कॅनबेरा – साउथ चायना सी क्षेत्र के अलग अलग हिस्सों को लेकर चीन से हो रहे सभी दावें ऑस्ट्रेलिया ठुकरा रहा है। ऐतिहासिक एवं समुद्री सीमा के अधिकारों के नाम पर चीन कर रहें इन दावों को किसी भी प्रकार से कानूनी आधार नहीं है और ये सभी दावें फ़िज़ूल हैं, इन शब्दों में ऑस्ट्रेलिया ने चीन को नया झटका दिया है। साउथ चायना सी पर चीन ने जताया अधिकार ठुकरानेवाला ऑस्ट्रेलिया अमरीका के बाद दुसरा बड़ा देश बना हैं। ऑस्ट्रेलिया चीन को ठुकरा रहा हैं तभी अमरीका ने भी नए से आलोचना की हैं और साउथ चायना सी का क्षेत्र चीन के समुद्री साम्राज्य का हिस्सा ना होने की फ़टकार लगाई हैं।
कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर, अपनी वर्चस्ववादी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए कोशिश कर रहें चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चुनौती मिलने लगी हैं। अमरीका और यूरोप के साथ विश्व के कई प्रमुख एवं छोटे-बड़े देश चीन की हरकतों के विरोध में खुलेआम भूमिका अपना रहे हैं। चीन और ऑस्ट्रेलिया इन प्रमुख व्यापारी साझेदार देशों के बीच बना तनाव पिछले कुछ वर्षों से धीरे धीरे सामने आ रहा था। ऑस्ट्रेलिया के अंदरुनि राजनीती में दखलअंदाज़ी एवं सायबर हमलों जैसें मुद्दों पर बढ़ रहे तनाव में इस वर्ष कोरोना की महामारी ने बढ़ोतरी की हैं। चीन से लगातार दी जा रही धमकीयां और साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने अपनाए कड़े रवैये की वज़ह से दोनों देशों के संबंध अब काफ़ी बिगड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। साउथ चायना सी के मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया ने अपनाई आक्रामक भूमिका की वज़ह से, इसके आगे इन दोनों देशों के संबंध पहले की तरह होने की संभावना लगभग ख़त्म होती दिखाई दे रही हैं।
ऑस्ट्रेलिया ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने रखें अधिकृत निवेदन में अपनी साउथ चायना सी के संबंधित नीति स्पष्ट की। संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्ष १९८२ के ‘कन्वेन्शन ऑन द लॉ ऑप द सी’ के विरोध में जा रहें चीन के सभी दावें ऑस्ट्रेलिया की सरकार ठुकरा रही हैं। इसी बीच समुद्री क्षेत्र पर जताया अधिकार एवं सीमित सरहद को लेकर किए दावों का भी समावेश हैं। साउथ चायना सी पर अपना हक हैं या परंपरा के अनुसार अपने समुद्री हितसंबंध इससे जुड़े हैं, इस तरह के चीन के कोई भी दावें ऑस्ट्रेलिया स्पष्ट तौर पर ठुकरा रही हैं। अपनी समुद्री सीमा से बाहर होनेवाले द्विपों पर दावे करने का कोई भी कानूनी अधिकार चीन को नही हैं, यह कहकर ऑस्ट्रेलिया ने, साउथ चायना सी को लेकर चीन ने अपनाई एकतरफा भूमिका कभी भी स्वीकार नहीं होगी, यह इशारा भी स्पष्ट शब्दों में दिया हैं।
दो सप्ताह पहले अमरिकी विदेश विभाग ने, साउथ चायना सी के मुद्दे पर अपनी भूमिका स्पष्ट करते समय चीन के विरोध में संघर्ष करने की भूमिका खुलेआम अपनाई थी। अमरीका मुक्त एवं खुले ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र की कड़ी समर्थक हैं और इस क्षेत्र का अंग होनेवाले साउथ चायना सी पर चीन ने किए सभी दावे पूरी तरह से गैरक़ानूनी हैं, इन स्पष्ट एवं कड़े शब्दों में अमरीका ने साउथ चायना सी पर चीन ने जताया दावा ठुकराया था। इसके बाद ब्रिटेन और भारत के साथ आग्नेय एशियाई देशों ने अमरीका की भूमिका का समर्थन किया था। लेकिन, रणनीतिक स्तर पर चीन के दावें स्पष्ट शब्दों में ठुकरानेवाला ऑस्ट्रेलिया अमरीका के बाद दुसरां देश बना हैं। ऑस्ट्रेलिया अपनी नीति का ऐलान कर रही थी तभी अमरीका ने फिर एक बार साउथ चायना सी को लेकर अपनाई अपनी भूमिका दोहराई हैं।
अमरीका की नीति काफ़ी स्पष्ट हैं। साउथ चायना सी यकिनन चीन के समुद्री साम्राज्य का हिस्सा नही हैं। चीन ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया और विश्व के अन्य जनतांत्रिक देशों ने कुछ भी नहीं किया तो चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत अधिक से अधिक हिस्से का निवाला करेगी। इतिहास ने यह दिखाया हैं। साउथ चायना सी के सभी विवादों का हल अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर ही निकालना होगा, यह बयान अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने किया हैं। अमरीका के साथ मित्रदेश साउथ चायना सी के मुद्दे पर चीन की घेराबंदी करने की कोशिश कर रहे हैं और तभी चीन ने भी इसपर प्रत्युत्तर देने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरू की हैं।
शनिवार से साउथ चायना सी के क्षेत्र में लाईव्ह फायर ड्रिल शुरू होने की जानकारी स्थानिय प्रसारमाध्यमों ने प्रदान की हैं। ग्वांगडाँग प्रांत में इस युद्धाभ्यास की शुरूआत हुई हैं और इसमें युद्धपोत एवं लड़ाकू विमानों को लक्ष्य करने पर जोर दिया जा रहा हैं, यह जानकारी साझा की गई हैं। इस महीने में चीन ने साउथ चायना सी क्षेत्र में किया हुआ यह दुसरां बड़ा युद्धाभ्यास हैं।
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