वॉशिंग्टन – ‘तालिबान को राजधानी काबुल पर कब्ज़ा करने से रोकने के लिए अब भी देर नहीं हुई है। इसके लिए तुरंत तालिबान पर जोरदार हवाई हमले करें और काबुल की सुरक्षा के लिए अफ़गान सेना को आवश्यक पूरी सहायता प्रदान करे। बायडेन प्रशासन ने उचित समय पर यह कार्रवाई नहीं की तो निष्पाप अफ़गान जनता को इसकी भयंकर कीमत चुकानी पड़ेगी और अमरीका की सुरक्षा के लिए खतरा अधिक बढ़ेगा’, ऐसा इशारा अमरीका के वरिष्ठ सिनेटर मिश मैक्कॉनेल ने दिया। मैक्कॉनेल की तरह सिनेटर मायकल वॉल्ट्ज़ ने भी बायडेन प्रशासन से माँग की है कि, तालिबान पर हवाई हमले करें ओर तालिबान की सहायता कर रहे पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाएं।
तालिबान के आतंकी राजधानी काबुल से मात्र १० किलोमीटर की दूरी पर है और अगले कुछ ही घंटों में तालिबान काबुल पर हमले करेगी, ऐसे इशारे दिए जा रहे हैं। तालिबान ने काबुल समेत अफ़गानिस्तान पर पूरा कब्ज़ा करने के बाद इस देश में फिर से अल कायदा का उदय होन का खतरा बढ़ रहा है, यह इशारा अमरीका के मित्रदेश दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में अफ़गानिस्तान और अमरीका की सुरक्षा के लिए अमरीका तालिबान पर हवाई हमले करे, यह माँग अमरीका में जोर पकड़ रही है।
अफ़गानिस्तान की स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने से पहले ही बायडेन प्रशासन राष्ट्राध्यक्ष गनी की सरकार और सेना की सहायता करे, यह निवेदन सिनेटर मैक्कॉनेल ने किया है। इसके लिए अमरीका काबुल की ओर बढ़ रही तालिबान पर जोरदार हवाई हमले करे, यह बयान भी मैक्कॉनेल ने किया है। अमरीका में नियुक्त अफ़गानिस्तान के राजदूत अदेल राज़ के साथ चर्चा के बाद अमरिकी सिनेटर मैक्कॉनेल ने यह माँग रखी। मैक्कॉनेल के साथ अमरीका की रिपब्लिकन पार्टी के सिनेटर और अफ़गानिस्तान में लष्करी कार्रवाई का हिस्सा रहे पूर्व सेना अधिकारी मायकल वॉल्ट्ज़ ने भी तालिबान पर हवाई हमले करने की माँग उठाई है।
अफ़गानिस्तान को बचाने के लिए राष्ट्राध्यक्ष बायडेन को स्पष्ट और सख्त निर्णय करने होंगे, यह बात भी वॉल्ट्ज़ ने ड़टकर कही है। इसके लिए सिनेटर वॉल्ट्ज़ ने सुझाव में तीन विकल्प रखे हैं। ‘तालिबान पर हवाई हमले करें, पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाएं और विशेषदूत ज़ल्मे खलिलज़ाद को हटाएं। यह तीन पुख्ता कदम उठाकर अफ़गानिस्तान और इस देश के लोकतंत्र को अब भी बचाया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए अमरीका को साहसी नेतृत्व की आवश्यकता है’, ऐसा वॉल्ट्ज़ ने कहा।
तालिबान के आतंकी बेझिझक सड़कों पर घूम रहे हैं। वर्ष २००१ में अमरीका ने जिस तरह हवाई हमले करके तालिबान को बेहाल किया था, वैसी ही कार्रवाई की अब भी ज़रूरत है। साथ ही तालिबान का समर्थन कर रहे पाकिस्तान में मौजूद उनके समर्थकों को भी सख्त संदेश देना ज़रूर होने का बयान वॉल्ट्ज़ ने किया।
‘तालिबान के सामर्थ्य में बढ़ोतरी के लिए पाकिस्तान की सेना ही ज़िम्मेदार है। अफ़गानिस्तान में तालिबान ने शुरू की हुई हिंसा से हमारा संबंध ना होने का बयान पाकिस्तान कर रहा है, फिर भी पाकिस्तान ही सक्रियता से तालिबान को हथियारों से सज्जित कर रहा है। इस वजह से अमरीका अब पाकिस्तान को दी जा रही पूरी सहायता रोककर पाकिस्तान की सेना एवं गुप्तचर यंत्रणा ‘आयएसआय’ के अफसरों पर प्रतिबंध लगाए’, यह बयान वॉल्ट्ज़ ने अमरिकी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार के दौरान ड़टकर किया।
साथ ही तालिबान अब बदल गई है। अफ़गानिस्तान में शांति स्थापित करके यह संगठन सरकार में शामिल होने के लिए तैयार है, यह बयान करके अमरीका और पूरे विश्व को गुमराह करनेवाले अमरीका के विशेषदूत ज़ल्मे खलिलज़ाद को पद से हटाया जाए, यह माँग भी वॉल्ट्ज़ ने रखी। बायडेन प्रशासन ने अपनी भूमिका में उचित समय पर बदलाव नहीं किया तो अल कायदा अफ़गानिस्तान में तूफानी वापसी करेगी और वह फिर से अमरीका पर हमला करेगी, यह इशारा भी वॉल्ट्ज़ ने दिया है।
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