मास्को – रशिया आर्क्टिक क्षेत्र में ताकतवर और प्रभावी सत्ता है और स्वदेशी ‘न्युक्लियर आईसब्रेकर्स’ इस बात की पुष्टि करते हैं, इन शब्दों में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दो विशाल जहाज़ ‘आर्क्टिक फ्लीट’ का हिस्सा बने हैं, इसका ऐलान किया। मंगलवार को हुए समारोह में ‘उरल’ और ‘याकुतिया’ नामक दो ‘न्युक्लियर आईस ब्रेकर्स’ शामिल करके रशिया ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया, यह कहा जा रहा है। पिछले कुछ सालों में रशिया ने आर्क्टिक क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके तहत आर्क्टिक से व्यापारी मार्ग बनाने के साथ ही ईंधन प्रकल्पों का निवेश एवं रक्षा ठिकानों के निर्माण पर ध्यान दिया है।
आर्क्टिक क्षेत्र का अनुसंधान एवं इस क्षेत्र के नॉर्दर्न रीजन्स का विकास रशिया के सुरक्षित भविष्य के लिए अहम है। मौसम में हो रहे बदलावों की पृष्ठभूमि पर इस क्षेत्र में व्यापार और यातायात का मार्ग विकसित करना रशिया के लिए बहुत ही अहम बात है। करीबी समय में यह क्षेत्र निर्णायक साबित हो सकता है। नॉर्दन सी रूट की क्षमता बढ़ाने के लिए नए आईसब्रेकर के निर्माण का किया यह निर्णय बड़ा उपयुक्त साबित हुआ है, इन शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने नए आईस ब्रेकर्स के पीछे की भूमिका स्पष्ट की।
रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने पिछले दशक से आर्क्टिक क्षेत्र में रशियन क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया था। इसके तहत नए ईंधन प्रकल्प, व्यापारी मार्ग और रक्षा ठिकानों को विकसित किया जा रहा है। ‘न्यूक्लियर आईसब्रेकर्स’ का बेड़ा भी इसी का हिस्सा है। रशिया ने छह नए न्यूक्लियर आईसब्रेकर्स तैयार करने का ऐलान किया था। इनमें से ‘आर्क्टिक’ और ‘सिबिर’ पहले ही कार्यरत हो चुके हैं। मंगलवार को ‘उरल’ और ‘याकुतिया’ का समावेश होने से रशियन बेड़े में आईस ब्रेकर्स की संख्या बढ़कर चार हुई है। ‘चुकोट्का’ २०२६ में तैयार होगी और ‘रोसिया’ का निर्माण २०२७ तक पूरा होगा, यह जानराकी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने दी।
रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर रशिया की तकनीक एवं जहाज़ निर्माण उद्योग के अलावा अर्थव्यवस्था पर बडे पैमाने पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके बावजूद रशिया ने दो ‘न्यूक्लियर आईस ब्रेकर्स’ का निर्माण करके अपनी ताकत दर्शाई है। साथ ही आर्क्टिक रशिया के भविष्य के लिए अहम होने का बयान करके रशियन अर्थव्यवस्था नए विकल्पों के लिए तैयार हो रही है, यह संकेत भी दिए गए हैं।
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