इंडो-पैसिफिक में चीन को प्रत्युत्तर देने के लिए अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा सहयोग समझौता

वॉशिंग्टन/लंडन/कॅनबेरा – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी हरकतों को प्रत्युत्तर देने के लिए अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापक रक्षा सहयोग समझौता किया गया है। ‘ऑकस डील’ ऐसा नाम होनेवाले इस समझौते के अनुसार, अमरीका और ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया को आठ परमाणु पनडुब्बियों की सप्लाई करनेवाला है। इसके अलावा लॉन्ग रेंज क्षेपणास्त्र, साइबर तंत्रज्ञान, आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, क्वांटम तंत्रज्ञान इन क्षेत्रों में आपसी सहयोग करने पर भी एक मत हुआ है। अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए समझौते का जापान और ताइवान में स्वागत किया होकर, चीन ने आलोचना की है। वही, फ्रान्स और न्यूजीलैंड ने अमरीका की भूमिका पर नाराज़गी ज़ाहिर की है।

संरक्षण सहकार्य करार, रक्षा सहयोग समझौता

बुधवार रात को हुई ‘वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस’ में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने ‘ऑकस डील’ की घोषणा की। अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय रक्षा सहयोग का नया चरण शुरू कर रहे हैं, इन शब्दों में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ‘ऑकस डील’ की जानकारी दी। ‘अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा बलों ने सौ साल से भी अधिक समय एक-दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर संघर्षों में सहभाग लिया है। अब २१वीं सदी के खतरों का मुकाबला करने के लिए तीनों देश अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए एक दूसरे से सहयोग करेंगे’, इन शब्दों में बायडेन ने समझौते का महत्व स्पष्ट किया।

‘अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिपक्षीय रक्षा साझेदारी का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को बरकरार रखना यह है। हम मित्रता का एक नया अध्याय शुरू कर रहे हैं’, ऐसा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने कहा है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन ने भी इंडो-पैसिफिक में बनीं चुनौतियों का उल्लेख करते हुए, मित्र देशों के साथ साझेदारी नए स्तर पर ले जाने का समय आया है, इन शब्दों में नए समझौते का स्वागत किया। ‘ऑकस डील’ के माध्यम से तीनों देशों का तंत्रज्ञान, संशोधक, रक्षा बल, उद्योग क्षेत्र एक-दूसरे के साथ सहयोग करके इंडो-पैसिफिक को अधिक सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय रहेंगे, ऐसा यकीन भी प्रधानमंत्री मॉरिसन ने दिलाया।

संरक्षण सहकार्य करार, रक्षा सहयोग समझौता

‘ऑकस डील’ के अनुसार, अमरीका और ब्रिटेन यह देश ऑस्ट्रेलिया को आठ परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण करा देनेवाले हैं। पनडुब्बियों का निर्माण कार्य ऑस्ट्रेलिया में होने वाला है और अमरीका और ब्रिटेन का तंत्रज्ञान उसके लिए इस्तेमाल किया जानेवाला है। आनेवाले डेढ़ साल में पहली परमाणु पनडुब्बी का काम शुरू होने के संकेत सूत्रों ने दिए हैं। समझौते के अनुसार ऑस्ट्रेलिया केवल परमाणु पनडुब्बियों के बेड़े का स्वीकार करनेवाला होकर, उसमें परमाणु अस्त्रों का समावेश नहीं होगा, ऐसा ऑस्ट्रेलिया द्वारा स्पष्ट किया गया। अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच के इस समझौते का जापान और ताइवान ने स्वागत किया है। वहीं, फ्रान्स में उसपर नाराज़गी ज़ाहिर की।

फ्रान्स ऑस्ट्रेलिया को १२ पनडुब्बी में बनाकर देने वाला था। यह समझौता लगभग ९० अरब डॉलर्स का था। लेकिन अमरीका और ब्रिटेन के द्वारा दी जानेवाली इन परमाणु पनडुब्बियों की पृष्ठभूमि पर, ऑस्ट्रेलिया-फ्रान्स समझौता खारिज हुआ माना जाता है। अमरीका और ब्रिटेन ने फ्रान्स की पीठ में खंजर भोका है, ऐसी आक्रामक प्रतिक्रिया फ्रान्स ने दी है। फ्रान्स जैसे अहम युरोपीय सहयोगी को इस समझौते से बाहर रखने के कारण फ्रान्स तीव्र खेद ज़ाहिर कर रहा है, ऐसा फ्रान्स के रक्षामंत्री ने कहा है। वहीं, न्यूजीलैंड ने यह ऐलान किया है कि अपनी सागरी सीमा में परमाणु पनडुब्बियों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए इस समझौते पर चीन से तीव्र प्रतिक्रिया आई होकर, यह समझौता यानी बहुत ही गैरजिम्मेदाराना कदम होने की आलोचना चीन ने की है। अमरीका स्थित चिनी दूतावास ने, शीतयुद्धकालीन मानसिकता का आरोप किया है। नए समझौते के कारण इंडो-पैसिफिक में हथियारों की होड़ अधिक तीव्र होगी, ऐसा चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता झाओ लिजिअन ने चेताया है।

English  मराठी

इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:

https://twitter.com/WW3Info
https://www.facebook.com/WW3Info