अमरीका चाँद को परमाणु अस्त्र निर्माण केंद्र बनाने की कोशिश में – चीन के मुखपत्र का आरोप

अमरीका चाँद को परमाणु अस्त्र निर्माण केंद्र बनाने की कोशिश में – चीन के मुखपत्र का आरोप

वॉशिंग्टन/बीजिंग – अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने दो हफ़्ते पहले ‘स्पेस पॉलिसी डायरेक्टिव्ह-६’ (एसपीडी-६) का ऐलान किया। इसके अनुसार, अंतरिक्ष मुहिमों को गति प्रदान करने के लिए अमरीका ने ‘नासा’ को चाँद पर परमाणु भट्टी का निर्माण करने की अनुमति दी है। सन २०२६ तक पूरी होनेवाली इस योजना के लिए अमरीका का ऊर्जा विभाग नासा की सहायता करनेवाला है। लेकिन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने अमरीका की इस घोषणा की जमकर आलोचना की। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प का यह फ़ैसला यानी चाँद को परमाणु अस्त्रनिर्माण का केंद्र बनाने की योजना है, ऐसा आरोप चिनी मुखपत्र ने किया।

१६ दिसम्बर को राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अंतरिक्ष संशोधन क्षेत्र के लिए ‘एसपीडी-६’ यह अहम नीति घोषित की। इस नीति के तहत ‘स्पेस न्युक्लिअर पॉवर अँड प्रपल्शन’ (एसएनपीपी) लागू करने की अनुमति दी है। इसके अनुसार, भविष्य में ‘स्पेस न्युक्लिअर सिस्टिम’ पर आधारित अंतरिक्ष मुहिम चलाने की दिशा में ‘नासा’ काम करनेवाला है। वैकल्पिक ऊर्जास्त्रोत अपर्याप्त होते समय, अंतरिक्ष मुहिमों के लिए अंतरिक्ष में ही परमाणु ऊर्जा पर आधारित अंतरिक्षयान प्रक्षेपण करने की नासा की योजना है।

परमाणु ऊर्जा पर आधारित अंतरिक्ष मुहिमों के लिए विकल्प के रूप में सौरऊर्जा पर आधारित मुहिमों का भी विचार किया गया। लेकिन चाँद पर सौर ऊर्जा का पर्याप्त भंडारण करना मुश्किल होने के कारण परमाणुऊर्जा पर आधारित अंतरिक्ष मुहिमों का फ़ैसला किया गया, ऐसा नासा ने कहा है। चाँद से प्रक्षेपित होनेवालीं इन भविष्यकालीन अंतरिक्ष मुहिमों के लिए निश्चित रूप में कितने किलोवैट की परमाणुभट्टी का निर्माण किया जायेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। इससंदर्भ में अलग अलग जानकारी सामने आ रही है। लेकिन राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने नासा को चाँद पर परमाणुभट्टी के निर्माण की अनुमति देने के कारण चीन की बेचैनी बढ़ी है।

चाँद पर परमाणु भट्टी का निर्माण करने के पीछे लष्करी हेतु होने का आरोप ‘साँग झाँगपिंग’ इस चीन के लष्करी विश्‍लेषक ने ‘ग्लोबल टाईम्स’ से बातचीत करते हुए किया। चाँद पर परमाणुभट्टी का निर्माण करके अमरीका वहाँ युरेनियम का संवर्धन केंद्र भी कार्यान्वित करनेवाली है। युरेनियम का संवर्धन यानी चाँद को परमाणु अस्त्र निर्माण का केंद्र बनाने जैसा है, ऐसा दोषारोपण साँग ने किया। साथ ही, चाँद के भूभाग पर बड़े पैमाने पर ‘हेलिअम-३’ है, ऐसा साँग ने कहा।

‘हेलिअम-३’ इस खनिज का इस्तेमाल ‘न्यूक्लिअर फ्युजन’ के लिए ईंधन के तौर पर ऊर्जानिर्माण हेतु हो सकता है। इस कारण चाँद पर परमाणुभट्टी का निर्माण करने के बहाने अमरीका इस जगह पर परमाणु अस्त्र निर्माण का केंद्र बना सकती है, ऐसी संभावना साँग ने जतायी। वहीं, ‘एसपीडी-६’ की घोषणा यानी अंतरिक्षक्षेत्र में अमरीका की एकाधिकारशाही होने का आरोप ‘चायना फॉरेन अफेअर्स युनिव्हर्सिटी’ अंतर्गत होनेवाली ‘इन्स्टिट्युट ऑफ इंटरनॅशनल रिलेशन्स’ के प्राध्यापक ली हेदाँग ने किया। यदि अमरीका ने चाँद पर परमाणु परीक्षण किया, तो उससे चाँद पर ख़तरनाक स्थिति बन सकती है, ऐसा दोषारोपण हेदाँग ने किया।

इससे पहले अक्तूबर महीने में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की पहल से हुए ‘आर्टेमिस समझौते’ का भी हेदाँग ने विरोध किया था। अमरीका, ब्रिटन, ऑस्ट्रेलिया, कैनडा, इटली, युएई ऐसे आठ देशों का समावेश होनेवाला समझौता, अंतरिक्ष में होनेवाले अपने हितसंबंध महफ़ूज़ रखने से संबंधित यह समझौता है। लेकिन यह आर्टेमिस समझौता अमरीका को चाँद पर अड्डा स्थापित करने के लिए सहायकारी करनेवाला होकर, यह आन्तर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन होने का आरोप हेदाँग ने किया था।

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