ताइपे/बीजिंग – तालिबान ने जिस तरह से बीते हफ्ते अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा किया उसी के नक्शे कदम पर चलकर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ताइवान को निगलना चाहती है, ऐसा आरोप ताइवान के विदेशमंत्री जोसेफ वु ने लगाया है। यह आरोप लगाने के साथ ही ताइवान के पास अपनी सुरक्षा के इच्छाशक्ति और साधन दोनों हैं, यह इशारा भी उन्होंने चीन को दिया है।
अफ़गानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने बीते रविवार के दिन तालिबान की शरण में अपना इस्तीफा दिया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दर्ज़ हो रही हैं और अधिकांश राजनीतिक नेता, विश्लेषक एवं विशेषज्ञों ने अमरीका के निर्णय की कड़ी आलोचना की है। कुछ विश्लेषकों ने अफ़गानिस्तान से वापसी करके अमरीका ने अन्य देशों को मुश्किल में ड़ाला है यह दावा करके इन देशों में ताइवान जैसे देश का भी समावेश होने का ज़िक्र किया था।
अमरीका की अफ़गानिस्तान में हार का मुद्दा चीनी प्रसारमाध्यम एवं सोशल मीडिया ने भी जोरों से उठाया था। चीन के प्रसारमाध्यमों ने अफ़गानिस्तान की तुलना करते समय ताइवान को लक्ष्य किया है। ‘स्ट्रेट हेराल्ड’ नामक अखबार ने ताइवान को अमरीका पर ज्यादा भरोसा ना करें, अफ़गानिस्तान की स्थिति को देखें, यह इशारा दिया था। ‘चायना अफेअर्स’ नामक वेबसाईट ने तो अगले दिनों में ताइवान के क्षेत्र में युद्ध शुरू हुआ तो अमरीका ताइवान को भी छोड़कर भाग जाएगी, ऐसी फटकार लगाई थी। तभी, अफ़गानिस्तान से अमरीका की सेना वापसी ताइवान के सत्ताधारी नेताओं के लिए सबक है और वह अमरीका का प्यादा होने से बचे, ऐसा चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने धमकाया था।
इसके बाद चीन की ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी’ ने मंगलवार से ताइवान के करीबी क्षेत्र में ‘लाईव फायर असॉल्ट ड्रिल्स’ की शुरूआत करने की बात सामने आयी थी। इस पृष्ठभूमि पर ताइवान की सुरक्षा का मुद्दा भी फिर से उठा था। अमरीका ने ताइवान को आश्वस्त करने की बात कही जा रही है, फिर भी चीन का आक्रामक स्वर अभी भी कायम है। इस वजह से ताइवान भी अब आक्रामक भूमिका अपनाता हुआ विदेशमंत्री के बयान से दिख रहा हैं।
इसी दौरान ताइवान के विदेशमंत्री जोसेफ वू ने यह आरोप लगाया है कि, चीन तालिबान के नक्शे कदम पर चलकर ताइवान पर कब्ज़ा करने का सपना देख रहा है। लेकिन, चीन का यह सपना पूरा नहीं होगा, ताइवान अपनी सुरक्षा करने की इच्छाशक्ति और साधन दोनों रखता है, यह इशारा विदेशमंत्री वू ने दिया। बीते सालभर में अमरीका ने ताइवान को भारी मात्रा में हथियारों की सहायता प्रदान करने के लिए समझौते किए हैं और इसमें लड़ाकू विमान, मिसाइल और तोंपों का भी समावेश है। तो दूसरी ओर ताइवान भी स्थानीय स्तर पर लड़ाकू विमान, युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण करने में जुटा होने की बात सामने आयी है।
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