स्वीडन ने लगाई चीन की ‘हुवेई’ और ‘ज़ेडटीई’ पर पाबंदी

स्वीडन ने लगाई चीन की ‘हुवेई’ और ‘ज़ेडटीई’ पर पाबंदी

स्टॉकहोम – यूरोप के प्रगत और प्रमुख देश के तौर पर जानेवाले स्वीडन ने ५-जी तकनीक के क्षेत्र में चीन की हुवेई और ज़ेडटीई कंपनोयों पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया है। स्वीडन को बने खतरों में से चीन एक बड़ा खतरा होने का बयान करके स्वीडन ने इस पाबंदी का समर्थन किया है। मात्र १० दिनों में ५-जी तकनीक के क्षेत्र में चीन को झटका देनेवाला स्वीडन दूसरा बड़ा यूरोपियन देश है और इससे पहले बेल्जियम ने भी चीन की हुवेई कंपनी को कान्ट्रैक्ट देने से इन्कार किया था। एक के बाद एक यूरोपिय देश चीन को झटके दे रहे हैं और तभी लैटिन अमरीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था  ब्राज़िल ने भी चीनी कंपनियों को दूर रखने के संकेत दिए हैं।

‘हुवेई’

स्वीडन की पोस्ट ऐण्ड टेलिकॉम अथॉरिटी ने मंगलवार को चीन की दोनों कंपनियों पर पाबंदी लगाने का निर्णय घोषित किया। स्वीडन की दूरसंचार क्षेत्र की चारों कंपनियों को नए ‘५-जी’ नेटवर्क का निर्माण करने के लिए हुवेई और ज़डटीई इन चीनी कंपनियों की सहायता ना ले। वर्तमान में कार्यरत नेटवर्क का ५-जी के लिए इस्तेमाल करना हो तो इनमें से चीनी कंपनियों की यंत्रणा भी पूरी तरह से हटाई जाए, ऐसे स्पष्ट शब्दों में स्वीडन ने चीनी कंपनियों को ५-जी क्षेत्र में स्थान ना देने का ऐलान किया है। स्वीडन की सेना एवं सुरक्षा यंत्रणाओं ने दी रपट के बाद यह निर्णय होने की बात भी स्वीडीश यंत्रणा ने स्पष्ट की। स्वीडन के इस इन्कार के पीछे अमरीका ने बनाया दबाव कारण होने की बात कही जा रही है। स्वीडन की पाबंदी की वजह से चीन को दुबारा झटका लगा है और यह निर्णय चौंकानेवाला एवं निराश करनेवाला होने का बयान हुवेई कंपनी ने किया है।

मात्र १० दिन पहले ही यूरोप के प्रमुख ‘बेल्जियम’ ने ५-जी क्षेत्र में चीन की हुवेई कंपनी को कान्ट्रैक्ट देने से इन्कार किया था। बेल्जियम में नाटो एवं यूरोपिय महासंघ का मुख्यालय है। इस कारण कई देशों के वरिष्ठ नेता और अधिकारियों की इस देश में आवाजाही होती है। दो वर्ष पहले चीन ने बेल्जियम में जासूसी का नेवटर्क स्थापित करने की जानकारी सामने आयी थी। इस पृष्ठभूमि पर सुरक्षा के नज़रिये से चीनी कंपनी को ५-जी नेटवर्क के बाहर रखा गया है, यह जानकारी बेल्जियन अधिकारियों ने साझा की थी। स्वीडन और बेल्जियम से पहले ब्रिटेन एवं फ्रान्स ने ५-जी नेटवर्क से चीनी कंपनियों पर पाबंदी लगाई। जर्मनी ने ५-जी क्षेत्र के नियम सख्त करने के संकेत दिए हैं और इसके ज़रिये चीनी कंपनियों को दूर रखा जाएगा, यह समझा जा रहा है। तो अमरीका के दबाव के बाद इटली ने भी चीनी कंपनियों के मामले में उचित निर्णय करने का वादा किया है।

‘हुवेई’

इसी बीच ५-जी तकनीक के क्षेत्र में चीन को और एक झटका देने की अमरीका की कोशिश सफल हुई है। लैटिन अमरीका में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने ब्राज़िल ने चीनी कंपनियों पर पाबंदी लगाने के संकेत दिए हैं। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने हाल ही में ब्राज़िल की यात्रा की थी। इस दौरान अमरीका और ब्राज़िल के बीच व्यापारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। करीबन एक अरब डॉलर्स के इस समझौते में ५-जी क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं के लिए ब्राज़िल को बड़ी मात्रा में आर्थिक सहायता देने का वादा अमरिका ने किया है। चीन ब्राज़िल का सबसे बड़ा व्यापारी साझेदार होते हुए अमरीका ने किया हुआ समझौता और ब्राज़िल ने ५-जी के मुद्दे पर दिए संकेत ध्यान आकर्षित करनेवाले साबित होते हैं।

चीन की ‘हुवेई’ कंपनी फिलहाल ५-जी तकनीक के क्षेत्र की शीर्ष कंपनी के तौर पर जानी जाती है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत और सेना से काफी करीबी संबंध रखनेवाली इस कंपनी ने विश्‍व के अधिकांश प्रमुख देशों में ५-जी तकनीक का नेटवर्क स्थापित करने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं। लेकिन, विश्‍व के प्रमुख देश एक के बाद एक कार्रवाई करने से हुवेई के साथ चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के तकनीक के क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने के इरादे धूल में मिलने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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