लंडन – सीरिया से अमरिकी सेना की वापसी करने का ऐलान होने की वजह से खाडी क्षेत्र की गतिविधियां तेज हुई है। इस्रायल और अरब देशों की गुप्तचर यंत्रणाओं के प्रमुखों की खुफिया बैठक का आयोजन पिछले महीने किया गया था। इस बैठक में ईरान से भी ज्यादा खाडी क्षेत्र में बढता तुर्की का प्रभाव खतरनाक साबित हो रहा है, इस मुद्दे पर इस्रायल और अरब मित्र देशों में सहमती हुई है। ब्रिटेन स्थित खाडी के वृत्तसंस्था ने यह समाचार प्रसिद्ध किया है।
पिछले महीने में खाडी क्षेत्र में इस्रालय और सउदी अरेबिया, ‘संयुक्त अरब अमीरात’ (यूएई) और इजिप्ट के गुप्तचर यंत्रणाओं के प्रमुखों की खुफिया बैठक का आयोजन हुआ। इस्रायल की खुफिया एजंसी ‘मोसाद’ के प्रमुख ‘योसी कोहेन’ इस बैठक में शामिल हुए थे, यह दावा खाडी क्षेत्र की वृत्तसंस्था ने किया है। इस दौरान ईरान और तुर्की इनके खाडी क्षेत्र में बढते प्रभाव पर बातचीत होने की बात इस वृत्तसंस्था ने कही है।
इस दौरान ईरान और तुर्की से बन रहे खतरों पर इस्रायल और अन्य खाडी देशों ने बातचीत की। ईरान के परमाणु और मिसाइलों के खतरों का सामना करने के लिए लष्करी कार्रवाई का इस्तेमाल हो सकता है, यह ‘मोसाद’ के प्रमुख कोहेन इन्होंने इस बैठक में बताया। लेकिन, ईरान से भी ज्यादा तुर्की से खाडी क्षेत्र के देशों की सुरक्षा के लिए सबसे अधिक खतरा होने की बात कोहेन ने कही, ऐसा इस वृत्तसंस्था ने कहा है।
‘ईरान की हुकूमत सहज तरीके से पलटना मुमकिन है। खाडी क्षेत्र में ईरान की वजह से बढ रहा खतरा लष्करी कार्रवाई के जरिये दूर करना मुमकिन होगा। लेकिन तुर्की यह देश ईरान से भी अधिक खतरनाक है और तुर्की को रोकना सबसे मुश्किल होगा, यह चेतावनी कोहेन इन्होंने इस बैठक में दी। कोहेन इन्होंने तुर्की के संबंधी यह भूमिका क्यो रखी, इस संबंधी खुलासा नही हो सका है। लेकिन इस वृत्तसंस्था ने दी जानकारी के नुसार इस्रायली गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुखों ने रखे इस मत से सउदी, यूएई और इजिप्ट भी सहमत है।
तुर्की का यह बढता खतरा दूर करने के लिए या तुर्की को प्रत्युत्तर देने के लिए अरब देश इराक, सीरिया और तुर्की के कुर्द गुटों के पीछे अपना समर्थन खडा करे, इस बात पर इस बैठक में चर्चा हुई, यह इस वृत्तसंस्था ने कहा है। तुर्की ने अपने देश के कुर्दों की ‘कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) यह आतंकी संगठन होने का ऐलान किया है। साथ ही ‘पीकेके’ से जुडे सीरिया और इराक की कुछ संगठनों को भी आतंकी कहकर तुर्की ने इन संगठनों के विरोध में संघर्ष शुरू किया है। इस वजह से इन कुर्द संगठनों को मजबूत किया तो तुर्की का बढता प्रभाव रोकना मुमकिन होगा। इसके लिए अरब देशों को इस्रायल से समर्थन प्राप्त होगा, यह विश्लेषण खाडी के इस वृत्तसंस्था ने किया है।
इसके अलावा सीरिया की अस्साद हुकूमत पलटने की योजना से अरब देशों ने वापसी करने की बात इस बैठक में स्पष्ट हुई है। इस वृत्तसंस्था ने प्रसिद्ध की हुई जानकारी का इस्रायल या अरब देशों ने समर्थन नही किया है। लेकिन, इजिप्ट में हालही में हुई अरब लीग की बैठक में भी संयुक्त अरब अमीरात और सुदान इन देशों ने अस्साद पर जारी किए प्रतिबंध पीछे लेकर सीरिया को फिर से अरब लीग में स्थान देने के संकेत दिए थे। इसके लिए राजनीतिक स्तर पर प्रयत्न भी शुरू किए थे।
इस दौरान, पिछले वर्ष इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू इनकी ऐतिहासिक ओमान यात्रा की तैयारी के पीछे ‘मोस्साद’ के प्रमुख कोहेन है, यह भी कहा जा रहा है। नेत्यान्याहू इनकी यात्रा से पहले कोहेन इन्होंने अरब देशों का दौरा करके इस भेंट के लिए सकारात्मक माहौल का निर्माण किया था, यह दावा हो रहा है। वही इसके पहले भी खाडी और ब्रिटेन के माध्यमों ने इस्रायल एवं अरब देशों की वरिष्ठ अधिकारियों की गोपनीय भेंट होने के समाचार प्रसिद्ध किए थे।
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