बीजिंग – ‘अमरीका की लष्करी सहायता पर पूरी तरह से निर्भर रहनेवाला जापान अकेले ही चीन का सामना करने का साहस नहीं रखता। इस वजह से तैवान की समस्या में लष्करी दखलअंदाज़ी करके जापान अपनी ही कब्र खोदेगा’, ऐसी धमकी चीन के सरकारी मुखपत्र ने दी है। चीन ने तैवान पर हमला किया तो अमरीका के साथ जापान भी इस संघर्ष में उतरेगा, यह ऐलान जापान के उप-प्रधानमंत्री तारो आसो ने चार दिन पहले ही किया थ। इस पर चीन की यह असली प्रतिक्रिया प्राप्त होती दिख रही है।
चीन ने बीते कुछ महीनों से तैवान के मुद्दे पर काफी आक्रामक लष्करी गतिविधियाँ शुरू की हैं। बीते महीने में एक ही दिन में चीन के २३ विमानों ने तैवान की हवाई सीमा में घुसपैठ की थी। इसके अलावा चीन के विमान वाहक युद्धपोत और विध्वंसकों ने तैवान की समुद्री सीमा के करीबी क्षेत्र में अपनी गतिविधियाँ बढ़ाई हैं। इसके अलावा चीन की सेना ने तैवान के पश्चिमी तट के सामने अपने मिसाइलों की तैनाती की खबरें प्राप्त हुई थीं। चीन की यह लष्करी गतिविधियाँ यानी तैवान पर कब्ज़ा करने की तैयारी होने की चिंता जताई जा रही है।
इस पर विश्वभर के प्रमुख लोकतांत्रिक देश चिंता जता रहा हैं। तैवान के पड़ोसी जापान से भी इस पर तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ हो रही है। बीते कुछ हफ्तों में जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा, रक्षामंत्री नोबुआ किशी, उप-रक्षामंत्री नाकायामा ने लगातार तैवान का मुद्दा उठाकर लोकतांत्रिक देशों को एकजूट करने के लिए आवाहन किया है। जापान के उप-प्रधानमंत्री तारो आसो ने भी यह ऐलान किया कि, हमारे देश की सुरक्षा तैवान से जुड़ी हुई है।
‘अगले दिनों में यदि तैवान पर हमला होता है तो इससे जापान के अस्तित्व को भी खतरा होगा। क्योंकि, तैवान पर हमला करने के बाद अगला लक्ष्य जापान होगा। ऐसा हुआ तो तैवान की सुरक्षा के लिए इस संघर्ष में जापान भी अमरीका के साथ उतरेगा’, यह ऐलान जापान के उप-प्रधानमंत्री ने किया था। इस पर आगबबूला हुए चीन ने आसो के बयान चीन के संबंधों के लिए मारक साबित होगा और जापान इतिहास से सबक सीखे, यह सलाह चीन ने प्रदान की थी।
लेकिन, अब चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ के ज़रिये खुलेआम जापान को धमकाया है। ‘अपनी रक्षा नीति का रखनेवाला जापान पुरी तरह से अमरीका पर निर्भर है। इस वजह से जापान की सेना को नाकाम करना चीन की सेना के लिए अधिक आसान है। चीन की सेना के सामने जापान शक्तिहीन है’, यह बयान चीनी लष्करी विश्लेषक सौंग झौंगपिंग ने इस मुखपत्र में लिखे लेख में किया है।
साथ ही तैवान, चीन की रेड़लाईन है और जापान की सेना ने इसे पार किया तो जापान चीन का कानूनन लक्ष्य बनेगा, यह धमकी चीन के मुखपत्र ने दी है। तैवान के साथ ही सेंकाकू द्विपों के मामले में भी जापान को चीन की लष्करी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, यह इशारा भी चीन के मुखपत्र ने दिया है।
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