रशिया-यूक्रेन संघर्ष यानी रशिया के लिए ‘न्यू पैट्रिऑटिक वॉर’

- पूर्व राष्ट्राध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव

पैरिस – रशियन फौज ने साल १९८२ और १९४५ में लड़े युद्ध की तरह ही अब रशिया-यूक्रेन संघर्ष भी ‘न्यू पैट्रिऑटिक वॉर’ है, ऐसा इशारा रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने दिया है। यूरोपिय महासंघ के विदेश प्रमुख जोसेप बॉरेल ने हथियारों की आपूर्ति का समर्थन करते हुए रशिया को लंबे समय तक युद्ध लड़ने का तजूर्बा हैं, इसकी याद भी दिलाई थी। इसे दाखिला बनाकर मेदवेदेव ने रशिया को पराजित करना मुमकिन नहीं हैं, यह दोहराया।

‘न्यू पैट्रिऑटिक वॉर’

अमरीका समेत कई यूरोपिय देश यूक्रेन को बड़ी मात्रा में शस्त्र सहायता करने का ऐलान पिछले कुछ दिनों से कर रहे हैं। लेकिन, इसके बावजूद यूक्रेन को अधिक हथियारों की ज़रूरत होने की और इसकी आपूर्ति जारी रखने की मांग हो रही है। यूरोप के कुछ नेताओं ने ही इसके लिए पहल की है और महासंघ के विदेश प्रमुख जोसेप बॉरेल उन्हीं में से एक समझे जाते है। यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने के कारण बयान करते हुए उन्होंने रशिया के इतिहास का दाखिला दिया।

‘न्यू पैट्रिऑटिक वॉर’

रशिया एक महान देशों में से एक हैं और वह आखिर तक युद्ध जारी रखने का अनुभव रखती है। लगभग हारे हुए युद्ध भी इस देश ने जीतकर दिखाए हैं। अब भी रशिया हारता हैं या रशिया की सेना अकार्यक्षम है, यह समझना मुर्खता होगी। रशिया युद्ध में असफल होती दिखाई दे रही हो, फिर भी वह अभी भी लड़ने की प्रचंड़ क्षमता रखती हैं’, इस ओर बॉरेल ने ध्यान आकर्षित किया। रशिया की इसी क्षमता की वजह से यूक्रेन को आनेवाले समय में भारी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति करते रहना ज़रूरी है, ऐसा इशारा महासंघ के विदेश प्रमुख ने दिया। रशिया के इतिहास का दाखिला देते हुए उन्होंने साल १८१२ में नेपोलियन के विरोध में हुए युद्ध और साल १९४१ में दूसरें विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर ने किए हमले का ज़िक्र किया।

‘न्यू पॅट्रिऑटिक वॉर’

बॉरेल के इस बयान को आधार बनाकर रशिया की सिक्युरिटी कौन्सिल के उप-प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने यूक्रेन संघर्ष यानी ‘न्यू पैट्रिऑटिक वॉर’ है, ऐसी चेतावनी दी। ‘रशिया ने नेपोलियन और हिटलर को पराजित करने का बॉरेल ने ज़िक्र किया। यूक्रेन के नाज़ी और पश्चिमी यूरोप के देश रशिया के विरोध में इससे पहले संघर्ष करने वालों के ही वारिस हैं। इस वजह से साल १८१२ और १९४५ की तरह इस बार भी जीत रशिया की ही होगी’, ऐसा मेदवेदेव ने कहा।

इसी बीच, रशिया ने डोन्बास और दक्षिणी यूक्रेन में जारी हमलों की बढ़ाई तीव्रता की जानकारी यूक्रेनी यंत्रणाओं ने प्रदान की हैं। सोलेदार पर कब्ज़ा पाने के बाद र शियन सेना ने बाखमत के करीबी कुछ क्षेत्र पर कब्ज़ा पाने की जानकारी साझा हो रही है। बाखमत अभियान के लिए रशिया ने नई तैनाती करने की बात बताई जा रही हैं और इसका मुकाबला करना मुमकिन नहीं हैं, ऐसा स्वर यूक्रेनी सेना में सुनाई दे रहे हैं। डोन्बास के बाद दक्षिणी यूक्रेन के झैपोरिझिआ प्रांत पर भी रशिया ने फिर से हमले शुरू किए हैं। इस प्रांत के दो शहरों की दिशा में रशियन सेना के आगे बढ़ने की बात भी कही जा रही है।

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