-६ बॉम्बर’, २ ‘शांक्सी केजे-५०० एअरबोर्न अर्ली वॉर्निंग ऐण्ड कंट्रोल एअरक्राफ्टस्‌’, १४ ‘शेनयांग जे-१६ फायटर जेटस्‌’ एवं ६ ‘शेनयांग जे-११ फायटर जेटस्‌’ का समावेश था। तैवान के रक्षा मंत्रालय ने निवेदन जारी करके इस घुसपैठ का ब्यौरा दिया।

जून में चीन के विमानों ने तैवान की सीमा में घुसपैठ करने का यह चौथा अवसर है। इससे पहले ३, ४ और १४ जून को चीन के विमानों ने तैवान की हवाई सीमा में घुसपैठ की थी। एक ही दिन में मात्र ४ घंटों के दौरान कुल २८ विमानों को भेजकर चीन ने तैवान पर अधिक दबाव बढ़ाया है। इससे पहले मार्च और अप्रैल में चीन ने २० एवं उससे अधिक विमानों की सहायता से तैवान की हवाई सीमा में घुसपैठ करने की बात स्पष्ट हुई थी। चीन द्वारा लगातार हो रही यह घुसपैठ यानी चीन ने तैवान के खिलाफ शुरू किया ‘ग्रे ज़ोन वॉरफअर’ का हिस्सा है।

घुसखोरी, हवाई सीमा

तैवान के विदेशमंत्री जोसेफ वु ने कुछ दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया को इसी मुद्दे पर इशारा दिया था। तब किए गए उनके बयान में उन्होंने तैवान बीते कुछ वर्षों से चीन के ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेअर’ का सामना कर रहा है, इस ओर ध्यान आकर्षित किया। वर्ष २०१० के बाद के दशक में चीन ने इस नीति का इस्तेमाल शुरू किया है और विमानों के साथ ही मछुआरों के सैंकड़ों हथियारबंद जहाज़ों के समावेश वाले ‘नेवल मिलिशिया’ का भी चीन इस्तेमाल कर रहा है। तैवान के रक्षाबलों को परेशान करके हमेशा के लिए दबाव में रखना ही इस हरकत का प्रमुख उद्देश्‍य होने की बात समझी जाती है।

मंगलवार के दिन चीनी विमानों की घुसपैठ हो रही थी, तभी चीनी पायलट एवं तैवान के अफसरों के बीच जुबानी संघर्ष होने की बात भी सामने आयी है। चीनी विमान के पायलटस्‌ ने तैवान की वायुसेना को ऐसा सुनाया कि, यह हमारा नियमित अभ्यास जारी है; कुछ समय तक किताब पढ़ें। इस पर तैवान के अफसरों ने घसुपैठी चीनी विमानों के पायलटस्‌ को संभावित दुर्घटना एवं परिणामों के लिए वे ही ज़िम्मेदार होंगे, यह इशारा देने की बात सामने आयी है।

कुछ विश्‍लेषकों ने चीनी विमानों की यह घुसपैठ ‘जी ७’ एवं ‘नाटो’ की बैठक में चीन के विरोध में अपनाई गई भूमिका पर प्रत्युत्तर देने की कोशिश का हिस्सा होने का दावा किया है। इस बैठक में ‘जी ७’ के सदस्य देशों ने तैवान को समर्थन घोषित किया था। इसका तैवान ने स्वागत किया था।

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