मास्को – कुछ ही घंटे पहले घोषित किए युद्धविराम का भंग करके अज़रबैजान ने अपनी सीमा पर किए रॉकेट हमलों में ४९ सैनिकों के मारे जाने का आरोप आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने लगाया। इससे पहले दोनों देशों के संघर्ष का केंद्र बने नागोर्नो-काराबाख प्रांत को छोड़कर अज़रबैजान की सेना आर्मेनिया की पश्चिमी सीमा पर हमलें कर रही हैं। रशिया प्रायोजित सैन्य गुट ने अज़रबैजान की इस आक्रामकता के विरोध में हमें सहायता करें, ऐसी गुहार प्रधानमंत्री निकोल ने लगाई। रशिया ने भी सीमा पर स्थिरता स्थापित करने के लिए आर्मेनिया की सहायता करने का ऐलान किया।
विश्व के विवादित मुद्दों में शामिल स्वायत्त नागोर्नो-काराबाख प्रांत पर कब्ज़ा पाने के लिए पिछले दो दिनों से अज़रबैजान की सेना हमलें कर रही थी। सोमवार को अज़रबैजान और आर्मेनिया ने नए से युद्धविराम शुरू किया था। लेकिन, सोमवार देर रात के बाद अज़रबैजान की सेना ने सीधेआर्मेनिया की सीमा पर रॉकेट और तोंप के हमलें शुरू किए। आर्मेनिया के पूर्व के गोरिस, सोत्क, जेरमूद इन शहरों की सैन्य चौकियों पर अज़रबैजान ने तोंप से हमलें किए। इन हमलों में आर्मेनिया के ४९ सैनिक मारे गए।
अज़रबैजान ने फिर एक बार युद्धविराम का उल्लंघन किया, ऐसा आरोप आर्मेनिया ने लगाया। इसी बीच आर्मेनिया ने अज़रबैजान की पश्चिमी सीमा पर की हुई कार्रवाई के जवाब में हमनें यह हमलें किए, ऐसा अज़ेरी सेना ने कहा हैं। आर्मेनिया की सेना ने अज़रबैजान के दाशकेसान, केल्बाजार और लाशिन के सरहदी क्षेत्र में बारूद लगाया था। इस वजह से आर्मेनिया को सबक सिखाने के लिए यह कार्रवाई की गई, ऐसा दावा अज़ेरी सेना ने किया। अज़रबैजान की इस कार्रवाई का तुर्की और पाकिस्तान ने तुरंत ही समर्थन किया। साथ ही इस संघर्ष मे हम अज़रबैजान के समर्थन में होने का ऐलान भी किया।
आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल ने भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन से फोनपर बातचीत की। रशिया प्रायोजित सैन्य गुट इस संघर्ष में अज़रबैजान के खिलाफ आर्मेनिया का साथ करें, ऐसी गुहार प्रधानमंत्री निकोल ने लगायी। रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने आर्मेनिया और अज़रबैजान को जारी हमलें रोककर इस क्षेत्र में युद्धविराम और स्थिरता स्थापित करने का आवाहन किया है। इसके बाद रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई सोईगू और आर्मेनिया केरक्षामंत्री सुरेन पापिक्यान की चर्चा हुई। बाद में रशियन रक्षामंत्री ने विवादित सीमा पर स्थिरता स्थापित करने के लिए आर्मेनिया की सहायता करेंगे, ऐसा कहा है। इस वजह से मध्य एशिया में दो साल पहले जैसी संघर्ष की स्थिति निर्माण होने का दावा किया जा रहा है।
इससे पहले साल २०२० में आर्मेनिया और अज़रबैजान का शुरू हुआ संघर्ष छह हफ्तों तक चला था। नागोर्नो-काराबाख इस स्वायत्त प्रांत पर कब्ज़ा पाने के लिए हुए इस संघर्ष में ६,६०० लोग मारे गए थए। इसके बाद रशिया ने पहल करके आर्मेनिया और अज़रबैजान इन पूर्व सोवियत देशों का युद्धविराम करवाया था। बाद में दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर युद्धविराम का उल्लंघन हुआ था। लेकिन, सोमवार देर रात के बाद अज़रबैजान और आर्मेनिया का हुआ संघर्ष अलग मोड़ पर पहुँचानेवाला है, ऐसी चेतावनी सैन्य विश्लेषक दे रहे हैं।
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