चीन की दादागिरी के खिलाफ संघर्ष कर रहे देशों को अमरीका समर्थन देगी

- रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन

कैनबेरा/वॉशिंग्टन/बीजिंग – ‘एक-दूसरें के बीच जारी विवाद शांति से खत्म करने के लिए उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय कानून और नियमों को चीन ठुकरा रहा हैं। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ईस्ट चाइना सी, साउथ चाइना सी और पैसिफिक क्षेत्र में बड़ी दमननीति अपना रही हैं। कई देश इसके विरोध में आवाज़ उठा रहे हैं और चीन की दादागिरी के खिलाफ संघर्ष कर रहे मित्र एवं भागीदार देशों को अमरीका पूरा सहयोग प्रदान करेगी’, ऐसा आश्वासन रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने दिया।

चीन की दादागिरी

अमरिकी रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन और विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। शुक्रवार और शनिवार के दो दिन ‘ऑस्ट्रेलिया-अमरीका टू प्लस टू’ बैठक का आयोजन हो रहा है। इसमें चीन की बढ़ती हरकतें, ऑकस डील और रशिया-यूक्रेन मुद्दे पर चर्चा होगी, ऐसी जानकारी सुत्रों ने प्रदान की। शुक्रवार को अमरिकी रक्षा और विदेश मंत्री ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज से मुलाकात की।

इस दौरान हुई चर्चा में रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने चीन के मुद्दे पर अमरीका ड़टकर ऑस्ट्रेलिया के पीछे खड़ी होने की गवाही दी। इस बीच प्रधानमंत्री अल्बानीज ने यह उम्मीद व्यक्त की है कि, ऑस्ट्रेलिया को जल्द से जल्द अमरीका से परमाणु पनडुब्बी प्राप्त होगी।

चीन की दादागिरी

वर्ष २०२१ में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने ‘ऑकस’ का ऐलान किया था। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए चीन खतरा होने का दावा करके अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया एकत्रित हो रहे हैं, ऐसा बायडेन ने कहा था। परमाणु पनडुब्बियां, मिसाइल और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में तीनों देश भागीदारी बढ़ाएंगे, यह घोषणा ‘ऑकस’ के गठन के बीच की गई थी। ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियां प्रदान करके तैयार करने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी, ऐसा इसकी पहली बैठक में कहा गया था। ऑस्ट्रेलिया की नौसेना को आठ परमाणु पनडुब्बियां देने पर सहमति भी हुई थी।

चीन की दादागिरी

परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण में बड़े समय और लागत की आवश्यकता होने से ब्रिटेन या अमरीका अपनी परमाणु पनडुब्बियां भाड़े पर ऑस्ट्रेलिया को प्रदान करेंगे, ऐसे दावे भी किए गए थे। चीन ने पैसिफिक क्षेत्र में परमाणु पनडुब्बियों की मौजुदगी नई शस्त्रस्पर्धा शुरू करने वाली होगी, यह आरोप लगाकर ‘ऑकस’ को शीतयुद्ध की मानसिकता का प्रतिक बताया है। लेकिन, ऐसी आलोचना के बावजूद अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु पनडुब्बियों के मुद्दे पर सहयोग जारी रखने का निर्णय किया था।

पिछले वर्ष शुरू हुए रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यह मुद्दा पीछे छुटने के संकेत प्राप्त हुए थे। लेकिन, अमरीका ने इस मुद्दे पर पहल करके परमाणु पनडुब्बियां निर्धारित समय पर ऑस्ट्रेलिया को प्राप्त होंगी, ऐसी गवाही दी थी। मार्च महीने में इससे संबंधित २४५ अरब डॉलर का समझौता हुआ है।

इस समझौते के अनुसार वर्ष २०३० से ऑस्ट्रेलिया यह पनडुब्बियां प्राप्त कर सकेगा, ऐसी जानकारी सामने आ रही है। लेकिन, अमरिकी संसद के साथ अन्य यंत्रणाओं की इस ‘डील’ को अभी मंजूरी प्राप्त नहीं हुई है। ‘टू प्लस टू’ बैठक में इसका हल निकलेगा, ऐसा दावा किया जा रहा हैं।

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