मास्को/किव्ह – रविवार के दिन युक्रैन में राष्ट्राध्यक्षपद के लिए हुए चुनाव में विनोदी अभिनेता के तौर पर पहचाने जा रहे ‘वोलोदिमिर झेलेन्स्की’ इन्होंने विरोधी पेट्रो पोरोशेन्को को शिकस्त दी है। इस नतीजे से पोरोशेन्को के पीछे अपना समर्थन खडे करनेवाले अमरिका और नाटो के गठबंधन को झटका लगा है। साथ इस नतीजे ने पश्चिमी देश बेचैन होते दिख रहे है। लेकिन, रशिया ने युक्रैन में हुए इस चुनावी नतीजे का जोरदार स्वागत किया है।
रविवार के दिन युक्रैन में हुए चुनाव में ६२ प्रतिशत से अधिक लोगों ने अपने मतदान का हक निभाया। रविवार देर रात सामने आए नतीजे में ‘आउटसायडर’ और ‘कॉमेडिअन’ के तौर पर पहचाने जा रहे ‘झेलेन्स्की’ ने करीबन ७३ प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त करके विरोधी पेट्रो पोरोशेन्को इन्हे शिकस्त दी। वर्तमान के राष्ट्राध्यक्ष पोरोशेन्को इनकी गणना रशिया के कडे विरोधी और पश्चिमी देशों के हाथ की कठपुतली के तौर पर हो रही थी। साथ ही उनके कार्यकाल के दौरान हुआ गबन और ढिली व्यवस्था यह मुद्दे उनके विरोध में जानेवाले साबित हुए, यह समझा जा रहा है।
वोलोदिमिर झेलेन्स्की इन्हें प्राप्त हुई जित से यूरोपीय देश और अमरिका के साथ रशिया ने भी स्वागत किया है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन इन्होंने मतदान से पहले रशिया के साथ सहयोग करनेवाली व्यक्ती चुनाव में जित प्राप्त करेगी, यह उम्मीद जताई थी। वोलोदिमिर झेलेन्स्की इनका चुनाव होने के बाद पुतिन इन्होंने सीधे अपना कहना स्पष्ट नही किया है, फिर भी प्रधानमंत्री मेदवेदेव इन्होंने दर्ज की हुई प्रतिक्रिया ध्यान आकर्षित करती है।
‘युक्रैन के नए राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमिर झेलेन्स्की इन्हें रशिया के साथ संबंध सुधारने का अच्छा अवसर प्राप्त हुआ है’, ऐसा रशिया के प्रधानमंत्री मेदवेदेव इन्होंने कहा है। यूरोपीय देशों ने झेलेन्स्की इनकी जीत का स्वागत किया है, फिर भी उन्होंने सत्ता प्राप्त करने के बाद नीति में गलती करनी नही चाहिए, यह इशारा दिया है। रशिया के साथ सहयोग के मुद्दे पर यूरोपीय देशों ने झेलेन्स्की इन्हें यह चेतावनी दी दिख रहा है।
इस चुनाव में परास्त हुए पोरोशेन्को इन्होंने झेलेन्स्की इनकी जीत होने से रशिया में खुशी मनाई जा रही है, यह आलोचना की। इस चुनाव के परीणामों से युक्रैन फिर से अपने प्रभाव के तले आने का भरोसा रशिया को हुआ है। इसी लिए रशिया में खुशी मनाई जा रही है, ऐसा पोरोशेन्को इनका कहना है।
वर्ष २०१४ में रशिया ने युक्रैन के क्रिमिआ का हिस्सा अपने कब्जे में लिया है और पूर्व युक्रैन में बागियों को भी समर्थन दिया है। इस वजह से युक्रैन और रशिया के बीच काफी तनाव बना है और पोरोशेन्को इन्होंने लगातार रशिया के विरोध में भूमिका स्वीकारकर यह तनाव बढाने का काम किया था। पोरोशेन्को इनकी भूमिका को अमरिका और यूरोपीय महासंघ ने भी समर्थन दिया था। उनकी हार होने से महासंघ और अमरिका को कुछ तादाद में समस्याओं का सामना करना होगा, यह दावा विश्लेषक कर रहे है।
राष्ट्राध्यक्ष पोरोशेन्को इनके समय में युक्रैन ने रशिया के विरोध में कडी भूमिका स्वीकारने से अमरिका और यूरोपीय देशों को इससे लाभ हुआ था। लेकिन, अब स्थिति बदल चुकी है और अमरिका एवं नाटो अपने दांव बदलने के लिए विवश होंगे।
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