तीसरा विश्वयुद्ध शुरू हुआ है

- ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरू पोप फ्रान्सिस

वैटिकन सिटी – ‘कुछ साल पहले ही तीसरा विश्वयुद्ध अलग-अलग ठिकानों पर लड़ा जा रहा है, इसका अहसास हमें हुआ था। लेकिन, आज तीसरे विश्वयुद्ध का ऐलान होने का अहसास हमें हो रहा है’, ऐसा ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरू सम्माननीय पोप फ्रान्सिस ने कहा है। यूक्रेन के युद्ध पर दिए गए एक साक्षात्कार के दौरान पोप फ्रान्सिस ने यह दावा किया। ‘सिर्फ यूक्रेन के युद्ध को देखकर हम व्यथित हो रहे हैं। लेकिन, केवल यूक्रेन नहीं, बल्कि नाइजीरिया और म्यांमार जैसे ठिकानों पर भी इसी तरह का युद्ध जारी है और इसकी किसी को परवाह नहीं है। विश्व युद्ध की खाई में फंसा है। इस पर हमें विचार करना ही होगा’, इन शब्दों में पोप फ्रान्सिस ने पूरे विश्व को वास्तव का अहसास कराया।

विश्वयुद्ध

कुछ हफ्ते पहले पोप फ्रान्सीस ने एक वृत्तसंस्था को दिए साक्षात्कार हाल ही में एक इटालियन अखबार ने सार्वजनिक किया। इसके बाद विश्व के माध्यमों ने इस साक्षात्कार के दौरान पोप फ्रान्सीस के बयानों को बड़ी अहमियत देकर उठाया। नाटो ने उकसाने के कारण ही रशिया ने यूक्रेन पर हमला किया, ऐसा मत पोप फ्रान्सिस ने पहले भी व्यक्त किया था। इस वजह से वे यूक्रेन पर हमला करनेवाली रशिया के राष्ट्राध्यक्ष का पक्ष ले रहे हैं, ऐसी चिंता कुछ लोगों ने व्यक्त की थी। लेकिन, पोप फ्रान्सिस ने हमने पुतिन का पक्ष नहीं लिया है, ऐसा कहकर अपने खिलाफ लगाए गए आरोप गलत होने का बयान किया है।

यूक्रेन में रशिया से की गई क्रूरता को देखते समय हमें इस समस्या की जड़ को जानना होगा और इस समस्या का हल निकालने की कोशिश करनी होगी, ऐसा सूचक बयान पोप फ्रान्सिस ने किया। हमें सिर्फ युद्ध की क्रूरता और अमानुषता दिखती है। लेकिन, हम इसके पीछे की पृष्ठभूमि जानना नहीं चाहते। हथियारों के परीक्षण और उसकी बिक्री का कारोबार युद्ध के पीछे की वजह हैं, यह दुर्भाग्यशाली बात है, फिर भी हथियारों का यह कारोबार युद्ध के पीछे का सबसे अहम घटक होता है। यूक्रेन की जनता बड़ी वीरता से प्रतिकार कर रही है, लेकिन यूक्रेन के अन्य देशों के संबंधों की वजह से यूक्रेन की जनता पर यह संकट टूटा है, ऐसा पोप फ्रान्सिस ने कहा।

वैश्विक स्तर पर युद्ध, संबंध, हथियारों की बिक्री और भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए आम जनता मर रही है, ऐसा अफसोस सम्माननीय पोप फ्रान्सिस ने व्यक्त किया।

यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले एक देश के समझदार राष्ट्रप्रमुख से हमारी भेंट हुई थी और उन्होंने हमारे सामने गंभीर चिंता भी जतायी थी, यह जानकारी पोप फ्रान्सिस ने इस साक्षात्कार में साझा की। ‘नाटो रशिया के दरवाजा तक पहुँचकर चिल्ला रहा है। लेकिन, रशियन्स अपने क्षेत्र में विदेशी शक्तियों का हस्तक्षेप नहीं सहेंगे, यह समझना नहीं चाहता। इससे निर्माण हुई स्थिति युद्ध की शुरूआत कर सकती है, ऐसा इशारा राष्ट्राध्यक्ष ने दिया था। इसके बाद २४ फ़रवरी से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ। इस राष्ट्रप्रमुख ने यह खतरा पहले ही भांप लिया था, इस ओर पोप फ्रान्सिस ने ध्यान आकर्षित किया।

यूक्रेन का युद्ध एक हफ्ते में खत्म होगा, ऐसा रशिया ने सोचा होगा। लेकिन, इस युद्ध का परिणाम समज़ने में रशिया चूक गई, ऐसा अनुमान भी पोप फ्रान्सिस ने दर्ज़ किया।

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