अफगानिस्तान से पश्चिमियों की अपमानास्पद वापसी चीन की महत्वाकांक्षाओं को बल देनेवाली

ब्रिटेन के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का दावा

लंडन/काबुल – ‘अमरीका समेत पश्चिमियों ने अफगानिस्तान से की वापसी यह विदेश नीति की ऐतिहासिक असफलता साबित होती है। यह अपमानास्पद वापसी चीन की जागतिक महत्वाकांक्षाओं को बल देनेवाली है’, ऐसा दावा ब्रिटेन के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किम डॅरोक ने किया है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने कुछ दिन पहले की ‘अमेरिका इज बॅक’ की घोषणा कितनी खोखली है यह अफगानिस्तान से जल्दबाजी में की वापसी से दिखाई देता है, इन शब्दों में डॅरोक ने अमरीका के फैसले की आलोचना की। कुछ दिन पहले युरोपीय महासंघ के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी, पश्चिमियों की वापसी के बाद चीन और रशिया अफगानिस्तान पर कब्जा करेंगे, ऐसा जताया था।

अपमानास्पद वापसी

अमरीका में बतौर ब्रिटेन के राजदूत काम किए और सुरक्षा सलाहकार के रूप में ज़िम्मेदारी सँभाले डॅरोक ने, अफगानिस्तान का घटनाक्रम जागतिक स्तर पर के सत्ताकेंद्र में होनेवाले बदलाव का संकेत है, ऐसा कहा है। अफगानिस्तान से पश्चिमी देशों ने की वापसी की ओर चीन और रशिया ये दोनों बारीकी से नजर रखे हैं, इस पर उन्होंने गौर फरमाया। रशिया ने अफगानिस्तान में हार देखी है, इस कारण यह देश अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन फायदे के मौके ज़रूर ही खोजेगा, ऐसा डॅरोक ने जताया। सर्वाधिक फायदा उठाने का मौका चीन हथिया सकता है, ऐसी चेतावनी ब्रिटेन के इस पूर्व अधिकारी ने दी।

‘अफगानिस्तान से वापसी यानी अमरीका के पास सामरिक सहनशक्ति ना होकर, यह देश किसी मुहिम को बीच रास्ते में छोड़कर बाहर निकल सकता है, यह चीन की धारणा अधिक दृढ़ करनेवाली घटना साबित हुई है। इस कारण चीन अपनी महत्वाकांक्षाओं पर अधिक आक्रामक रूप में अमल करने की शुरुआत करेगा। साउथ चाइना सी में पड़ोसी देशों पर दबाव डालना, ताइवान को धमकाना इन जैसी बातें जारी रहेंगी। उसी समय, बेल्ट ऍण्ड रोड जैसे प्रोजेक्ट के जरिए खुद का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव बढ़ाने के काम भी चीन तेज़ करेगा’, इन शब्दों में डॅरोक ने चीन की संभाव्य गतिविधियों पर गौर फरमाया।

अपमानास्पद वापसी

‘जागतिक स्तर पर वर्तमान दौर अपना है, ऐसी चीन के राज्यकर्ताओं की धारणा है। अफगानिस्तान से पश्चिमियों की वापसी, इस धारणा को अधिक दृढ़ करनेवाली साबित हुई है। शायद चीन को प्रतीत होनेवाली धारणा सच भी हो सकती है’, ऐसा ब्रिटेन के पूर्व राजदूत ने जताया। इस समय डॅरोक ने यह मशवरा भी दिया कि अमरीका समेत पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान में अधिक समय तक तैनाती रखनी चाहिए थी। अपने बयान का समर्थन करते हुए उन्होंने दक्षिण कोरिया, साइप्रस, बोस्निया, कोसोवो इन जैसे देशों में दशकों से होने वाली लष्करी तैनातियों पर गौर फरमाया। अफगानिस्तान से वापसी के संदर्भ में अमरीका ने किया फैसला और उसपर बायडेन प्रशासन द्वारा किया गया अमल, इस घटना से अमरीका और ब्रिटेन के बीच की ‘स्पेशल रिलेशनशिप’ पर भी असर हुआ होने का दावा डॅरोक ने किया।

बायडेन ने ‘अमेरिका इज बॅक’ की घोषणा की, लेकिन वास्तव में ‘अमेरिका फर्स्ट’ की ही नीति पर अमल किया, ऐसी आलोचना भी अमरीका में बतौर राजदूत ज़िम्मेदारी संभाले डॅरोक ने की। उसी समय, अफगानिस्तान से वापसी करने से बायडेन के राष्ट्राध्यक्षपद के कार्यकाल पर, कभी भी मिटाया नहीं जा सकता ऐसा धब्बा लगा होने का दावा भी इस ब्रिटिश अधिकारी ने किया।

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