वॉशिंग्टन – चीन की वर्चस्ववादी हरकतों को रोकने के लिए गुप्तचर यंत्रणाओं के ‘फाईव आईज्’ गुट का दायरा बढ़ाने की गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। अमरीका द्वारा पेश किए जा रहे रक्षा खर्च से संबंधित विधेयक में इससे जुड़ी सिफारिश की गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिति में हो रहे बदलाव पर ध्यान आकर्षित करके ‘फाईव आईज्’ में और कुछ देशों का समावेश करने की सूचना भी इसमें है। इन देशों में भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और जर्मनी का समावेश है।
अमरिकी संसद की ‘हाऊस आर्मड् सर्विसेस कमिटी’ ने अगले वर्ष के रक्षा खर्च के समावेश के ‘२०२२ नैशनल डिफेन्स ऑथराइज़ेशन एक्ट’ को मंजूरी प्रदान की है। इस विधेयक में अलग अलग सूचना एवं सिफारिशों का समावेश है। इसमें ‘इंटेलिजन्स सबकमिटी’ की सिफारिश और सूचना भी शामिल हैं। ‘इंटेलिजन्स सबकमिटी’ ने बदलती वैश्विक स्थिति में ‘फाईव आईज्’ जैसे गुटों की अहमियत रेखांकित की है।
चीन और रशिया जैसे देश फिर से बड़े खतरे के रूप में सामने आ रहे हैं और ऐसे में ‘फाईव आईज्’ के सदस्य देशों को अधिक दृढ़ता से काम करने की ज़रूरत है। इस गुट के विस्तार की भी आवश्यकता है और इसके लिए समविचारी जनतांत्रिक देशों की सहायता पाना आवश्यक होने की सलाह इस ‘सब कमिटी’ ने प्रदान की है। अमरीका की गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुख संचालक और रक्षामंत्री इससे संबंधित एक रपट अगले वर्ष तक पेश करें, यह सूचना भी ‘इंटेलिजन्स सब कमिटी’ ने की है।
इस रपट में ‘फाईव आईज्’ के सदस्य देशों के साथ गोपनीय जानकारी का आदान-प्रदान करने संबंधी किए समझौते, गुप्तचर यंत्रणाओं की मौजूदा स्थिति की जानकारी का भी इसमें समावेश हो। साथ ही ‘फाईव आईज्’ के विस्तार के लिए जापान, दक्षिण कोरिया, भारत और जर्मनी जैसे देशों से सहयोग करने पर किस तरह के लाभ हो सकते हैं, यह भी संबंधित रपट में दर्ज़ करने का सुझाव भी सूचना ‘इंटेलिजन्स सब कमिटी’ ने दिया है।
दूसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर अमरीका और ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणाओं ने एक-दूसरे से सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता किया था। बाद में कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को इस गठबंधन में शामिल किया गया। अमरीका और रशिया के शीतयुद्ध के दौर में इस गठबंधन को मज़बूत करने की दिशा में कदम उठाए गए थे। शीतयुद्ध खत्म होने के बाद भी ‘फाईव आईज्’ कार्यरत है, फिर भी इसकी गतिविधयों का दायरा काफी सीमित रहा।
बीते दशक से चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत की विस्तारवादी गतिविधियों की तीव्रता लगातार बढ़ रही है। चीन की हुकूमत ने रशिया के साथ गठबंधन किया है और यह गठबंधन नया खतरा बनकर सामने आ रहा है। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए अमरीका ने इसके खिलाफ पहल की है। इसके अनुसार अलग अलग सहयोगी देशों को एक करने की कोशिश जरी है। ‘फाईव आईज्’ का विस्तार भी इसी का हिस्सा है और चार नए देशों के समावेश के बाद यह ‘नाईन आईज्’ में तब्दिल होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।
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