आगामी चार से छह महीनों में रशिया-युक्रेन युद्ध का रूपांतरण ‘फ्रोज़न कॉन्फ्लिक्ट’ में होगा

- नाटो के पूर्व कमांडर का दावा

‘फ्रोज़न कॉन्फ्लिक्ट'

वॉशिंग्टन/मॉस्को/किव्ह – आगामी चार से छह महीनों में रशिया-युक्रेन युद्ध का रूपांतरण कोरियन वॉर की तरह ‘फ्रोज़न कॉन्फ्लिक्ट’ में होगा, ऐसा दावा नाटो के पूर्व कमांडर ऍडमिरल जेम्स स्टाव्हरिडिस ने किया। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने बनायीं योजनाएँ कुछ ख़ास प्रभावी साबित नहीं हुईं हैं और युक्रेन ने अच्छी टक्कर दी है, ऐसा भी नाटो के पूर्व अधिकारी ने कहा है। इसी बीच, नज़दीकी दौर में युक्रेन के साथ शांतिचर्चा का मुद्दा उपस्थित हुआ, तो उसकी शर्तें पहले से अधिक सख़्त होंगी, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के सलाहकार युरी उशाकोव्ह ने डटकर कहा।

फ़रवरी महीने के अन्त में शुरू हुए रशिया-युक्रेन युद्ध का साढ़ेचार महीनों से अधिक समय बीता है। इस दौरान रशिया ने युक्रेन के डोन्बास क्षेत्र के लुहान्स्क प्रांत पर पोरी तरह नियंत्रण हासिल किया। उसी समय, दक्षिणी युक्रेन के दो प्रांतों पर तक़रीबन 80 प्रतिशत से अधिक कब्ज़ा किया है। कुछ ही दिन पहले रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने, युद्ध के नियोजित उद्देश्य पूरे हुए बग़ैर पीछे नहीं हटेंगे, ऐसा डटकर कहा था।

‘फ्रोज़न कॉन्फ्लिक्ट'

दूसरी ओर युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमिर झेलेन्स्की ने, पश्चिमी देशों ने की हुई हथियारों की सप्लाई के कारण युद्ध में समतोल बदलने लगा होने का दावा किया है। अमरीका समेत अन्य देशों ने दिये हथियारों के बलबूते पर युक्रेनी सेना रशिया पर प्रतिहमलें करके बड़ा नुकसान करवाने में क़ामयाब हो रही है, ऐसा झेलेन्स्की ने बताया। युक्रेन के विदेशमंत्री दिमित्रि कुलेबा ने अनुरोधपूर्वक कहा है कि रशिया को रणांगण में परास्त कर देने के बाद ही युक्रेन रशिया से चर्चा करेगा।

रशिया और युक्रेन से ऐसे बयान जारी हो रहे हैं कि तभी पश्चिमी देशों में एक अलग ही सुर अलापा हुआ दिखाई देने लगा है। पिछले कुछ हफ़्तों में पश्चिमी राजनयिक तथा विश्लेषक ऐसा मशवरा बार बार दे रहे हैं कि युक्रेन शांतिचर्चा के लिए तैयारी शुरू करें। कुछ प्रमुख पश्चिमी देशों के बेताओं ने भी युक्रेन को सावधानी का इशारा दिया है। इस पृष्ठभूमि पर, नाटो के पूर्व अधिकारी ने ‘फ्रोज़न कॉन्फ्लिक्ट’ का किया हुआ उल्लेख ग़ौरतलब साबित होता है।

‘फ्रोज़न कॉन्फ्लिक्ट'

एक रेडिओ स्टेशन को दिये इंटरव्यू में नाटो के पूर्व कमांडर स्टाव्हरिडिस ने, रशिया एवं युक्रेन इन दोनों देशों के पास चार से छह महीनों से अधिक समय संघर्ष करने की क्षमता ना होने का दावा किया। ‘इस युद्ध का अन्त कोरियन युद्ध की तरह होगा। शस्त्रसंधी, निर्लष्करी क्षेत्र तथा कायमस्वरूपी दुश्मनी, ऐसे रूप में यह एक ‘फ्रोज़न’ संघर्ष साबित होगा, ऐसा स्टाव्हरिडिस ने कहा। सन 1950 से 1953 इस दौर में उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच युद्ध हुआ था। हालाँकि उनमें शस्त्रसंधी हुई, फिर भी शांतिसमझौता नहीं हुआ है। इस कारण दोनों देश एक-दूसरे के विरोध में युद्धस्थिति में हैं, ऐसा माना जाता है।

इसी बीच, रशिया ने युक्रेनविरोधी युद्ध में पहली ही बार ‘कामिकाझे’ यानी आत्मघाती ड्रोन्स का इस्तेमाल किया होने के जानकारी रशिया के रक्षा विभाग ने दी। दक्षिणी युक्रेन के झॅपोरिझिआ प्रांत में ‘लैन्सेट’ इन आत्मघाती ड्रोन्स की सहायता से हमले किये, ऐसा रक्षा विभाग द्वारा बताया गया।

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