वॉशिंग्टन – रशिया और चीन की आक्रामक हरकतों की पृष्ठभूमि पर, उनके साथ निर्माण हुई क्षेत्रीय समस्या का रूपांतरण परमाणु युद्ध में होने की संभावना सच साबित हो सकती है, ऐसी चेतावनी अमरीका के ‘स्ट्रॅटेजिक कमांड’ के प्रमुख ने दी। अमरीका के नेतृत्व ने भी इसका एहसास रखकर नीति में बदलाव करने की आवश्यकता है, ऐसी सलाह भी ‘स्ट्रॅटेजिक कमांड’ के प्रमुख ऍडमिरल चार्ल्स रिचर्ड ने दी। इस समय ऍडमिरल रिचर्ड ने, रशिया और चीन से होने वाले साइबर हमले तथा अंतरिक्ष क्षेत्र के खतरों पर भी गौर फरमाया है।
अमरीका के परमाणु अस्त्रों की पूरी जिम्मेदारी ‘स्टॅटेजिक कमांड’ पर होने के कारण, उसके प्रमुख ने परमाणु युद्ध के बारे में किया बयान अहम माना जाता है। ऍडमिरल रिचर्ड ने अमरीका की ‘नॅव्हल इन्स्टिट्यूट’ द्वारा प्रकाशित होने वाली ‘प्रोसिडिंग्ज्’ इस मासिक पत्रिका में अपनी भूमिका स्पष्ट की है। ‘फोर्जिंग २१स्ट सेंच्युरी स्ट्रॅटेजिक डिटरन्स’ इस शीर्षक के तहत लिखे लेख में, ‘स्ट्रॅटेजिक कमांड’ के प्रमुख ने सोव्हिएत युनियन के विघटन का जिक्र किया है। इस घटना के बाद अमरीका के रक्षा विभाग ने, दूसरे देश के साथ एक परमाणु युद्ध हो सकता है, यह संभावना कुछ समय के लिए बाजू में रखी थी, इस बात की स्वीकृति ऍडमिरल रिचर्ड ने की।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों में चल रहीं रशिया और चीन की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, अमरिकी रक्षा बलों को मजबूरन भूमिका में बदलाव लाना पड़ रहा है, इस पर उन्होंने गौर फरमाया। ‘रशिया और चीन की आक्रमक गतिविधियां आन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था और शांति को चुनौती देने वाली साबित हुईं हैं। शीतयुद्ध खत्म होने के बाद पहली ही बार सत्ता का और लष्करी ताकत का बहुत ही आक्रामक रूप में इस्तेमाल होते हुए दिखाई दे रहा है, जिसमें साइबर हमले और अंतरिक्ष क्षेत्र के खतरों का भी समावेश है’, ऐसा ऍडमिरल रिचर्ड ने जताया।
‘रशिया तथा चीन इन दोनों देशों ने अपनी ताकत भारी मात्रा में बढ़ाई है। पारंपरिक संघर्ष में गँवायी कोई बात, यह ठेंठ अपनी हुकूमत के लिए खतरा है, ऐसा ये देश मान सकते हैं। यदि वैसा हुआ, तो इस क्षेत्रीय समस्या को लेकर भड़के हुए संघर्ष का रूपांतरण परमाणु युद्ध में होने की संभावना सच साबित हो सकती है’, ऐसी चेतावनी अमरीका के ‘स्ट्रॅटेजिक कमांड’ के प्रमुख ने दी। परमाणु युद्ध वास्तव में संभव नहीं है, यह धारणा अमरीका के रक्षा बलों ने भी बदलने की जरूरत होकर, इस वास्तव को समझकर तैयारी करनी होगी, ऐसी सलाह भी उन्होंने दी।
रशिया और चीन ये दोनों देश, फिलहाल जारी कोरोना महामारी का फायदा उठाकर, अपनी घातक क्षमताओं को बढ़ा रहे होने का दावा भी अमरिकी अधिकारी ने किया।
रशिया ने दशकभर पहले ही अपने ‘न्यूक्लिअर फोर्सेस’ का आधुनिकीकरण शुरू किया था और फिलहाल लगभग ७० प्रतिशत तक आधुनिकीकरण पूरा हुआ है, इस पर ऍडमिरल रिचर्ड ने गौर फरमाया। उसी समय रशिया हायपरसोनिक व्हेईकल्स और न्यूक्लिअर टॉर्पेडोज् जैसी अनोखी यंत्रणाएँ भी विकसित कर रहा है, इसका भी एहसास उन्होंने कराया ।
चीन की परमाणु क्षमताओं को भी कम मानकर नहीं चलेगा और यह देश अमरीका के प्रमुख सामरिक प्रतिस्पर्धी के रूप में आगे आ रहा है, ऐसा दावा अमरीका के ‘स्ट्रॅटेजिक कमांड’ के प्रमुख ने किया।
इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:
https://twitter.com/WW3Info | |
https://www.facebook.com/WW3Info |