फ्रान्स की संसद में दाखिल होगा नागोर्नो-कैराबख की मंजूरी का प्रस्ताव

फ्रान्स की संसद में दाखिल होगा नागोर्नो-कैराबख की मंजूरी का प्रस्ताव

पैरिस – यूरोप में तुर्की के इस्लाम का प्रभाव रोकना है तो नागोर्नो-कैराबख में हो रहे अज़रबैजान के आक्रमण का विरोध करना आवश्‍यक है। इसी लिए नागोर्नो-कैराबख को मंजूरी देने की ज़रूरत है और इससे संबंधित प्रस्ताव फ्रान्स की संसद में रखा जा रहा है। इस माध्यम से तुर्की और अज़रबैजान की गतिविधियों का निषेध भी किया जाएगा, इन शब्दों में फ्रेंच सिनेटर वैलरी बोयर ने आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में फ्रान्स आक्रामक भूमिका अपनाएगा, यह संकेत दिए हैं। आर्मेनिया और अज़रबैजान में युद्ध शुरू होने के बाद तुर्की के विरोध में आलोचना कर रहें फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने अपना देश आर्मेनिया के मुद्दे पर उचित भूमिका अपनाएगा, यह बयान किया था। इस पृष्ठभूमि पर फ्रेंच संसद में पेश हो रहा प्रस्ताव ध्यान आकर्षित कर रहा हैं।

बीते तीन सप्ताहों से अधिक समय से मध्य एशिया के आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच जोरदार युद्ध हो रहा है। इस युद्ध में हज़ारों लोगों की मौत हुई है और यह संघर्ष बंद होने के कोई भी आसार नही दिख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने युद्धविराम करने के लिए की हुई दो कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर युद्ध शुरू करने के आरोप किए हैं और कोई भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। उल्टा बीते कुछ दिनों में युद्ध की तीव्रता और भी बढ़ी है और लड़ाकू विमान, मिसाइल, ड्रोन्स, तोप और टैंक का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जा रहा है।

आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में तुर्की ने अज़रबैजान को पूरा समर्थन देने के साथ ही विश्व स्तर पर भी आक्रामक भूमिका अपनाई है। आर्मेनिया ने ज़बरन ही नागोर्नो-कैराबख पर कब्ज़ा किया है और यह क्षेत्र आज़ाद करने तक पीछे नहीं हटेंगे, यह धमकी भी दी है। अज़रबैजान को बड़ी मात्रा में लष्करी सहायता प्रदान कर रही तुर्की ने अपने स्पेशल फोर्सेस के दलों के साथ सीरिया के सैंकड़ों आतंकी भी इस युद्ध में उतारे हैं। रशिया और अमरीका के साथ यूरोपिय देशों ने तुर्की की इन गतिविधियों पर जोरदार आलोचना की है। आर्मेनिया ने भी बीते महीने में शुरू हुए युद्ध के पीछे तुर्की का ही हाथ होने का आरोप किया है। ऐसे में फ्रान्स ने भी आर्मेनिया का समर्थन किया है और साथ ही तुर्की को लक्ष्य किया है। अब फ्रान्स की संसद में पेश हो रहा प्रस्ताव भी इसी का हिस्सा होने की बात दिख रही है।

       इसी बीच, तुर्की ने अज़रबैजान में स्थायि तौर पर रक्षा अड्डा स्थापित करने की दिशा में गतिविधियां शुरू की हैं, यह दावा प्रसार माध्यमों ने किया है। कुछ दिन पहले तुर्की के लड़ाकू विमान अज़रबैजान के हवाई अड्डे पर तैनात होने की बात स्पष्ट हुई थी। बीते दो वर्षों में तुर्की और अज़रबैजान के बीच कई रक्षा समझौते होने की बात भी सामने आयी है। अज़रबैजान के राष्ट्राध्यक्ष ने तुर्की के अड्डे को लेकर किए जा रहे दावे ठुकराए हैं और साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापक रक्षा सहयोग होने की बात स्वीकार की है।

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