यूक्रेनी सेना पर रशिया के हमलों की तीव्रता बढ़ी

- डोनेत्स्क के मोर्चे पर एक ही दिन में यूक्रेन के ४३० सैनिक मारे गए

मास्को/किव – वैग्नर ग्रुप के विद्रोह से रशियन सेना कमज़ोर होगी। यूक्रेन युद्ध में इस बगावत का असर दिखाई देगा, ऐसे दावे पश्चिमी माध्यम कर रहे थे। लेकिन, रशिया एक ही दिन में यह दावे झुठे साबित करती दिखाई दे रही है। रशिया ने यूक्रेन पर तीव्र हमलें शुरू किए है। इन हमलों की तीव्रता बढ़ाकर रशिया ने यूक्रेन समेत पश्चिमी देशों को भी आगाह किया है। लेकिन, अभी तक वैग्नर ग्रुप और प्रिगोझिन का भविष्य अधर में है और यूक्रेन युद्ध पर अभी इन सबका हुआ स्पष्ट नहीं हुआ है, ऐसा दावा पश्चिमी देशों की वृत्तसंस्था कर रही हैं।

हमलों की तीव्रता

पिछले २४ घंटे के दौरान यूक्रेन के कुल ४३० सैनिक डोनेत्स्क मोर्चे पर मारे गए हैं। साथ ही रशियन सेना ने यूक्रेन के ११ बख्तरबंद वाहनों को नष्ट किया है, ऐसी जानकारी रशिया के रक्षा मंत्रालय ने साझा की। इसके अलावा एक ही दिन में यूक्रेनी सेना के २० हमलों को नाकाम करने की जानकारी भी रशियन रक्षा मंत्रालय ने प्रदान की है। इसके साथ ही यूक्रेन पर रशिया के तीव्र हमले हो रहे हैं और यूक्रेन की राजधानी किव समेत अन्य शहरों पर रशिया के हवाई हमलें हो सकते हैं, ऐसी चेतावनी यूक्रेन की सरकार ने दी है। इस वजह से आगे के समय में रशिया भयंकर हवाई हमले शुरू करेगी, इस ड़र से यूक्रेन खौफ में होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

हमलों की तीव्रता

वैग्नर ग्रूप की बगावत का हमारी सैन्य क्षमता पर असर नहीं हुआ है, यही संदेश रशियन सेना दे रही हैं। इसके लिए रशिया ने हमले की तीव्रता बढ़ाई है। वैग्नर ग्रुप के विद्रोह की वजह से रशियन सेना में दरार होगी और इससे हम लाभ उठा सकेंगे, इस इरादे से यूक्रेन की सेना ने रशिया के बचाव पर हमले बढ़ाए थे। लेकिन, इससे यूक्रेन की सेना का ही नुकसान पहुंचा, यह दावा रशिया का रक्षा मंत्रालय कर रहा है।

इसी बीच, वैग्नर ग्रुप ने किया विद्रोह महज एक ही दिन में पीछे लिया, इसके सदमे में पश्चिमी देश हैं। रशिया की अंदरुनि स्थिति का लात्र उठाने का विचार भी ना करें, इसके लिए की हुई सभी कोशिशें जाया जाएगी। इसके बाद रशिया का इसपर जोरदार जवाब मिलेगा, ऐसा इशारा रशिया के विदेश मंत्रालय ने पश्चिमी देशों को पहले ही दिया था। वहीं, दूसरी ओर वैग्नर ग्रूप बगावत करने के बाद अब पीछे हटा है, फिर भी रशिया के अनिश्चितता का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है, यह दावा पश्चिमी देशों के माध्यम कर रहे हैं। इस विद्रोह के कारण यूक्रेन युद्ध की अनिश्चितता अधिक बढ़ी है, ऐसे दावे कुछ पश्चिमी विश्लेषकों ने किए हैं। ताकतवर राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर व्लादिमीर पुतिन की बनी छवि को प्रिगोझिन के विद्रोह ने नुकसान पहुंचाया है। आगे के समय में रशिया में इसका असर दिख सकता है, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना हैं।

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