न्यूयॉर्क – लगभग दो सौ करोड ‘युझर्स’ को सेवा दे रही ‘फेसबुक’ ने ‘लिब्रा’ नाम से अपनी ‘क्रिप्टोकरन्सी’ शुरू करने का ऐलान किया है। वर्ष २०२० के दौरान यह ‘डिजिटल चलन’ बाजार में लाने का फेसबुक ने तय किया है। इस चलन को ‘बैंक में जमा डिपोजिट’ और ‘सरकारी बांड’ का आधार रहेगा, यह कहा गया है। फेसबुक की इस ‘लिब्रा’ चलन के लिए आईटी क्षेत्र की लगभग २८ कंपनियां एक होकर सहायता कर रही है। इन में ‘पेपाल’, ‘मास्टरकार्ड’, ‘व्हिसा’, ‘व्होडाफोन’, ‘ईबे’, ‘उबर’ ऐसी कंपनियों का समावेश है। दुनियाभर में ‘चलनयुद्ध’ शुरू होने के दावे वित्तीय विशेषज्ञ कर रहे है?और ऐसे में फेसबुक ने ‘लिब्रा’ का किया ऐलान ध्यान आकर्षित कर रहा है। फेसबुक ने उठाए इस कदम का जागतिक स्तर पर हो रही आर्थिक गतिविधियों पर काफी बडा असर होने की संभावना जताई जा रही है।
‘लिब्रा’ परंपरागत चलन में आसानी से रुपांतरीत करना संभव होगा। साथ ही किसी को भी एसएमएस भेजने की तरह ही लिब्रा की सहायता से व्यवहार करना आसान होगा, यह जानकारी ‘लिब्रा’ के लिए काम कर रहे चमु के प्रमुख डेव्हिड मार्कस ने दी है। रोमन संस्कृति के नुसार लिब्रा का मतलब न्याय होता है। वही फ्रेंच भाषा में लिब्रा यानी आजादी समझी जाती है। लिब्रा यह चलन यानी न्याय और आजादी से पैसों का हुआ मेल करनी की कोशिश होने का दावा मार्कस ने किया है। आईटी एवं वित्तीय क्षेत्र की बडी कंपनियां इस चलन को प्रस्तुत करने के लिए सहायता कर रही है। इस वजह से लिब्रा का दायरा काफी बडा होगा, यह संकेत अभी से प्राप्त हो रहे है।
दुनिया भर में फेसबुक के लगभग दो सौ युझर्स है। उनके जरिए ‘लिब्रा’ का इस्तेमाल हो सकता है। साथ ही तकनीकी एवं वित्तीय क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों का समावेश होने से लिब्रा का इस्तेमाल बडी तादाद में होगा, यह अंदाजा है। इसी लिए अगले दौर में चलन बाजार में लिब्रा की खरीद और बिक्री होगी, यह विश्वास फेसबुक ने व्यक्त किया है। साथ ही बैंक खाता नही है ऐसे लगभग १७० करोड लोग दुनियाभर में है। यह लोग लिब्रा का इस्तेमाल करेंगे, यह दावा फेसबुक ने किया है।
वर्ष २०२० के दौरान लिब्रा दुनिया भर में जारी की जाएगी, यह कहा जा रहा है। जागतिक स्तर पर अर्थकारण में काफी बडी उथल पुथल हो रही है, ऐसे में लिब्रा का ऐलान करके फेसबुक ने पुरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। अमरिका और चीन में व्यापारयुद्ध शुरू है और चीन अपने चलन युआन का मुल्य हेतू रखकर कम रखकर व्यापारी लाभ उठा रहा है, यह तकरार अमरिका कर रही है। वही, फिलहाल जागतिक स्तर पर प्रमुख चलन के तौर पर इस्तेमाल हो रहे ‘डॉलर’ का इस्तेमाल अमरिका हथियारों की भांती कर रही है, यह आरोप रशिया और चीन से किया जा रहा है। साथ ही अन्य देशों में भी चलन का मुल्य तय करने के मुद्दे पर विवाद शुरू है।
ऐसी स्थिति में लिब्रा का अंतरराष्ट्रीय अर्थकारण में प्रवेश करना अमरिकी डॉलर को चुनौती देनेवाला साबित हो सकता है। फिलहाल अमरिका की संसद और न्याय विभाग ने आईटी क्षेत्र की कंपनियों को गैरव्यवहार एवं एकाधिकार के विरोध में जांच शुरू की है। इन कंपनियों को अमर्याद आजादी देना मुमकिन नही, यह कहकर अमरिकी संसद और न्याय विभाग ने इन कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए नए कानून या मौजुद कानून में सुधार करने पर विचार शुरू किया है। इन कंपनियों में फेसबुक का भी नाम शामिल है। अमरिका की यह कार्रवाई यानी आईटी क्षेत्र की कंपनियों के विरोध में ट्रम्प प्रशासन ने शुरू किया युद्ध ही है, यह दावा अमरिकी माध्यम कर रहे थे।
इस पृष्ठभूमि पर फेसबुक ने ‘लिब्रा’ नाम से ‘क्रिप्टोकरन्सी’ प्रस्तुत करने का किया ऐलान अलग ही संकेत दे रहा है।
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