ताइवान की आजादी यानी विनाशकारी युद्ध की शुरुआत

- ब्रिटेन में नियुक्त चीन के राजदूत की चेतावनी

लंडन – ‘ चीन को रोकने के लिए अमरीका ताइवान कार्ड का इस्तेमाल कर रही है और ताइवान के सत्ताधारी चीन के अधिकार को नकार कर आजादी को प्रोत्साहन दे रहे हैं। अमरीका और ताइवान की स्वतंत्रता का पुरस्कार करने वाली विघटन वादी ताकत उन ताकतों को उनकी गलती की ज़िम्मेदारी का स्वीकार करना ही होगा। चीन की जनता सार्वभौमिकता और क्षेत्रीय एकजुट के मुद्दे पर कभी भी समझौता नहीं करेगी। ताइवान की आजादी यानी युद्ध को न्योता होकर यह युद्ध उन्हें विनाश तक ले जाएगा’, ऐसी चेतावनी ब्रिटेन में नियुक्त चीन के राजदूत झेंग झेगुआंग ने दी। ब्रिटिश अखबार में लिखे एक लेख में चीन के राजदूत ने यह धमकी दी। अमरीका के पीछे जाकर ताइवान मुद्दे पर ‘रेड लाईन्स’ लगने का दुस्साहस ब्रिटेन ना करें, ऐसा राजदूत झेगुआंग ने इस लेख में डटकर कहा है। बुधवार को चीन के रक्षा मंत्री ने भी ‘स्वतंत्र ताइवान’ के लिए जारी कोशिशों का अंत बुरा ही होगा, ऐसा धमकाया था।

ताइवान की आजादी

दो हफ्ते पहले अमरिकी प्रतिनिधिगृह की सभापति नैंसी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था। उसके कुछ दिन बाद अमरिकी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल ताइवान दौरे पर दाखिल हुआ था। इन दौरों से पहले तथा उनके बाद अमरीका ने ताइवान को रक्षा सहायता तथा अन्य क्षेत्रों में सहयोग करने के बारे में घोषणाएँ की थीं। इस कारण बेचैन हुए चीन ने युद्धाभ्यास तथा अन्य माध्यमों से ताइवान पर दबाव डालने की शुरुआत की है। उसी समय, ताइवान का समर्थन करनेवाले देशों को भी चीन धमका रहा है। ब्रिटेन में नियुक्त चिनी राजदूत ने अपने लेख से दी चेतावनी भी उसी का भाग दिख रही है।

ताइवान का मुद्दा यह अब चीन और अमरीका-ब्रिटेन के बीच विवाद का मुद्दा बना है। पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद इन देशों के संबंध नाज़ुक मोड़ पर पहुंचे हैं। इस मुद्दे पर कोई भी देश ग़लती ना करें , इस पर झेगुआंग ने इस लेख में गौर फरमाया है। अमरीका और ताइवान की विघटनवादी ताकतों द्वारा किए जा रहे उकसाऊ बयानों का प्रत्युत्तर देना यह चीन के लिए नैसर्गिक बात है। यह प्रत्युत्तर इसलिए आवश्यक है कि अमरीका चीन के अंदरूनी मामलों में टांग ना अड़ायें। ताइवान की आज़ादी का पुरस्कार करने वाले गुटों को भी इससे झटका लगेगा, ऐसा दावा भी चिनी राजदूत ने किया। अमरीका ताइवान कार्ड का इस्तेमाल करने के बजाए ‘वन चाइना पॉलिसी’ को पूरी तरह मान्यता दें और नई समस्याओं का निर्माण करना टालें, ऐसा भी झेगुआंग ने डटकर कहा। उसी समय उन्होंने ब्रिटेन को भी ताइवान के मुद्दे पर फटकार लगाई।

ताइवान की आजादी

‘ताइवान का मुद्दा यह ब्रिटेन और चीन के बीच हमेशा ही संवेदनशील विषय साबित हुआ है। ब्रिटेन ने ताइवान के सन्दर्भ में रहनेवाली चीन की हुक़ूमत की मान्य करने के बाद ही दोनों देशों में संपूर्ण राजनीतिक संबंध स्थापित हुए थे। इस बात को अनदेखा करके ब्रिटेन अमरीका का अनुकरण ना करें। ताइवान की रक्षा के लिए सहायता की आपूर्ति करने के आश्वासन और उस सन्दर्भ में गतिविधियाँ, यह ग़ैरज़िम्मेदार आचरण साबित होता है। ब्रिटेन ने अगर ‘वन चाइना’ नीति का उल्लंघन करके, ताइवान के मुद्दे पर रेड लाईन को लाँघने की कोशिश की, तो द्विपक्षीय सहयोग पर उसका गंभीर असर होगा। इसलिए इस मामले में ब्रिटेन कोई भे ग़लती ना करें’, ऐसी चेतावनी चिनी राजदूत ने दी।

ब्रिटेन को दी चेतावनी के पीछे सत्ताधारी पार्टी की नेता और विदेशमंत्री लिझ ट्रुस के उद्गार कारण बने, ऐसा माना जा रहा है। पेलोसी के दौरे के बाद चीन द्वारा ताइवान के नज़दीकी क्षेत्र में जारी हरकतें शांति और स्थिरता के लिए ख़तरनाक हैं, ऐसी आलोचना ट्रुस ने की थी। ब्रिटेन के वरिष्ठ सांसदों ने ताइवान का दौरा करने के संकेत दिये हैं। यह बात चिनी सत्ताधारियों को रास नहीं आयी है, यह राजदूत झेगुआंग के बयानों से स्पष्ट हो रहा है।

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