येरेवान/बाकु – रशिया की पहल से मंजूर हुआ युद्धविराम शुरू होने से पहले आर्मेनिया और अज़रबैजान का युद्ध दुबारा अधिक तीव्र हुआ है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के विरोध में युद्धविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। अज़रबैजान ने नागोर्नो-कैराबख की राजधानी स्टेपनकेर्ट में हमले करने का आरोप आर्मेनिया ने किया है। तभी आर्मेनिया ने किए मिसाइल हमले में नौं लोगों की मौत हुई है और ३० से अधिक घायल होने का दावा अज़रबैजान की सरकार ने किया है। इसके कारण बीते दो सप्ताहों से जारी आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध अधिक भड़कने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।
शुक्रवार के दिन रशिया की राजधानी मास्को में आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच प्राथमिक स्तर की चर्चा हुई थी। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की पहले से शुरू हुई यह चर्चा आर्मेनिया-अज़रबैजान का युद्ध खत्म करने के लिए आवश्यक हल निकालने की पहली कोशिश समझी जाती है। मास्को की बैठक में रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव के साथ दोनों देशों के विदेशमंत्री शामिल थे। लगातार १० घंटे चली चर्चा के बाद दोनों देशों के विदेशमंत्रियों ने युद्ध कैदियों और शवों का आदान-प्रदान करने तक युद्धविराम करने के लिए मंजूरी दी थी। लेकिन, शनिवार सुबह यह युद्धविराम शुरू होने से पहले ही दोनों देशों ने इस विराम का उल्लंघन करने का आरोप एक-दूसरे के विरोध में लगाया है। इस वजह से थोड़े समय के लिए युद्ध विराम करने के लिए दोनों देश तैयार नहीं है बल्कि युद्धविराम के लिए हुई चर्चा नाकाम होने की बात स्पष्ट हुई। रशिया ने अभी इस पर बयान नहीं किया है।
अज़रबैजान की सेना ने नागोर्नो-कैराबख की राजधानी स्टेपनकेर्ट में स्थित नागरी इलाकों पर हमले किए हैं, यह आरोप आर्मेनिया ने किया। शनिवार की सुबह हुए इन हमलों में बड़ा नुकसान होने की जानकारी आर्मेनिया के सूत्रों ने साझा की। तभी आर्मेनिया ने गांजा शहर में मिसाइल हमले करने का दावा अज़रबैजान ने किया है। इन हमलों में नौं लोग मारे गए हैं और ३३ घायल होने की जानकारी अज़रबैजान की सरकार ने प्रदान की। गांजा, अज़रबैजान का दूसरे क्रमांक का शहर है और इसी क्षेत्र में तुर्की ने अपने ‘एफ-१६ वाइपर’ लड़ाकू विमान तैनात किए हैं, यह बात कुछ दिन पहले स्पष्ट हुई थी। गांजा के बाद मिंगासेविर में स्थित बीजली प्रकल्प पर हमला होने का बयान अज़रबैजान से प्राप्त हुआ है।
इसी बीच, नागोर्नो-कैराबख में करीबन ७० हज़ार लोग इस युद्ध के कारण विस्थापित होने की जानकारी दी जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर यूरोप एवं लैटिन अमरीका में आर्मेनिया के समर्थन में प्रदर्शन शुरू होने की बात भी सामने आ रही है।
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