लंदन – ‘इसके आगे नियमों के अभाव वाले अफ़गानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल करके पश्चिमी देशों पर ९/११ जैसे हमले करने का अवसर अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनों को तालिबान की जीत से प्राप्त हुआ है। इन आतंकियों को अमरीका पर हमले करना मुमकिन नहीं हुआ तो वे ब्रिटेन या अन्य यूरोपिय देशों में हमले करेंगे’, ऐसा इशारा ब्रिटेन के पूर्व वरिष्ठ सेना अधिकारी ने दिया है। ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणा के पूर्व प्रमुख ने भी यूरोप पर आतंकी हमले होने का खतरा बढ़ने का इशारा दिया है। इसी बीच, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत के साथ मेल करने के संकेत दिए हैं। ऐसी स्थिति में ब्रिटेन के पूर्व अफसरों का इशारा अहमियत रखता है।
तालिबान का अल कायदा के साथ अभी भी सहयोग जारी होने का आरोप संयुक्त राष्ट्रसंघ ने लगाया था। अफ़गानिस्तान के १५ प्रांतों में अल कायदा सक्रिय है और यह आतंकी तालिबानी प्रमुख मुल्ला हैबतुल्ला अखुंदज़दा के संपर्क में हैं। इसलिए तालिबान को अफ़गानिस्तान में हासिल हुई जीत सिर्फ तालिबान की ही नहीं बल्कि अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनों की भी जीत है, यह इशारा यूरोपिय विश्लेषक दे रहे हैं। क्योंकि, इस वजह से अफ़गानिस्तान में फिर से कानून नहीं होगा। अफ़गानिस्तान की भूमि आतंकी संगठनों की पैदाइश बढ़ानेवाली बन जाएगी, ऐसा इशारा विश्लेषक दे रहे हैं।
बीते कुछ वर्षों में पश्चिमी देशों ने अफ़गानिस्तान में स्थापित की हुई लष्करी बुनियादी सुविधाओं का तालिबान, अल कायदा एवं अन्य आतंकी संगठनों ने लाभ उठाया तो इससे पश्चिमी देशों के लिए खतरा पैदा हो सकता है, ऐसी चिंता ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआय ५’ के पूर्व प्रमुख लॉर्ड जॉनथन इवान्स ने व्यक्त की है। तो, अफ़गानिस्तान का इस्तेमाल करके आतंकी अमरीका या मुमकिन होने पर ब्रिटेन एवं यूरोपिय देशों में ९/११ जैसे हमले करेंगे। इसके लिए सरकारी इमारत, खेल के मैदानों को लक्ष्य किया जाएगा, यह इशारा ब्रिटेन के पूर्व वरिष्ठ लष्करी अधिकारी कर्नल रिचर्ड केंप ने दिया।
अफ़गानिस्तान में आतंकवाद का प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाले एवं ब्रिटेन की नागरिकता वाले आतंकी या तालिबान, अल कायदा के ब्रिटेन में मौजूद समर्थकों से सबसे अधिक खतरा होने का बयान कर्नल केंप ने ब्रिटीश अखबार से किया है। तालिबान के नेता विश्व के सामने उदारता वाला चेहरा दिखा रहे है और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने का ऐलान कर रहे हैं। फिर भी यूरोपिय देश इससे सावधानी बरतें, यह इशारा डॉ.हैन्स-जेकब शिंडलर ने दिया। यूरोप की शीर्ष वृत्तसंस्था में लष्करी विश्लेषक डॉ.शिंडलर ने यह दावा किया कि, तालिबान और अल कायदा का सहयोग कभी भी नहीं टूटेगा।
तलिबान को अफ़गानिस्तान में प्राप्त हुई जीत ‘आयएस’ इराक और सीरिया में भी हासिल नहीं कर सकी थी, तालिबान के समर्थक ऐसा सोचते हैं। यही यूरोपिय देशों के लिए सबसे बड़ी खतरे की घंटी है, ऐसा शिंडलर ने कहा। तालिबान पश्चिमी देशों से किए वादे पर कायम नहीं रहेगी और आनेवाले दिनों में अफ़गानिस्तान से यूरोपिय देशों पर आतंकी हमले किए जाएँगे, यह चिंता शिंडलर ने जताई।
इसी बीच, तालिबान की जीत की वजह से खौफ से घिरे हुए अफ़गान नागरिक बड़ी संख्या में यूरोपिय देशों की ओर निकल पड़े हैं। हमारा देश शरणार्थियों का भंड़ार ना होने का बयान करके तुर्की ने अफ़गान नागरिकों का ज़िम्मा उठाने से इन्कार किया है। इस वजह से यह ड़र अधिक बढ़ा है कि, अफ़गान शरणार्थियों के झुंड़ यूरोप पहुँचेंगे। यह चिंता यूरोपिय देशों को सता रही है।
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