येरेवान/अंकारा – तुर्की की हुकूमत को पूरब और उत्तर की दिशा में अपना विस्तार करना है और आर्मेनिया इसमे आखरी अड़ंगा है। इसे दूर करने के लिए आर्मेनियन्स का संहार करके तुर्की साम्राज्य को दुबारा स्थापित करना ही तुर्की का मुख्य उद्देश्य है, ऐसा सनसनीखेज़ आरोप आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशनियान ने किया। अपने आरोपों की पुष्टी करते समय उन्होंने तुर्की की ग्रीस के विरोध में जारी गतिविधियां और सीरिया एवं इराक में हो रही दखलअंदाज़ी की ओर ध्यान आकर्षित किया। इसी बीच, बीते सप्ताह से जारी आर्मेनिया-अज़रबैजान की लड़ाई में नागोर्नो-कैराबख के आठ गांवों पर कब्जा करने का दावा अज़रबैजान ने किया है।
मध्य एशिया के आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच बीते रविवार से जोरदार युद्ध हो रहा है और प्रतिदिन इस युद्ध का दायरा अधिक बढ़ने की बात सामने आ रही है। शनिवार के दिन दोनों ओर से एक-दूसरे पर बड़ी संख्या में रॉकेट्स और मिसाइल्स के हमल होने की बात स्पष्ट हुई है। आर्मेनिया ने अज़रबैजान में दूसरे क्रमांक के शहर के तौर पर जाने जा रहे गांजा स्थित हवाई अड्डा तहस नहस करने का दावा किया। इसी अड्डे से नागोर्नो-कैराबख में स्थित आर्मेनिया के लष्करी ठिकानों पर हमले हो रहे थे, ऐसा कहा जा रहा है। साथ ही अज़रबैजान राष्ट्राध्यक्ष इलहाम अलीयेव ने मदागिज़ समेत सात गांवों पर अपनी सेना ने कब्जा करने का ऐलान किया। बीते २४ घंटों के संघर्ष में दोनों ओर बड़ी मात्रा में जीवित नुकसान होने के दावे हो रहे हैं। लेकिन, इन दावों की पुष्टी नहीं हो सकी है।
इसी पृष्ठभूमी पर आर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने तुर्की के विरोध में नरसंहार के आरोप पर सनसनी मचाई है। फ्रान्स २४ नामक समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार के दौरान उन्होंने यह इशारा दिया है कि, आर्मेनिया और ग्रीस के द्विपों पर कब्जा करने में यदि तुर्की कामयाब हुआ तो वह वीएना तक पहुँच सकता है। नागोर्नो-कैराबख में जारी लड़ाई में अज़रबैजान को तुर्की पूरा समर्थन दे रहा है और तुर्की ने बड़ी मात्रा में हथियारों की आ्पूर्ति भी की है, यह दावा आर्मेनिया ने पहले ही किया है। अब प्रधानमंत्री निकोल पाशनियान ने तुर्की के विरोध में सीधे नरसंहार का आरोप करके मौजूदा स्थिति में जारी युद्ध सिर्फ नागोर्नो-कैराबख तक सीमित ना होने का अहसास कराया है। तुर्की की हरकतों की वजह से पूरे क्षेत्र में विध्वंस का शोला भड़केगा, यह इशारा भी आर्मेनियन प्रधानंमत्री ने दिया है।
बीते शतक में पहले विश्वयुद्ध के दौरान तुर्की के उस समय रहे ‘ऑटोमन’ साम्राज्य ने कम से कम १५ लाख आर्मेनियन लोगों की हत्या की थी। २०वीं सदी में पहले बड़े नरसंहार के तौर पर यह घटना जानी जाती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस घटना को नरसंहार कहने के लिए दी हुई मंजूरी तुर्की ने ठुकराई है। इस पृष्ठभूमि पर आर्मेनियन प्रधानमंत्री ने किए आरोपों पर तुर्की तीखी प्रतिक्रिया दर्ज़ कर सकता है।
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