आदिस अबाबा – इथिओपिया के गुमूझ प्रांत में कराये गए वांशिक हत्याकांड में २०० से अधिक लोगों की जान गयी होने का डर जताया गया है। बुधवार के तड़के ‘बेकोजी’ गाँव के नागरिक नीन्द में रहते समय ही सशस्त्र टोलियों ने क्रूर हमला किया होने की जानकारी स्थानीय मानवाधिकार आयोग ने दी। इस हत्याकांड के बाद लष्कर ने की कार्रवाई में ४० से अधिक हमलावर ढेर होने की जानकारी सरकारी न्यूज़ चैनल ने दी है।
बेनिशंगुल-गुमुझ प्रांत में गत चार महीनों में हुआ यह चौथा बड़ा हमला है। इथिओपिया के प्रधानमंत्री अबि अहमद ने मंगलवार को ही बेनिशंगुल-गुमुझ प्रांत की भेंट की थी। इस भेंट में उन्होंने उससे पहले हुए हमलों का उल्लेख करके इस आशय का बयान किया था कि इसके लिए ज़िम्मेदार होनेवालों को सज़ा मिलनी चाहिए। उसे २४ घंटे भी नहीं बीते थे कि तभी यह हमला हुआ होने के कारण खलबली मची है। प्रधानमंत्री अहमद ने इस हत्याकांड पर तीव्र शोक ज़ाहिर करके उस इलाक़े में अतिरिक्त लष्कर तैनात करने की घोषणा की है।
सरकार का हिस्सा होनेवाली ‘नॅशनल मुव्हमेंट ऑफ अम्हारा’ इस पार्टी ने, हमले के पीछे ‘गुमूझ मिलिशिया’ का हाथ होने का आरोप किया है। इथिओपिया में ८० से अधिक वांशिक गुट होकर, ‘ओरोमो’ और ‘अम्हारा’ उनमें से प्रमुख गुट माने जाते हैं। बेनिशंगुल-गुमुझ यह प्रांत ‘अम्हारा’ वंशियों की बहुसंख्या होनेवाले प्रांत से जोड़ा गया है। पिछले कुछ वर्षों में अम्हारावंशियों ने बेनिशंगुल-गुमुझ प्रांत में घुसपैंठ शुरू की होने का दावा स्थानिकों से किया जा रहा है। इस घुसपैंठ का स्थानिक ‘गुमूझ’वंशिय विरोध कर रहे होकर, उसमें से हमलों का सत्र शुरू हुआ होगा, ऐसा बताया जाता है।
बुधवार को हुआ हत्याकांड पिछले चार महीनों में हुई सबसे बड़े दुर्घटना साबित हुई है। इससे पहले सितम्बर और अक्तूबर महीने में हुए हमलों में क्रमश: १५ और १४ लोगों की जान गयी थी। उसके बाद नवम्बर महीने में हुए हमले में ५४ से अधिक लोग मारे गये थे। यह हमला तिगरे प्रांत से हुआअ, ऐसा सामने आया था। इथिओपिया में बढ़ रहे ये हमलें वर्तमान तनाव अधिक ही बढ़ानेवाले साबित हुए हैं।
पिछले महीने में प्रधानमंत्री अबि अहमद ने तिगरे प्रांतस्थित बाग़ियों के खिलाफ़ निर्णायक लष्करी कार्रवाई हाथ में ली थी। उसे सफलता मिली होने का दावा हालाँकि सरकार द्वारा किया गया है, फिर भी तिगरे में हो रहा अभी भी नहीं थमा है। तिगरे में चल रहे हिंसाचार के कारण हज़ारो नागरिक पड़ोसी देश सुदान में स्थानांतरित हुए होकर, सुदान ने प्रधानमंत्री अहमद की नीतियों पर नाराज़गी व्यक्त की है। प्रधानमंत्री अबि अहमद को इरिट्रिया के साथ चल रहा संघर्ष रोकने के कारण नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
लेकिन उसके बाद देश में चल रहे अंतर्गत तनाव और हिंसाचार का हल निकालने में प्रधानमंत्री अहमद पूरी तरह नाक़ामयाब साबित् होने का चित्र सामने आया है। पड़ोसी देशों के साथ शान्ति स्थापित करनेवाले प्रधानमंत्री, देश में जारी वांशिक संघर्ष को मिटा नहीं सके हैं। इस कारण अफ़्रीका का दूसरे नंबर का बड़ा देश, यह पहचान होनेवाले इथिओपिया में हिंसा और अस्थिरता का सत्र कायम रहने के संकेत मिल रहे हैं।
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