जीनिव्हा/मॉस्को – अमरिका द्वारा रशिया के खिलाफ हर वक्त थोपे जा रहे प्रतिबंधों की वजह से दोनो देशों के बीच के परमाणु शस्त्र समझौते का भविष्य संकट में है और यह खतरे के संकेत है, ऐसी चतावनी रशियन मंत्री ने दी है। अमरिका और रशिया के बीच हुए ‘न्यू स्टार्ट’ इस परमाणु शस्त्रों से जुडे समझौते की मर्यादा सन २०२१ में समाप्त हो रही है। इस समझौते के अनुसार दोनो देशों ने उनके पास रहे परमाणु शस्त्रों की संख्या ५० प्रतिशत से कम करने को मंजूरी दी है।
‘पश्चिमी देश रशिया के दोस्त नही, दुश्मन है। अमरिका में व्यवस्था हिल गयी है और उस में कभी भी बिगाड पैदा हो सकता है। इसका असर शस्त्र स्पर्धा को नियंत्रित करने से जुडे जो घटक है, उनकी क्षमता पर हो सकता है।’ ऐसा दावा रशिया के विदेश उपमंत्री सर्जेई रायब्कोव ने किया। उसी वक्त रायब्कोव ने अमरिका द्वारा थोपे गये प्रतिबंधों को लक्ष्य करते हुए उसका गंभीर असर परमाणू शस्त्र समझौते पर हो सकता है, ऐसी फटकार भी लगायी।
‘अमरिका के ट्रम्प प्रशासन द्वारा थोपे प्रतिबंधों की वजह से परमाणू शस्त्र समझौते पर चल रहे बातचीत में रोक आयी है। उस में कुछ प्रगती नही हुई तो पूरी प्रक्रिया उलट सकती है और उसके गंभीर परिणाम हो सकते है। नये समझौते का भविष्य उज्ज्वल है, ऐसा अभी नही दिलायी दे रहा। अमरिका इस बारे में किसी भी तरह की अगुआई लेते हुए नही दिखाई पड रही।’ ऐसा दावा रशिया के विदेश उपमंत्री ने किया।
पिछले हफ्ते अमरिका ने, रशिया द्वारा अमरिका के साथ सन १९८७ में किये गये अंतरराष्ट्रीय ‘न्यूक्लिअर फोर्सेस ट्रिटी’ के उल्लंघन का इल्जाम लगाया था। साथ ही रशिया द्वारा नये प्रक्षेपास्त्र विकसित करने का काम रोका नही गया तो अमरिका को समझौते में शामिल ना होनेवाली कुछ चीजों के बारे में कठोर कदम उठाने पडेंगे, ऐसी चेतावनी अमरिका द्वारा दी गयी थी।
रशिया द्वारा ‘९एम७२९’ यह मध्यम पल्ले का प्रक्षेपास्त्र विकसित किया गया है, ऐसा दावा अमेरिका ने किया है। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार, ३०० से ३,४०० मील की क्षमता वाला ‘बॅलिस्टिक’ या ‘कू्रझ’ प्रक्षेपास्त्र विकसित नही किया जा सकता ता उसका परीक्षण भी नही लिया जा सकता। पर रशिया ने ‘९एम७२९’ के माध्यम से उसका उल्लंघन किया है, ऐसा अमरिका का इल्जाम है।
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