काबुल/मास्को – ‘अफ़गानिस्तान की सीमा सुरक्षित करने के लिए जल्द ही आत्मघाती हमलावरों की तैनाती की जाएगी। प्रमुखता से अफ़गानिस्तान के पूर्वीय ओर की ताजिकिस्तान की सीमा के करीब बड़ाखशान क्षेत्र में आत्मघाती हमलावर बड़ी संख्या में तैनात रहेंगे’, यह ऐलान तालिबान ने किया है। तालिबान को स्वीकृति देने से इन्कार कर रहे ताजिकिस्तान को सबक सिखाने के लिए यह तैनाती होने का दावा किया जा रहा है। ताजिकिस्तान ने भी इस खतरे पर गौर करके सीमा पर अपनी तैनाती बढ़ाई है। इस पर रशिया ने चिंता जताई है और ताजिस्तान के साथ तालिबान को भी संघर्ष से बचने का आवाहन किया है।
काबुल में तालिबान की हुकूमत स्थापित होने के बाद भूमिगत हुए अफ़गास्तिन की पहले ही सरकार का हिस्सा रहे कुछ नेताओं ने शरणार्थियों की सरकार चलाने की तैयारी जुटाई है। पूर्व राष्ट्राध्यक्ष अमरुल्ला सालेह इस शरणार्थी सरकार के प्रमुख होंगे, ऐसा इस अफ़गान नेता ने स्वित्ज़र्लैण्ड में स्थित अफ़गान दूतावास के ज़रिये घोषित किया। सालेह के नेतृत्व में शरणार्थी सरकार का गठन करना यानी तालिबान की हुकूमत को चुनौती होने का दावा विश्लेषकों ने किया था।
तालिबान ने कहा था कि, यह शरणार्थी सरकार अवैध है, इसे ज्यादा अहमियत नहीं देते। लेकिन, इस शरणार्थी सरकार का ऐलान होने के साथ ही तालिबान की बेचैनी बढ़ी है। इस वजह से सालेह और अन्य अफ़गान नेताओं को आश्रय देनेवाले ताजिकिस्तान को सबक सिखाने की धमकी तालिबान ने दी थी। इसके लिए तालिबान ने ताजिकिस्तान की सीमा पर आतंकियों की तैनाती करने की बात सामने आ रही है।
अफ़गानिस्तान के ईशान कोण में बड़ाखशान प्रांत को उप-गवर्नर मुल्ला निसार अहमद अहमदी ने इस तैनाती पर बयान करते समय बड़ी जानकारी सार्वजनिक की। तालिबान के पास आत्मघाती हमलावरों की बटालियन होने का बयान अहमदी ने किया है। इन आत्मघाती आतंकियों को अफ़गानिस्तान की सभी सीमाओं पर तैनात करेंगे और ताजिकिस्तान के करीबी बड़ाखशान की सीमा पर इनकी तैनाती अधिक मात्रा में होगी, ऐसा अहमदी ने कहा। यह आत्मघाती बटालियन तालिबान के ‘लश्कर ए मन्सूरी’ यानी ‘मन्सूर आर्मी’ नामक आतंकी गुट की है। इन्हीं आत्मघाती हमलावरों की वजह से अफ़गानिस्तान में अमरीका को पराजित करना मुमकिन होने का दावा अहमदी ने किया।
अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों की सीमा पर आत्मघाती हमलावर आतंकियों की तैनाती करने का तालिबान का ऐलान चौंकानेवाला है। तालिबान द्वारा आतंकवाद का त्याग करने के दावे इसके समर्थक कर रहे है। ऐसे चरमपंथी गुटों को अपने से अलग करने का दावा तालिबान ने किया था। लेकिन, ‘मन्सूर आर्मी’ और ‘बद्री ३१३’ नामक गुट अब भी तालिबान का ही हिस्सा होने की बात सामने आ रही है। आत्मघाती हमले करने के लिए बदनाम गुटों के आतंकियों की सीमा की सुरक्षा करने के लिए तालिबान ने की हुई तैनाती, आगे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता का विषय हो सकता है।
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