मॉस्को – अमरीका एवं नाटो सदस्य देशों ने रशिया के सीमा के नज़दीक शुरू कीं हुईं आक्रमक गतिविधियों जवाबी कार्र्वाई के तौर पर रशिया ने बाल्टिक क्षेत्र में लष्करी अभ्यास का आयोजन किया है। रशिया ने शुरू किये अभ्यास में, सुखोई लड़ाक़ू विमान तथा इस्कंदर क्षेपणास्त्रों का समावेश है। इस अभ्यास के जारी रहते ही रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतीन ने यह दावा किया है कि हायपरसोनिक क्षेपणास्त्रों को छेद सकें ऐसी यंत्रणा जल्द ही रशियन रक्षादलों में दाखल हो जायेगी।
पिछले कुछ दिनों में अमरीका और नाटो सदस्य देशों ने रशियन सीमा के नज़दीकी क्षेत्र में गतिविधियाँ बढ़ायीं हैं। अमरीका और नाटो सदस्य देशों ने एक ही समय पर दो युद्धअभ्यासों की शुरुआत की होकर, उसमें लगभग १० हज़ार से भी अधिक जवानों का समावेश है। पोलंड में ५ जून को अमरीका और पोलंड इन दो देशों का ‘डिफेंडर युरोप २०’ यह युद्धअभ्यास शुरू हुआ होकर, इसमें दोनों देशों के मिलाकर छ: हज़ार से भी अधिक जवान सहभागी हुए हैं। इसके अलावा १०० से भी अधिक टैंक और २३० से अधिक सशस्त्र वाहन तथा यंत्रणाएँ इनका भी अभ्यास में समावेश है।
इस अभ्यास के पीछे पीछे सोमवार ७ जून को अमरीका ने १७ नाटो सदस्य देशों के साथ ‘बाल्टॉप्स २०’ इस भव्य नौदल अभ्यास की शुरुआत की। इस अभ्यास में २८ युद्धपोत और २५ से भी अधिक लड़ाक़ू विमानों के साथ तीन हज़ार से अधिक जवानों का समावेश है। ‘डिफेंडर युरोप २०’ और ‘बाल्टॉप्स २०’ ये दोनों युद्धअभ्यास इस हफ़्ते के अन्त तक जारी रहेंगे, ऐसी जानकारी संबंधित सूत्रों ने दी। कोरोना महामारी का संकट अधिक तीव्र होता चला जा रहा है और ऐसे में, उसका सर्वाधिक झटका लगे अमरीका और युरोपीय देशों ने इतने बड़े पैमाने पर लष्करी गतिविधियाँ करना ग़ौरतलब साबित हो रहा है।
अमरीका और नाटो की इन बढ़तीं गतिविधियों को प्रत्युत्तर देने हेतु रशिया ने भी बाल्टिक में लष्करी अभ्यास की शुरुआत की है। पोलंड की सीमा के नज़दीक होनेवाले कॅलिनिनग्रॅड इस रक्षाअड्डे पर और बाल्टिक सागरी क्षेत्र में यह अभ्यास शुरू किया गया है। रशिया ने शुरू किये इस अभ्यास में, ‘सुखोई-३०’, ‘सुखोई-२७’ एवं ‘सुखोई-२४’ इन लड़ाक़ू समेत ‘इस्कंदर’ बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्रों का समावेश है।
अमरीका और नाटो को प्रत्युत्तर देने के लिए रशिया द्वारा अभ्यास का आयोजन किया गया होते समय ही राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतीन ने नयी चेतावनी दी है। ‘दुनिया के अन्य देशों द्वारा तैनात किये जानेवाले हायपरसोनिक परमाणुहथियारों को छेद सकें ऐसी यंत्रणा रशियन रक्षादलों में जल्द ही शामिल हो सकती है’, ऐसा पुतीन ने जताया। रशिया ने पिछले ही साल अपने रक्षादल में हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र तैनात किये हैं। अमरीका और चीन ने भी अपने पास हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र तैयार होने के दावे किये हैं।
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