तालिबान की सरकार ज्यादा समय तक टिक नहीं सकेगी – यूरोपिय विश्‍लेषक का इशारा

पैरिस/काबुल – तालिबान की घोषित सरकार सर्वसमावेशक नहीं है। अफ़गानिस्तान के सभी सामाजिक घटकों को इस सरकार में शामिल नहीं किया गया है। इसी वजह से यह सरकार ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएगी, ऐसा इशारा यूरोपिय विश्‍लेषक विल्यम डैलिम्पल ने दिया। साथ ही तालिबान की क्रूरता की भयंकर खबरें विश्‍व के सामने आ रही हैं। तालिबान ने अफ़गान सैनिकों के सिर कलम करके जल्लोष करने का वीडियो सामने आया है। तो, तालिबान की हुकूमत में अपनी सुरक्षा खतरे में होने का अहसास होने के बाद अफ़गान कलाकार, संगीतकार देश छोड़कर जा रहे हैं। इन सभी को राहत देनेवाला दावा विश्‍लेषक विल्यम डैलिम्पल ने किया है।

टिकू शकणार नाही, यूरोपिय विश्‍लेषक

अफ़गानिस्तान की अपनी सरकार सर्वसमावेशक होगी, महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा, ऐसे वादे तालिबान ने बीते कुछ महीनों में किए थे। लेकिन, बीते हफ्ते घोषित तालिबान की सरकार पर गौर करें तो इन वादों का पालन नहीं किया जाएगा, यह बात अब स्पष्ट हुई है, ऐसी आलोचना भी डैलिम्पल ने की। महिलाओं के अधिकारों को अनदेखा करके तालिबान ने पुरानी भूल नए से की है, यह अहसास भी डैलिम्पल ने कराया।

‘पूर्व राष्ट्राध्यक्ष हमीद करज़ाई या अन्य पूर्व नेता और अल्पसंख्यांक नागरिकों को तालिबान ने सरकार में स्थान नहीं दिया होता तब भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने आपत्ति दर्ज़ नहीं की होती। लेकिन, खुद ने किए प्रचार को साबित करने के लिए तालिबान ने सरकार में महिलाओं को स्थान देना आवश्‍यक था’, यह बात डेलिम्पल ने वृत्तसंस्था से बातचीत करते समय स्पष्ट की।

तालिबान की यह सरकार सर्वसमावेशक ना होने से उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहायता मिलने में भी मुश्किल हो गया है, यह दावा भी डेलिम्पल ने किया। इस वजह से तालिबान को लंबे समय तक सरकार चलाना मुमकिन नहीं होगा, यह संकेत डेलिम्पल ने दिए। क्योंकि, अमरीका और पश्‍चिमी मित्रदेशों ने अफ़गानिस्तान की लगभग नौं अरब डॉलर्स की सहायता रोक दी है।

टिकू शकणार नाही, यूरोपिय विश्‍लेषक

साथ ही अफ़गानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर से प्राप्त हुआ अन्न एवं अनाज का भंड़ार भी सितंबर के आखिर तक खत्म हो जाएगा, यह इशारा संयुक्त राष्ट्रसंघ ने बीते हफ्ते में दिया था। ऐसे में अफ़गानिस्तान को जल्द ही अनाज की किल्लत का सामना करना पड़ेगा, यह चिंता भी जताई जा रही है। ऐसी स्थिति में सरकार और देश चलाना तालिबान के लिए सिरदर्द साबित होगा, यह दावा किया जा रहा है।

इसी बीच तालिबान के असंतुष्ट गुटों का अगले दिनों में संघर्ष होने की संभावना भी अमरीका और ब्रिटेन के लष्करी विश्‍लेषक और पूर्व अधिकारी जता रहे हैं। अल कायदा फिर से अफ़गानिस्तान में सिर उठाएगी और अमरीका एवं ब्रिटेन की सुरक्षा के लिए वह खतरा होगा, ऐसे इशारे इन दोनों देशों के अधिकारी दे रहे हैं।

अल कायदा का प्रमुख ओसामा बिन लादेन का सुरक्षा प्रमुख हनीफ अत्मार बीते हफ्ते ही अफ़गानिस्तान में लौट आया था। इसी बीच काबुल हवाई अड्ड के करीब आत्मघाती विस्फोट करके ‘आयएस-खोरासन’ ने भी तालिबान विरोधी मोर्चे के संकेत दिए थे। ऐसी स्थिति में आनेवाले दिनों में तालिबान की हुकूमत अफ़गानिस्तान में ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएगी, यह डैलिम्पल का दावा सच साबित होगा, यही दिखाई दे रहा है।

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