सोची – रशिया के दो ‘स्ट्रैटेजिक न्यूक्लिअर बॉम्बर्स’ बुधवार के दिन दक्षिण अफ्रीका के हवाई अड्डे पर उतरें| रशियन न्यूक्लिअर बॉम्बर्स अफ्रीकी महाद्विप में उतरने का यह पहला ही अवसर है| यह घटना रशिया और अफ्रीका के बीच बढ रहे सहयोग के संकेत देनेवाली होने का दावा विश्लेषक कर रहे है| रशिया की सोची शहर में रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता में पहली ‘रशिया-अफ्रीका समिट’ शुरू हुई है और इसी बीच रशियन बॉम्बर्स की अफ्रीका में हुई तैनाती ध्यान आकर्षित कर रही है|
बुधवार के दिन दक्षिण अफ्रीका पहुंचे रशिया के दो ‘टयुपोलेव टीयू-१६०’ यह ‘न्यूक्लिअर बॉम्बर्स’ विमान प्रिटोरिया शहर से नजदिक होनेवाले ‘वॉटरक्लूफ एअरफोर्स बेस’ पर उतरें| इस दौरान दक्षिण अफ्रीका के रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं रशियन दूतावास के अधिकारी भी मौजूद थे| रशिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच बढ रहे लष्करी सहयोग के हिस्से के तौर यह ‘स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स’ विमान यहा पहुंचे है, यह जानकारी दक्षिण अफ्रीका के अधिकारियों ने दी|
रशियन बॉम्बर्स अफ्रीका महाद्विप पहुंचने की घटना अफ्रीका में रशिया का प्रभाव बढने के संकेत देनेवाली होना का दावा विश्लेषक कर रहे है| रशिया के सोची शहर में शुरू हुई पहली ‘रशिया-अफ्रीका समिट’ भी इसी सहयोग का हिस्सा है और अमरिका एवं चीन के साथ अब रशिया भी इस महाद्विप में अपना नियंत्रण बनाने की कोशिश करती दिख रही है|
सोची की ‘रशिया अफ्रीका समिट’ में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने किए निर्णय और रशिया एवं अफ्रीकी देशों में हुए समझौते रशिया की ‘मिशन अफ्रीका’ का हिस्सा होने की बात विश्लेषक कह रहे है| पिछले कुछ वर्षों में रशिया ने अल्जेरिया, नाईजेरिया, रवांडा, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक जैसे देशों ने अपने पैर जमाने की कोशिश शुरू की है| सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक जैसे देश में रशिया के रक्षा क्षेत्र की निजी कंपनी का दस्ता तैनात होना भी इसी सहयोग का अंग होने की ओर ध्यान खिंचा गया है|
रशिया-अफ्रीका समिट में पुतिन ने अफ्रीकी देशों को प्रदान किए हुए २० अरब डॉलर्स के कर्ज माफ करने का ऐलान किया| वर्ष २०१८ में रशिया और अफ्रीका महाद्विप का व्यापार २० अरब डॉलर्स तक पहुंचा था| यह ध्यान में रखकर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने किया ऐलान अहम समझा जा रहा है| इसी बीच रशियन अधिकारी ने अफ्रीकी देशों के साथ अरबों डॉलर्स का रक्षा समझौता होगा, यह जानकारी दी है|
इससे पहले अमरिका और चीन इन दोनों देशों ने अफ्रीका में वर्चस्व निर्माण करने में कामयाबी प्राप्त हुई है और अब रशिया इसमें प्रवेश करने की कोशिश कर रही है| दक्षिण अफ्रीका में हुई रशियन न्यूक्लिअर बॉम्बर्स की तैनाती और रशिया-अफ्रीका समिट से यही संकेत प्राप्त हो रहे है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है|
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