मॉस्को – रशिया ने राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन के नेतृत्व में ‘न्यूक्लिअर ट्रायड’ का परीक्षण किया होने की जानकारी रशियन लष्कर ने साझा की है। इसके तहत पनडुब्बी, भूमिगत अड्डे और ‘बॉम्बर्स’ पर से परमाणु क्षमता होनेवाले क्षेपणास्त्र सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किये गए, ऐसा बताया गया है। कुछ ही महीने पहले, रशिया ने नयी ‘न्यूक्लिअर डिटरंट पॉलिसी’ घोषित करके, परमाणु अस्त्रों के अलावा अन्य किसी भी पारंपरिक पद्धति से किये हमले को परमाणुअस्त्रों से प्रत्युत्तर दिया जायेगा, ऐसी चेतावनी की थी। इस पृष्ठभूमि पर यह परीक्षण अहम माना जाता है।
रशियन लष्कर ने बुधवार को ‘न्यूक्लिअर ट्रायड’ के परीक्षण की जानकारी तथा फोटोग्राफ्स जारी किए। ‘स्ट्रॅटेजिक न्यूक्लिअर फोर्सेस’ के टुकड़ियों ने इसमें सहभाग लिया था। ‘बॅरेन्ट्स सी’ में तैनात ‘डेल्टा क्लास४’ न्युक्लिअर पनडुब्बी ‘करेलिया’ से आन्तरमहाद्विपीय बैलिस्टिक क्षेपणास्त्र का परीक्षण किया गया। ‘प्लेसेत्स्क कॉस्मोड्रोम’ के भूमिगत अड्डे से आन्तरमहाद्विपीय क्षेपणास्त्र प्रक्षेपित किया गया, ऐसा रशिया के रक्षा विभाग ने बताया। वहीं, रशिया के ‘टीयु-९५’ तथा ‘टीयु-१६०’ इन बॉम्बर्स ने लाँग-रेंज परमाणुअस्त्रवाहक क्षेपणास्त्रों सफलतापूर्वक दागा होने की जानकारी दी गयी। यह परीक्षण ‘एन्गेल्स’ एवं ‘युक्रैन्का’ अड्डों से लिया गया है।
ये सभी परीक्षण राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की कमांड में हुए होकर, सभी परीक्षणों ने नियोजित लक्ष्य पूरे किये, ऐसा स्पष्ट किया गया। पिछले ही महीने रशिया ने ‘अँटी सॅटेलाईट वेपन’ समेत प्रगत हायपरसोनिक क्षेपणास्त्रों का परीक्षण किया होने की जानकारी सामने आयी थी। उससे पहले अक्तूबर महीने की शुरुआत में भी हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र का परीक्षण किया गया था। एक के बाद एक होनेवाले ये परीक्षण रशिया की आक्रामक रक्षा नीति के संकेत देनेवाले साबित हो रहे हैं।
रशिया की यह नयी नीति, अमरीका द्वारा पिछले कुछ सालों में रक्षासिद्धता के लिए शुरू होनेवालीं आक्रामक गतिविधियों का परिणाम है, यह बताया जा रहा है। अमरीका ने रशिया की सीमा के नज़दीक तैनात कीं ‘मिसाईल डिफेन्स सिस्टिम्स’, लगातार बढ़ती हुई लष्करी तैनाती और ‘स्पेस बेस्ड वेपन्स’ रशिया के लिए बड़े ख़तरें होने की बात रशिया द्वारा लगातार कही जा रही है। पिछले महीने में अमरीका ने किये ‘एसएम-३’ इस बैलिस्टिक क्षेपणास्त्र के परीक्षण की भी रशिया ने आलोचना की थी।
पिछले दो सालों से रशिया द्वारा लगातार प्रगत परमाणुअस्त्र और क्षेपणास्त्रों के आधुनिक संस्करणों का परीक्षण किया जा रहा है। पिछले साल अमरीका के साथ रहनेवाला ‘आयएनएफ’ यह क्षेपणास्त्र समझौता टूटने के बाद ये परीक्षण अधिक ही तेज़ी से किये जा रहे हैं। अमरीका और रशिया में होनेवाली ‘न्यू स्टार्ट ट्रिटी’ की कालावधि अगले साल ख़त्म हो रही है। उससे पहले इस समझौते का नूतनीकरण करने के लिए उत्सुक होने की बात रशिया द्वारा बताई जा रही है। लेकिन अमरीका में होनेवाले संभाव्य सत्ताबदलाव को मद्देनज़र रखते हुए रशिया इस मुद्दे पर आग्रही भूमिका अपना सकता है, ऐसा दावा विश्लेषकों द्वारा किया जा रहा है।
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