वॉशिंग्टन – ‘तैवान चीन का हिस्सा नहीं है और इससे संबंधित नीति साढ़ेतीन दशक पहले रिगन प्रशासन ने तय की थी। अमरीका आज भी इसका पालन कर रही है और यह नीति दोनों दलों ने मंजूर की है’ ऐसा अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने स्पष्ट शब्दों में जताया है। पोम्पिओ के इस बयान से चीन काफी बौखला गया है और अपने हितसंबंधों का नुकसान करनेवालों को सख्त प्रत्युत्तर दिया जाएगा, इन शब्दों में चीन ने धमकाया है। उसी समय तैवान ने अमरिकी विदेशमंत्री के बयान का स्वागत किया है और तैवान सार्वभूम और स्वतंत्र देश होने की बात दोहराई है।
अमरीका में स्थित ‘रेडियो नेटवर्क’ के एक साक्षात्कार के दौरान, संबंधित कार्यक्रम का सूत्रधार ह्यूज हेविट ने, ट्रम्प प्रशासन की तैवान नीति और चीन द्वारा दी जा रही धमकियों के मुद्दे पर सवाल किया था। इसपर जवाब देते समय विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने, तैवान चीन का अंग ना होने का बयान किया। चीन ने तैवान को इससे पहले दिए वचनों का पालन करना होगा, यह इशारा भी अमरिकी विदेशमंत्री ने इस दौरान दिया।
तैवान के प्रति अमरीका वचनबद्ध है और इस वचन का पालन करना अहम है। तैवान की रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए अमरीका ने प्रगत हथियारों की बिक्री करने का निर्णय भी किया है। चीन और तैवान ने एकदूसरे को दिए वचनों का पालन करना होगा, इस उद्देश्य से अमरीका ने ये कदम बढ़ाए हैं, इन शब्दों में विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने, अमरीका की तैवान से संबंधित भूमिका में बदलाव नहीं होगा, यह संकेत भी दिए। इसी बीच, अमरिकी विदेशमंत्री ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को भी लक्ष्य किया और उसकी हरकतों के खतरे से बचने के लिए अमरीका द्वारा छेड़ी गयी मुहिम अभी खत्म नहीं हुई है, यह भी जताया। व्हाईट हाऊस के साथ विदेश एवं कोषागार विभाग ने भी, चीन के खिलाफ़ निर्णयों का जल्द ही ऐलान होगा, यह बात भी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने साझा की।
अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तैवान के साथ जारी सहयोग के मुद्दे पर अधिक सक्रिय भूमिका अपनाई है। अमरीका ने तैवान में शुरू किया हुआ राजनीतिक कार्यालय, अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तैवान के नेताओं से की हुई भेंट एवं बढ़ता सहयोग, ये बातें ट्रम्प की भूमिका का हिस्सा समझीं जा रहीं हैं। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने लंबे तीन दशकों की अवधि के बाद तैवान को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करने का ऐतिहासिक निर्णय किया था। इसके बाद तैवान को आधुनिक मिसाइल, टोर्पेडो एवं प्रगत रक्षा यंत्रणा प्रदान करने का निर्णय भी अमरीका ने किया है। अमरीका ने तैवान के करीबी समुद्री क्षेत्र में अपनी तैनाती भी बढ़ाई है और अपने विमान वाहक युद्धपोतों के साथ विध्वंसक, ड्रोन्स, गश्ती और लड़ाकू विमानों की मौजूदगी भी बढ़ाई है।
अमरीका की इस भूमिका पर चीन ने समय समय पर लगातार नाराज़गी जताकर चेतावनियाँ भी दीं थीं। अमरीका ने इन चेतावनियों को अनदेखा करके अपनी आक्रामक भूमिका कायम रखी है। लेकिन, विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ द्वारा, तैवान चीन का हिस्सा ना होने का बयान करना, यह चीन की ‘वन चायना पॉलिसी’ को दी हुई खुली चुनौती साबित होती है। कुछ महीनें पहले अमरीका ने, चीन द्वारा साउथ चायना सी पर किया गया दावा ठुकराकर बड़ा झटका दिया था। इसके बाद अब चीन ने तैवान पर किए दावे को झटका देकर, चीन के विरोध में शुरू राजनीतिक संघर्ष नए स्तर पर ले जाने के संकेत भी उन्होंने दिए हैं।
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